संघर्ष की राह कहानी भाग 1
संघर्ष की राह कहानी भाग 1
भारत देश कृषि प्रधान देश है | भारत देश की एक तिहाई आबादी कृषि करके अनाज पैदा कर देशवासियों
के पेट के भूख की ज्वाला को शांत करते हैं | लोग अन्न
ग्रहण करके जीवित रहते हैं | इसका श्रेय किसान को जाता है | दुनिया को अन्न देने वाले किसान दिन-रात चिलचिलाती धूप ,कंपकपाती ठंड और बारिश में कार्य करके
किसान खेती करते हैं
| तभी
कहीं जाकर दुनिया के लोगों का पेट भर पाता है |
लेकिन किसान को उसकी मेहनत का फल उसके
कार्य के अनुसार नहीं मिल पाता है | कभी
कम वर्षा , अतिवृष्टि , अनावृष्टि ओलों से उसकी फसल नष्ट हो जाती हैं | इस कारण वह अपने परिवार का भरण पोषण ,बच्चों की उच्च शिक्षा, बेटे बेटियों की शादी के अरमान भी पुरे नहीं कर पाता है | हमारे देश के किसान की हालत दयनीय होती जा रही है |
बैंक से लोन लेकर किसान खाद बीज दवाइयां
लेकर खेत में बुवाई करता है | उसको मालूम नहीं रहता कि जो बीज खेत में बिखेरे हैं ,उस से उस को लाभ होगा या हानि , फिर भी सागर जैसा हृदय रखने वाला किसान चुनौती स्वीकार करके
अनवरत अपना काम करता रहता है
|
यदि अच्छी फसल पैदा होती है तो वह खुश
होकर भगवान का धन्यवाद करता है, मन
में कई प्रकार के सपने देखता है सोचता है बच्चों की शिक्षा बेटे बेटियों की शादी
अच्छा घर बनाने की बात , जब फसल बेचने मंडी जाता है तो उसके अनाज
की कीमत बोली लगाकर व्यापारी तय करते हैं , और वह कातर दृष्टि से उनके मुंह की तरफ देखता है | उसको उचित भाव
मिलते हैं या नहीं
| मजबूरी
में अपनी फसल का सौदा करता है |
मध्य भारत के शेरपुर गांव में एक साधारण किसान परिवार राममोहन की कहानी जो संघर्ष करके अपने परिवार का भरण पोषण करता है, गांव मे शिक्षा का स्तर न के बराबर गांव मे अधिकतर लोग परंपरागत तरीके से कृषि कार्य करते है । गाँव मे हॉस्पिटल ,मिडिल स्कूल, आंगनवाडी , खेल मैदान का अभाव है। गांव के किसान गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं।
राममोहन अपनी पत्नी सुरेखा पुत्र राहुल, रोहित
बेटी प्रियंका दो बहुए प्रीति आशा
के साथ परिवार मे रहते है | रोहित
की पढ़ाई से गांव में सामाजिक, आर्थिक तरीके मे बदलाव की एक प्रेरणादायक गाथा की कहानी है ।
यह कहानी सिखाती है कि कैसे एक शिक्षित
व्यक्ति के प्रयास से पूरे गांव में सकारात्मक बदलाव ला सकते है।
राममोहन शेरपुर गांव का एक साधारण किसान है। जिसके परिवार में पत्नी जिसका नाम सुरेखा हे, दो बेटे व एक बेटी है मेहनत करके राममोहन अपने परिवार का लालन-पालन करता है | एक बेटा राहुल जिसकी उम्र 18 वर्ष छोटा बेटा रोहित 13 वर्ष का है एवं छोटी बेटी आशा जिसकी उम्र १०वर्ष है | बड़ा बेटा राहुल पाँचवी कक्षा तक पढ़ा है, वह पिता के काम में सहयोग करता है । छोटा बेटा रोहित गांव के सरकारी विद्यालय मे कक्षा 8 वी मे पढ़ाई कर रहा है | बेटी आशा भी गांव के स्कूल में पढ़ने जाती है । टूटा-फूटा कच्चा घर है ,जिस पर खपरैल व बरसाती लगी हुई हैं । बरसात के दिनो में घर में पानी भर जाता है । रात के समय परिवार वाले कोने में बैठकर बारिश रुकने की राह देखते है | परिवार का जीवन कई उतार-चढ़ाव के साथ संघर्षमय तरीको से गुजर रहा है | पिता अपने बच्चो के भविष्य के बारे में चिंतित है । पिता का सपना है । बड़े बेटे को पढ़ा नहीं पाया, अब छोटे बेटे को एवं बेटी को पढ़ा लिखा कर अच्छा आदमी बनाऊगाँ| वे अपने पैर पर खड़े हो जाएगें। बड़े बेटे राहुल की शादी के अरमान मन में है |लेकिन क्या करें वर्षा कम होने के कारण अनाज का उत्पादन बहुत कम हुआ, पिछले वर्ष खेती के लिए साहूकार से लिए कर्ज का ब्याज भी चुका नहीं पाया। साहूकार पैसे के लिए तगादा कर रहा। मन में बेटे बेटियों की पढ़ाई 'राहुल के विवाह की चिंता सताए जा रही दिन का चैन और रात की नींद परेशान कर रही।
पिता को चिंतित देख राहुल पूछता है।
पिताजी आप चिंतित क्यों हो रहे हो ? पिताजी
पूरी बात बेटे को बताते हैं । पिताजी आप परेशान मत होइए। सब ठीक हो जाएगा। चिंता
करने से आप बीमार हो जाओगे ।
पिता कहते है. बेटा फसल पूरी खराब हो गई
है. और छोटे बेटे को आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेजना है। अच्छे स्कूल में दाखिला.
