संघर्ष की राह भाग 2

                                 संघर्ष की राह  भाग 2

राहुल की ईमानदारी:- आज राहुल बहुत खुश है । मन मे भाई की पढ़ाई के सपने एवं खेती करने के लिए पिताजी द्वारा लिया गया कर्ज में काम करके चुका दूंगा, सोचता हुवा घर आ जाता है।

माँ  पिताजी कहा है ,  मेरे लिए पानी ले आओ , माँ कहती है आज तू बहुत खुश है। क्या बात है ? इतने मे पिता जी  भी खेत से आ गए। राहुल कहता है- पिताजी मुझे काम मिल गया है। कल से मैं काम पर जाऊंगा  | चार सौ रुपये रोज मिलेगें । अब हमें रोहित की पढाई एवं खाद बीज की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । धीरे -धिरे कर्ज भी चुका देंगें । पिताजी ने कहा बेटा भगवान अच्छा ही करता है। तेरे जैसा संस्कारवान बेटा पाकर मे धन्य हो गया।

  राहुल ईमानदारी से काम करने लगा | छोटे भाई रोहित को भी शहर मे एडमिशन मिल गया। वह  अपनी पढ़ाई मन लगाकर कर रहा था। अनाज व्यापारी भी राहुल के काम से खुश था। क्योंकि उसे कृत्वर्यनिष्ठ एवं ईमानदार मेहनत करने वाला व्यक्ति मिल गया था।

 

राहुल ईमानदारी से अपना कार्य कर रहा था। एक दिन राहुल  अपना काम पूरा कर चलने की तैयारी में था। तभी सेठ जी  आ गए   सेठजी ने कहा राहुल बाकी हम्माल चले गए हैं. कुछ बोरे बचे हुवे हैं। रात मे माल दुसरे शहर भेजना है। तुम्हे इसका अतिरिक्त पैसा मिलेगा राहुल ने कहा ठिक है। में कर लूंगा - उसने पूरा काम निपटा  दिया रात के 10 बज चुके थे।

 सेठ जी ने कहा रात काफी हो चुकी है तुम यही पर सो  जाओं  ,इतनी रात को तुम घर कैसे जाओगे? में तुम्हारे खाने की व्यवस्था कर दूंगा। तुम खाना  खाकर दुकान में सो जाना राहुल ने  खान खाया | सेठजी जा  चुके थे  | राहुल  दुकान मे सो गया दुकान मे लगी अलमारी पर राहुल की नजर पड़ी अलमारी खुली हुई थी उसमे रखे नोट दिख रहे थे। राहुल ने सोचा सेठ जी अलमारी का ताला लगाना भूल गरे। यदि में सो गया और मुझे नींद  लग गई और  कोई चोर रुपये ले गया तो मेरी ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा । वह घबरा गया और दुकान का दरवाजा बाहर से बंद कर बाहर चौखट पर पूरी रात बैठा रहा। निंद नही आने के कारण उसकी आँखे लाल हो गई । पूरे  दिन काम करने से वह बीमार जैसा हो गया।

हो घर क्यों नहीं गए   राहुल ने कहा   सेठ जी आप रात के तिजोरी खुली छोड़ सुबह सेठ जी दुकान पर आए  उन्होंने राहुल से कहा तुम बाहर क्यों बैठे गए, जिसमें पैसे रखे थे। मैंने सोचा यदि मुझे नींद  लग गई और कोई अनहोनी हो गई तो आपका बहुत बड़ा नुकसान  हो जाएगा ,इस कारण में पूरी रात निगरानी करता रहा। सेठजी ने  तिजोरी मे रखे पैसों को देखा पुरे पेसे बराबर है | सेठजी ने कहा में तो तुम्हे पहचानता भी नहीं था  , तुम कौन से गांव से काम करने आते हो  चाहते तो तुम पूरा पैसा लेकर भाग जाते राहुल  ने कहा सेठजी में एक ईमानदार गरीब किसान का बेटा हूँ । मेरे पिताजी का कहना है चाहे भूखा  रह लेना. फटे कपड़े पहन लेना लेकिन गलत काम जीवन में कभी मत करना भगवान समय पर सभी का भला करते है । आगे राहुल ने बताया हमारे पास भी गांव मे थोड़ी जमीन है। वर्षा नहीं होने कारण हमारी फसल नष्ट हो गई। पिताजी के ऊपर कर्जा हो गया। और छोटे भाई की पढ़ाई के लिए मुझे शहर आकर काम करना पड़ रहा  | वो तो आपकी मेहरबानी के  कारण मुझे काम मिल गया. और मेरे भाई की पढ़ाई का खर्च व घर का खर्च में काम करके पूरा कर रहा हूँ ।

सेठजी ने राहुल को गलेसे  लगा लिया। और कहा मैंने जानबूझ कर तिजोरी खुली छोड़ी थी। में जानता था की तुम ईमानदार हो तुम्हारे काम करने के तरीके से में समझ गया था। मैंने तुम्हारी परीक्षा ली थी तुम मेरी नजर में बहुत अच्छे इन्सान हो। अब तुझे हम्माली करने की आवश्यकता नहीं है। लेकीन सेठजी मुझे काम से मत निकालो नहीं  तुम गलत समझ रहे हो. अब राहुल तुम्हारा  काम हम्माली का नहीं अब  से तू अनाज की बोरियों  की गिनती का काम करना और अन्य हम्मालों पर नजर रखना यह तेरा काम है। 

और सुन मैं तुझे पचास हजार रुपये एडवांस दे रहा हु  तु पांच महिने काम करना. तेरे भाई की पढ़ाई में काम आएंगे और पिताजी का कर्ज भी चुका देना खाद बीज खरीद लेना और यदि कहीं भी मेरे लायक काम हो तो निसंकोच मुझे बताना मैं तेरी सहायता करूँगा । तूने मेरा दिल जीत लिया राहुल को सेठ ने गले  से लगा लिया।

 

और सुन मैं तुझे पचास हजार रुपये एडवांस दे रहा हु  तु पांच महिने काम करना. तेरे भाई की पढ़ाई में काम आएंगे और पिताजी का कर्ज भी चुका देना खाद बीज खरीद लेना और यदि कहीं भी मेरे लायक काम हो तो निसंकोच मुझे बताना मैं तेरी सहायता करूँगा । तूने मेरा दिल जीत लिया राहुल को सेठ ने गले  से लगा लिया।

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