श्री कागभुशुण्डिगुरु (लोमश ऋषि ) कृतं रुद्राष्टकम्

  

श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व

 शास्त्रों में शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व बताया गया है. शिव रुद्राष्टकम भगवान शिव के रूप व शक्तियों पर आधारित हैं. भगवान श्रीराम ने भी रावण जैसे शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए शिव रूद्राष्टकम स्तुति का पाठ किया था. परिणाम स्वरूप श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की. शिव रुद्राष्टकम पाठ के जाप  से  काकभुशुण्डि जी  शाप मुक्त हुए  थे  रामायण के उत्तरकांड में इसका व्याख्यान  हे  | . शिव रुद्राष्टकम पाठ के जाप  से  बड़े से बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है| भगवन आसुतोष  शिव सभी मनोकामनाए  पूरी करते है | 

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,

 विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् |

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीह,

चिदाकारा माकाशवासं भजेऽहम् ॥


 

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,

गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ॥

करालं महाकाल कालं कृपालु,

 गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥

 तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,

 मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।

 स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, •

 लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,

 प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् |

 

मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,

प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ||

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,

अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।

यशूल निर्मूलनं शूलपाणिं,

अजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,

सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी ॥

 चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,

 प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ॥

 न तावद् सुखं शांति सन्ताप नारा,

 प्रसीद प्रभो सर्वभूताधि वासं ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा,

 नतोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ||

 जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,

 प्रभोपाहि आपन्नामामीरा राम्भो ॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये

ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति

READMPRE संघर्ष की राह कहानी भाग  1


 

  

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