संघर्ष की राह भाग 5
संघर्ष की राह कहानी भाग 5
: पशुपालन की शुरुआत :- रोहित ने कहा हम खेती के साथ साथ पशुपालन भी करेगे जिससे गोबर के रूप में खाद प्राप्त होगा ,जिसका उपयोग हम खेत मे करेंगे जो अच्छे खाद के रूप में होगा। इससे हमारी जमीन अधिक उपजाऊ होगी तथा गोबर से जमीन में नमी की मात्रा बढेगी | जैविक खेती के लिए गोबर की खाद का उपयोग करेंगे, जिससे हमें रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होगि। तथा फसल उत्पादन भी बड़ेगा अलग से खाद के लिए पैसा भी नहीं देना पड़ेगा इसके साथ-साथ पशुओं से हमें दूध भी प्राप्त होगा।
दुध हम बाजार में बेचेंगे जिससे अच्छा भाव मिलेगा, और पैसा भी पिताजी ने कहा उसके लिए तो रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी। राहुल ने कहा पशु-गाय,भैंस खरीदने के लिए पैसे कहां से आएंगे हमें कौन पैसा देगा। रोहित ने कहा पशुपालन के लिए सरकार द्वारा लोन मिलता है। एवं पशुपालन के लिए प्रशिक्षण भी | हम अपना डेयरी फार्म भी खोल सकते हैं। गांव वालों से दुध भी खरीद सकते हैं | जिससे गांव वालो को भी फायदा होगा और उन्हें दूध के भाव भी अधिक मिलेगें। राममोहन ने कहा यह तो अच्छी बात है। कल ही हम गांव के लोगों के बीच चर्चा करेगें।
अगले दिन गांव की चौपाल पर गांव के किसान एकत्रित हुवे। रोहित जे पशुपालन एवं खाद के बारे में जानकारी दी | किसानों को बहुत अच्छा लगा। सभी खुशी-खुशी तैयार हो गए। सभी ने मिलकर रोहित की तारीफ की और कहा तुम्हारी वजह से हम सभी किसानों का फायदा हुवा हम तो सभी अनपढ़ लोग है । हम सभी ग्रामवासी तुम्हारे साथ मिलकर कार्य करेंगे |
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संघर्ष की राह भाग 5 |
अगले दिन गांव के किसान रोहित के साथ बैंक गए। रोहित ने नमस्कार करके अपना परिचय मैनेजर को दिया, और कहा हम शेरपुर गांव से आए है। हम सभी खेती का कार्य करते है । अब हम सभी किसान मिलकर डेयरी फार्म खोलना चाहते है । मेनेजर को रोहित का प्रस्ताव अच्छा लगा, उसने प्रत्येक किसान को 50-50 हजार रूपए का लोंन दिया। और समझाया आप लोग समय-समय पर लोन की किस्त जमा करना |
यदि इस लोन को सही तरीके से चलाओगें तो भविष्य में बैंक आपको बड़ा लोन देगी और अनुदान भी मिलेगा | जो पशु आप खरीदोगे उसका बीमा भी बैंक द्द्वारा किया जाएगा जिससे आपको जोखीम नही होगी। अब आप सभी जा सकते हो। सभी ने मेनेजर साहब को इस नेक काम के लिए धन्यवाद दिया।
अगले दिन लोन की राशि से सभी किसान गाय भैंस बकरी खरीद कर लाए। रोहित ने बाजार जाकर दूध संघ के अधिकारीयो। से गाँव के लोगों के दुध के बारे में बात की और अच्छे दाम पर दूध लेने के लिए तैयार हो गए। दूध लेने के लिए दूध वाहन गांव मे ही आने लगा। दुध का भाव भी अच्छा मिलने लगा। कृषि के साथ साथ दुध से भी किसानों को लाभ होने लगा। सभी ग्रामवासी आनंद से रहने लगे। रोहित के परिवार और गांव की चर्चाए आस-पास के गांवो में भी होने लगी। गांव के महिला-पुरुप सभी अच्छा खासा कमाने लगे |
एक दिन गांव के किसान सोहन की गाय, भैंस खेत पर एक पेड़ के नीचे बंधी हुई थी। बारिश का समय था। सोहन घर के मकान पर बरसाती लगा रहा था। अचानक बारिश शुरू हो गई | बादल कड़ाके से गरज रहे थे। बिजली चमक रही थी। मूसलाधार बारिश हो रही थी। सोहन चिंतित था वह छाता लेकर जल्दी-जल्दी गाय, भैंस लेने के लिए खेत पर जा रहा था। बिजली कड़क रही थी। सोहन डर रहा था. की कोई अनहोनी घटना न हो जाए। लेकीन अनहोनी को कोन टाल सकता है।
नीम के पेड़ पर बादलों की गर्जना के साथ बीजली गिरी, जहां सोहन के पशु बंधे थे। और सोहन के गाय-भैंस बकरी मर गए। सोहन यह दृश्य देखकर जोर-जोर से रोने चिल्लाने लगा। गांव वाले आ गए | सोहन को समझाने लगे सोहन कहने लगा में बर्बाद हो गया | मैं गरीब किसान अब बैंक का लोन कैसे चुकाऊंगा। मेरे पास जमीन भी ज्यादा नहीं है। गांव वाले सभी सोहन को घर लाए। सोहन के घर पर मातम छा गया। उसकी पत्नी और बच्चे भी रो रहे थे। गांव के लोग समझा रहे थे।
