आत्मविश्वास: सफलता की कुंजी

 

आत्मविश्वास: सफलता की कुंजी

मन के हारे हार है. मन के जीते जीत है। गुण व अवगुण हर किसी में होता है। लेकीन व्यक्ति अपने गुणों को भूलकर ,अवगुणों के कारण आत्महीनता का शिकार हो जाता है। जब आप कभी एक सफल व्यक्ति से अपनी तुलना करते हो तो खुद को उससे, उसके सामने हीन महसूस करते हो, जिसके कारण आपके अंदर निराशा पनपने लगती है। आप निराश हो जाते है। सबसे पहले आप अपने अन्दर से निराशा रूपी तारे को बुझाकर ,आशा रूपी दीप जलाइए। फिर देखिए सारा संसार आपके सामने प्रकाशमय हो जाएगा।

इस धरती पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है. जिसमे गुण ही गुण हो ,हां यह हो सकता है कि जो गुण दूसरे व्यक्ति में है, वह आप मे न हो. तो फिर आप अपने आपको किसी से कम क्यों समझे? सभी व्यक्ति को ईश्वर ने बनाया है. लेकिन अपने आपको काबिल तो हमें बनना है। चाहे आत्मविश्वासी बने या निराशावादी  यह बात  अपने मन पर निर्भर करती है। यदि आपने सोच लिया मैं कमजोर हु तो आप कायर है और आपने अगर मान लिया कि में इस संसार का सबसे ताकतवर व बुद्धीमान व्यक्ति हूँ ,तो आप बलवान हो |. अपने आप पर विश्वास करना सिखीए और उसके लिए अपने आप पर गर्व  करे  |अपनी सफलता को ध्यान में  रखकर एकाग्रता के साथ अपने कार्य पर ध्यान देना प्रारम्भ किजीए | सफलता आपके साथ चलेगी। समय-समय पर अपनी सफलता का आकलन भी करते रहिए।

यदि आप अपने आपको ही पसंद नही करेगें तो किसी अन्य से क्या आशा कर सकते है ? सफलता एवं असफलता बहुत कुछ योग्यता पर निर्भर करती है किन्तु आत्मविश्वास की कमी के कारण आप अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को पहचान ही नहीं पाते हो और अपने आपको कमजोर मान लेते हो ऐसे मे सफलता  मिलना कठिन हो जाती है।

एक सर्वमान्य यह भी सच है कि प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक कार्य नहीं कर सकता है।

किन्तु यह भी सही है कि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेषताएं भी होती है। और यदि इन्हीं विशेषताओं की और ध्यान दिया जाये तो सफलता मिलना सरल हो जाती है।

अत: शांत व कुंठा रहित मन से अपनी योग्यताओं की एक सूची तैयार करें और फिर उन्ही योग्याओं के आधार पर अपने भविष्य की राह का चुनाव करें। क्योंकि छोटी-छोरी सफलता भी व्यक्ति में आत्मविश्वास की लहरों का  संचार करती है | हमे असफलता से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मुश्किलें तो हर किसी की जिंदगी में आती है, लेकिन विकट परिस्थिति में भी मुशकिलो से घबराने के बजाए उसका डट कर मुकाबला का गुण हमे ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि सोना तपकर ही निखरता है? सूर्य अस्त होता है तो अंधेरा हो जाता है। इसका अर्थ यह नही की सदा अंधेरा रहेगा। पशु, पक्षी जीव मानव सभी सूर्य उदय होने की राह देखते हैं और फिर सूर्य उदय होकर संसार को प्रकाशमय करता है।.

यदि आप रेस मे भाग ही नहीं लोगे तो अपने आपको आपका मूल्य कैसे निर्धारित कर पाओगे की जीत क्या होती है?

अतः आप अपने मन ये नकारात्मक सोच को बाहर निकाल कर सकारात्मक दृष्टि से अवलोकन करके कार्य का श्रीगणेश करो सफलता आपकी राह में खड़ी मिलेगी

हमने देखा कि हर व्यक्ति में विशेषताएं होती हैं, जो उसे अद्वितीय बनाती हैं। यदि हम इन विशेषताओं पर ध्यान दें और उन्हें समझें, तो सफलता प्राप्त करना सरल हो जाता है। आत्मविश्वास की लहरों के माध्यम से, हमें अपनी योग्यताओं की सूची तैयार करनी चाहिए और फिर उन्हीं योग्यताओं के आधार पर अपने भविष्य की दिशा का चयन करना चाहिए। असफलता से घबराने की बजाय, हमें मुश्किलों का सामना करना चाहिए और उन्हें उत्साह से स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि सोना तभी निखरता है जब उसे ताप किया जाता है। इस तरह, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के माध्यम से, हम सफलता की राह में आगे बढ़ सकते हैं।

 

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