अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से वाचन किया जाने वाली वंदना ( श्री राम स्तुती )

     रामायण में कुल 7 कांड होते हैं।

वाल्मीकि रामायण को सात भागों (कांडों) में विभाजित किया गया है। ये हैं:

  1. बाल कांड

  2. अयोध्या कांड

  3. अरण्य कांड

  4. किष्किंधा कांड

  5. सुंदर कांड

  6. लंकाकांड (युद्ध कांड)

  7. उत्तर कांड

            
॥दोहा॥\

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥


एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥


           ॥सोरठा॥


जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

READMPRE संघर्ष की राह कहानी भाग  1


v

Comments

Popular posts from this blog

जीवन में सफल होने के लिए क्या करे (HOW TO BE SUCCEES FUL IN LIFE )

मध्यप्रदेश: भारत का हृदय स्थल | गठन, इतिहास, संस्कृति, नदियाँ, जिले और पर्यटन की सम्पूर्ण जानकारी

महात्मा बुद्ध शांति और अहिंसा के अग्रदूत