इसी बीच रोहीत भी आ गया उसने सोहन के कंधे पर हाथ हाथ रखा और समझाया | हम सभी तुम्हारे साथ है । जो होना था वह हो गया। सोहन बोला मैं बर्बाद हो गया अब में क्या करु ? रोहित ने कहा तुम्हारा कुछ भी नुकसान नहीं होगा- तुम्हें मालूम है जब हम लोन लेने बैंक गए थे। तब बैंक अधिकारी ने क्या कहा था ? सभी उत्सुकतावश रोहित की ओर देखने लगे। सभी ने कहा बँक अधिकारी ने कहा था समय-समय पर किस्त जमा करना। यह सुनकर सोहन फिर रोने लगा और कहने लगा अब मैं कैसे किस्त भरूँगा बैंक वाले मेरी जमीन नीलाम कर देगें। पहले दूध बेचकर पैसा मिलता था. उस पैसे को बचाकर खर्च काटकर समय से लोन की किस्त जमा कर देता था। और घर खर्च चलता था। अब खेत के सिवा मेरे पास कुछ नही है।
और फिर रोने लगा। उसकी बातें सुनकर रोहित मुस्कुराते हुए बोला चिंता करने की कोई बात नहीं है। सोहन का घर खेत भी नही बिकेगा और उसके बच्चों की स्कूल फीस भी समय समय पर जमा होगी। गांव के लोग बोले हम सभी सोहन की मदद करेगें इतने मे रोहित ने कहा आप सभी की सोच बहुत अच्छी है की आपने मदद करने की बात कही ,हमें करना भी चाहिए | सुख दुख में एक दूसरे के काम आना ही इंसानियत का धर्म है । लेकीन अभी आपको मदद करने की आवश्यकता नहीं है। यह सुनकर सोहन को मानो ऐसा लगा, रोहीत मुझे बर्बाद करना चाहता है । और मायूस होकर रोहित की और कातर दृष्टि से से देख रहा है , इतने से गांव के मुखिया बोले तुम मदद करने के लिए मना क्यों कर रहे हो ?
रोहित ने कहा आप गलत मत समझो में आपको बताता हूँ । उस दिन बैंक मैनेजर ने एक और बात कही थी। आपने ध्यान नहीं दिया | इतने मे सोहन बोला मैंने ध्यान दिया था ,उसने कहा था किस्त समय पर जमा करना यही कहा था। रोहित ने कहा मैनेजर ने कहा था। जो लोन तुम्हे गाय, भैंस बकरी खरीदने के लिए दिया गया उसमें हमारे पशुओं का बीमा भी किया गया हे। इतने से एक किसान रमेश बीच में बोल पड़ा इससे सोहन को क्या फायदा होगा ?
क्या लोन माफ हो जाएगा ? रोहित ने कहा हां सोहन के पशुओं का बीमा था वे आकाशीय व दुर्घटना से मरे है , इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा इसका भुगतान किया जाएगा और सोहन फिर से अपना पशुपालन का कार्य प्रारम्भ कर सकेगा। उसी समय रोहित ने इस दुर्घटना का गांव वालों की उपस्थिति में पंचनामा बनाया जिस पर गांव के मुखिया व पंचो ने हस्ताक्षर किए और कहा सोहन को बैंक के अलावा शासन की और से आर्थिक सहायता भी मिलेगी। और बीमा रासी भी, रोहित ने रोहित को गले लगा लिया और कहा तुमने मुझे मरने से बचा लिया मैं और मेरा परिवार तुम्हारा उपकार जीवन भर नहीं भूलेंगे | रोहित बोला यह मेरा एहसान नहीं है। तुम्हारा अधिकार है जो तुम्हे मिलेगा।
अगले दिन रोहित सोहन को एवं गाँव के मुखिया को साथ लेकर बैंक मैनेजर से मिले | पूरी घटना बैंक मेनेजर को बताई। सभी बातें सुनकर मैनेजर ने कहा सोहन का पूरा लोन बीमा राशि से जमा हो जाएगा। और में फिर से लोन स्वीकृत कर देता हूँ |
रोहित ने कहा ठीक है सर आप कर दिजीए। मैनेजर ने लोन पेपर पर हस्ताक्षर करवा कर लोन सोहन को दे दिया और कहा अब आप गाय, भैंस खरीद सकते हो। सोहन ने कहा बीमा कर दिया साहब हां बीमा भी हो जाएगा |सोहन की खुशी का ठिकाना नहीं था। मानो उसके सारे दुख दर्द समाप्त हो गए। उसके जीवन में आशा की नई 'किरण उदय हुई। उसकी आँखो से ख़ुशी के आशु बह रहे थे। सोहन ने गाय, भैंस खरीद लिए और उसका काम पहले जैसा चलने लगा रोहित की हर जगह तारीफ होने लगी | गांव के लोग रोहीत को बहुत बहुत धन्यवाद दे रहे थे|
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