शहर में कमरे का किराया भी कंहा से व्यवस्था कर पाऊंगा। जिस व्यक्ति से हमने खाद
-बीज के लिए उधार रुपया लिया था। उसका ब्याज भी नहीं दे पाए।
क्या करू समझ मे नही आ रहा है | यदि रुपये पैसे की व्यवस्था नहीं हुई तो छोटे की आगे की पढाई कैसे पूरी होगी।
दोनो की बात खत्म ही नहीं हुई और छोटा
बेटा - पिताजी- भैया कहता हुआ आया और पिताजी के चरण छूकर बोला आज मेरा रिजल्ट आ गया है मैं प्रथम श्रेणी से
पास हुआ हु भावुक होकर बोलता जा रहा है |
पिताजी की खुशी का ठिकाना नहीं भाऊकता
के कारण आँखों से आँसू
निकल
रहे है। अपने आपको रोक नहीं पा रहे राहुल छोटे भाई को गले लगाकर गद गद हो रहा है। माँ सुरेखा एवं छोटी
बहन आशा भी आ जाती है। माँ बोल ही है |
क्या हुवा सभी लोग खुश हो रहे हो मुझे
भी तो बताओ किस बात की खुशी हो रही है। पिताजी कहते हैं। रोहित ने कक्षा 8 वी अच्छे नम्बर से पास की है। रोहित माँ के चरण पकड़ कर प्रणाम करता है । माँ अपने बेटे को गले लगा
लेती हैं , और बोलती है । हमारे घर में आज सभी बहुत
खुश है , मैं सभी के लिए खीर पुड़ी बनाती हु ।
छोटा बेटा रोहित भावुक
होकर कहता है पिताजी आगे की पढ़ाई के लिए मेरे साथी शहर जा रहे हैं। बता रहे थे | शहर में पढ़ाई के लिए काफी खर्च होगा, हमारी आर्थिक स्थिति तो बहुत खराब है । हमारे घर में तो पहले से परेशानियों ने डेरा
डाला हुवा है। आप पहले से
परेशान हो . दिन रात चिन्ता करते रहते
हो | इस साल फसल भी खराब हो गई है ।
आप चिंतित न हो मैंने आठची तक पढ़ाई.
करली है । मै भी बड़े भैया की तरह आपके काम
में हाथ बटाऊंगा। पिताजी का चेहरा मुरझा गया. बेटे की बात सुनकर मुंह से शब्द नहीं
निकल रहे थे |
इतने मे राहुल ने कहा छोटे तुझे चिंता
करने की जरूरत नही है में दिन रात मेहनत करके तुझे पड़ा कर अपने पिताजी का सपना साकार करुगा , पिताजी ने राहुल को गले लगा लिया। सभी ने साथ में खाना खाया। और सभी सो गए।
अगले दिन राहुन माता पिता को प्रणाम कर शहर
गया। सोच रहा था, मैं पड़ा लिखा भी नहीं हु | मुझे कोई पहचानता भी नहीं मुझे कोन काम पर रखेगा सोचते -सोचते वह शहर की अनाज मंडी में पहुंच गया।
उसे अनाज मंडी में हम्माली का काम मील गया | उसकी
ख़ुशी
का ठिकाना नहीं रहा। उसने भगवान का धन्यवाद किया और कहा अब मै जी तोड़ काम करके
आपने भाई और परिवार का सपना पूरा करूंगा
| इतने
मे व्यापारी कहता है, ईमानदारी से काम करना पड़ेगा, अनाज के बोरे पीठ पर लादकर थप्पी जमाना है |
मक्कारी मत करना और रोज सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम करना पड़ेगा। राहुल जी साहब मे अपना काम पूरी ईमानदारी से मन लगा कर करूँगा | आपको शिकायत का मोका नहीं दूंगा | कल से आ जाना और अपना खाना साथ लेकर आना। ठीक है सेठ जी आपका बहुत- बहुत धन्यवाद मुझे काम की बहुत आवश्यकता थी। आपने काम देकर मेरे एवं मेरे परिवार पर बहुत बड़ा उपकार किया | मैं कल से काम पर आजाऊंगा|
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