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औक़ात का आईना गरीब , समझकर किया गया अपमान

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  गरीब समझकर अपमान ,  प्रेरक लघुकथा लग्जरी शोरूम में सादा कुर्ता पहने एक आदमी सुबह के दस बजे थे   । शोरूम की कांच की दीवारें चमक रही थीं , AC   की ठंडी हवा और महंगी कारों की कतारें अमीरी का प्रदर्शन कर रही थीं   । इसी माहौल में एक आदमी अंदर जाता  हुआ — सादा कुर्ता ,  पुरानी चप्पल गले में गमछा  और चेहरे पर गहरी शांति। उसका नाम था   मोहन   । रिसेप्शन पर बैठी युवती ने ऊपर से नीचे तक देखा। नजर कुछ पल रुकी ,  फिर जैसे फिसल गई। यह नज़र सम्मान की नहीं ,  तौलने की थी।   पूर्व पत्नी और अपमान का पहला वार अभी केबिन से तेज कदमों की आवाज़ आई। ब्रांडेड कपड़े ,  ऊँची एड़ी ,  आत्मविश्वास से भरी चाल — नंदिनी ,  शोरूम की मैनेजर। नजर मोहन  पर पड़ी। चेहरा सख्त हो गया। “ तुम ?” फिर व्यंग्य — “ यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है । यह लग्जरी कार का  शोरूम है ,  कोई सस्ता बाज़ार नहीं। ” कुछ ग्राहक रुक गए। किसी के चेहरे पर मुस्कान थी ,  किसी की आंखों में तिरस्कार।   गरीबी ,...