संघर्ष की राह भाग 3
संघर्ष की राह भाग 3
शिक्षा का महत्त्व:- समय बढ़ता गया राहुल ने अपने पिताजी द्वारा लिया गया कर्ज भी चुका दिया। और गांव आकर पिताजी के साथ मिलकर खेती का कार्य करने लगा छोटे भाई की पढ़ाई भी पूरी हो गई छोटे भाई ने एग्रीकल्चर विषय से अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और एग्रीकल्चर विषय की डिग्री लेकर
गाँव आ गया। पूरे गांव मे रोहित सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति बन गया । वह भी कृषि की पढ़ाई करके गांव में उन्नत तरीके से खेती करने लगा। रोहित ने अपने पिताजी और भाई को नई-नई कृषि तकनीक के बारे में बताया |
राममोहन को अपने बेटे के कृषि विज्ञान पर विश्वास हुवा। राममोहन ने कहा हम अपने गांव के किसानों को भी कृषि के बारे मे नई नई जानकारियां देकर अपने गांव शेरपुर को आदर्श गांव बनाएँगे ।
अगले दिन गांव की चौपाल पर सभी किसान भाइयों को बुलाकर राममोहन ने अपने बेटे रोहित के बारे मे बताया की रोहीत ने आप सभी ग्रामवासियों के आशीर्वाद से एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करली है। इतने में गांव के मुखिया ने कहा एग्रीकल्चर क्या होता है । हमने तो पहली बार यह नाम सुना. इतने मे रोहित ने बताया की एग्रीकल्चर का अर्थ कृषि मेने कृषि करने के नए नए तरीके के बारे में, वैज्ञानिक तरीके से खेती, कैसे होती है ,इसकी पढ़ाई की है । पहले हम पुराने बीज बोते थे , बैलों से खेत जोतना, मौसम की जानकारी के बिना खेती करते थे ज्ञान के अभाव के कारण मेहनत तो ज्यादा करते थे, लेकिन लाभ कम मिलता था। लेकिन अब कम पानी वाली भी फसल उगाकर हम अच्छा उत्पादन कर सकते हैं।
एक किसान ने प्रश्न किया ? हमारे क्षेत्र में पानी की कमी है । इसलिए पूरी जमीन की सिंचाई करना संभव नहीं है । रोहित ने कहा काका आप पानी की चिन्ता मत करो, हम सभी किसान मिलकर यदि अपने खेत में डबरी ,छोटे -छोटे तालाब का निर्माण करेंगे तो बारिश का पानी हम बचा लेंगे एवं हमारी जमीन का जलस्तर भी बड़ेगा। छोटे तालाब के निर्माण के लिए सरकार अनुदान भी देती है ! सभी को रोहित की बात समझ में आई। कुछ दिनो बाद शेरपुर गांव के किसानों ने अपने- खेतों मे छोटे-छोटे तालाब बनाए। और ड्रिप इरिगेशन को अपनाया। सभी किसानों की मेहनत रंग लाई और फसल
उत्पादन बढ़ने लगा। रोहित की शिक्षा का फायदा गाँव के किसान को मिलने लगा। हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान रोहित करने लगा रोहित के प्रति गांव के किसानों का विश्वास बडने लगा। कुछ समय बाद राममोहन के बड़े लड़के राहुल की शादी भी हो गई | राहुल तो कम पड़ा लिखा था लेकिन राममोहन ने अपने बेटे की शादी 12 वी पास लड़की से करवाई ।राहुल की पत्नी भी अपने घर के काम में अपने परिवार की मदद करने लगी। घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने लगा।
समय धीरे धीरे बढ़ता गया राममोहन अपने परिवार के साथ खुश था | एक दिन सभी परिवार के लोग भोजन कर रहे थे, राममोहन अपनी बहु के द्वारा बनाए गए खाने की तारीफ कर रहे थे मक्का की रोटी और कढ़ी बनाई थी | बहु ने बहुत अच्छा खाना बनाया। बहु ने हँसकर कहा पिताजी मुझे और भी अच्छी-अच्छी रेसिपी बनाना याद है , मैने सिलाई के साथ-साथ कुंकीग कोर्स भी किया है । इतने मे देवर रोहीत ने भाभी से पूछा क्या भाभी आपको सिलाई कढ़ाई भी आती है । हां भैया मैंने सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण भी लिया है मेरे पास शिलाई प्रशिक्षण का सर्टिफिकेट भी है।
रोहीत ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है | समाज में महीलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण है । रोहित की माँ सुरेखा ने पूछा कैसे ? प्रीति ने कहा मम्मी जी में पड़ी लिखी हु । यदि आप सभी की सहमति हो तो में सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण गांव की महिलाओं को देकर अपना एवं गांव की महिलाओं के लिए रोजगार स्थापित कर सकते है । इससे गांव की महिलाओं के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी और कृषि के अलावा भी अतिरिक्त आमदनी होगी ।घर बैठे रोजगार भी मिलेगा। 'घर की महिलाएं भी अपनी आवश्यकतानुसार कमा सकेगी। परिवार वालो को प्रिती का सुझाव अच्छा लगा |
अगले दिन गांव की महिलाओं को बुलाकर सिलाई प्रशिक्षण की बात बताई सभी को प्रिती की बात अच्छी लगी। एक महिला ने बीच मे पूछा ' हमारे पास तो सिलाई मशीन नहीं है कैसे सिखेगें। प्रीति ने कहा हम महिलाएं मिलकरसव सहायता समूह का गठन कर के हर महीने बचत करेंगे कुछ महीनों बाद सरकार द्वारा बैंक के माध्यम से लोन मिल जाएगा उस लोन की राशि से हम सिलाई मशीन
खरीद लेंगें और सिलाई का काम प्रारम्भ कर, हम अपने परिवार का आर्थिक रूप से सहयोग करेगें। प्रीति की यह बात सभी को बहुत अच्छी लगी।
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