संघर्ष की राह कहानी भाग 10

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संघर्ष की राह कहानी भाग 10

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रोहित का प्रण: शिक्षा से गाँव का उत्थान":-रोहित का शपथ ग्रहण -गांव में काफी चहल-पहल थी, सभी ग्रामीण जन एक दूसरे को रोहित के सरपंच बनने की बधाई दे रहे थे। आज ग्राम पंचायत में सरपंच रोहित का शपथ ग्रहण समारोह था। शपथ दिलाने के लिए जिले से अधिकारी आए थे। अधिकारी महोदय ने रोहित को सरपंच पद की शपथ दिलाई और अपने गांव में विकास कार्य के लिए मार्गदर्शन दिया। रोहित ने ग्रामवासियों के समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "आप सभी ने मुझे सरपंच बनाया है, मैं इस पद का दुरुपयोग नहीं करूंगा। हम सभी मिलकर अपने गांव का विकास करेंगे।"

 शिक्षा का प्रण -रोहित ने कहा, "सबसे पहले हम शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे। हमारे गांव में कक्षा आठवीं तक ही स्कूल है। आठवीं कक्षा के बाद हमारे गांव के लड़के-लड़कियां आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते और बीच में पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने लग जाते हैं। इससे उनकी आगे की पढ़ाई छूट जाती है। मैं सबसे पहले अपने गांव में हाई स्कूल प्रारंभ करवाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से बात करूंगा और उनसे प्रार्थना करूंगा कि हमारे गांव में हाई स्कूल की मंजूरी प्रदान करें।"

 प्रस्ताव की तैयारी -पंचायत की पहली बैठक में गांव में हाई स्कूल खुलवाने का प्रस्ताव लिया गया। पंचायत के पंचों एवं ग्रामीण जनों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर जिला शिक्षा अधिकारी के नाम पत्र तैयार किया। अगले दिन, रोहित और सचिव सहित गांव के कुछ वरिष्ठ लोग जिला शिक्षा अधिकारी से मिलने शहर गए।

 जिला शिक्षा अधिकारी से मुलाकात -रोहित ने अपना परिचय देते हुए हाई स्कूल का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी को दिया। अधिकारी ने पूछा, "आपके गांव की आबादी कितनी है?" रोहित ने कहा, "महोदय, तीन हजार की जनसंख्या है। वर्तमान में कक्षा आठवीं में 70 बच्चे पढ़ रहे हैं।" अधिकारी ने कहा, "इतने कम बच्चों पर हाई स्कूल कैसे स्वीकृत कर सकते हैं?" रोहित ने समझाया, "महोदय, हमारे गांव के आस-पास चार किलोमीटर की परिधि में सात गांव हैं और इन गांवों से हाई स्कूल की दूरी 15 किलोमीटर है। यदि हमारे गांव में हाई स्कूल खुल जाता है, तो आस-पास के सात गांव के बच्चों को 15 किलोमीटर नहीं जाना पड़ेगा। आस-पास के गांव के बच्चों की संख्या लगभग 150 हो जाएगी, और 70 बच्चे हमारे गांव के कुल मिलाकर 200 विद्यार्थी हो जाएंगे।"

अस्थाई भवन की व्यवस्थाजिला शिक्षा अधिकारी ने कहा, "हाई स्कूल की बिल्डिंग बनने में समय लगेगा। लेकिन मैं स्वीकृति देता हूँ, आप जब तक बिल्डिंग नहीं बने तब तक अस्थाई भवन की व्यवस्था कर सकते हैं?" रोहित ने कहा, "हां सर, हम भवन की अस्थाई व्यवस्था कर लेंगे।" अधिकारी ने कहा, "मैं दो-चार दिन में हाई स्कूल की बिल्डिंग बनाने की जगह का निरीक्षण करने आपके गांव में आऊंगा। फिलहाल इस सत्र के लिए अस्थाई भवन की व्यवस्था कर लेना।"

 जमींदार से सहायता -रोहित और गांव वाले, पंचायत सचिव के साथ गांव आकर बैठे। उन्होंने गांव वालों को हाई स्कूल स्वीकृति की बात बताई। सभी खुश थे। इतने में रोहित के पिताजी राममोहन बोले, "अस्थाई भवन कहाँ है? कौन देगा अपना घर स्कूल लगाने के लिए?" गांववासी चिंतित हो गए। रोहित ने कहा, "हम जमींदार साहब से मिलते हैं। कुछ न कुछ हल जरूर निकल जाएगा।" रोहित ने रमेश को कहा, "जमींदार साहब को पंचायत में बुलाकर लाओ।"

 जमींदार का योगदान - जमींदार साहब पंचायत में आए। सभी लोगों ने उनका अभिवादन किया। रोहित ने खड़े होकर उनके चरण छुए और कुर्सी पर बिठाया। जमींदार साहब बोले, "क्या बात है? आज गांव के सभी लोग एक जगह और मुझे क्यों बुलाया?" रोहित ने कहा, "आपके और गांव वालों के आशीर्वाद से हमारे गांव में हाई स्कूल स्वीकृत हो गया है।" जमींदार साहब बोले, "यह तो बहुत खुशी की बात है।" रोहित ने कहा, "एक समस्या है," और पूरी बात बताई। जमींदार साहब बोले, "इसमें चिंता करने की क्या बात है? मेरा एक मकान पूरा खाली पड़ा है। उसकी साफ-सफाई करवा देता हूँ, उसमें बच्चे पढ़ेंगे। और मेरे मकान के पास मेरी तीन एकड़ जमीन भी है, जिसे मैं नया हाई स्कूल भवन बनाने के लिए दान देने के लिए तैयार हूँ।"

जिला शिक्षा अधिकारी का निरीक्षण - कुछ दिनों बाद जिला शिक्षा अधिकारी गांव में आए। रोहित ने उनका स्वागत किया और जमींदार साहब द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए भवन दान करने की बात बताई। जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा, "इस नेक काम के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद।" गांव वालों ने बताया कि जमींदार महोदय ने भवन बनाने के लिए तीन एकड़ जमीन भी दान में देने की घोषणा की है। अधिकारी ने भूमि का निरीक्षण किया और हाई स्कूल की स्वीकृति का आदेश पत्र सरपंच रोहित को देते हुए कहा, "अब इस सत्र से हाई स्कूल प्रारंभ हो जाएगा और आगामी शिक्षा सत्र से पहले सरकारी भवन बनकर तैयार हो जाएगा।"

शिक्षा के प्रति जागरूकता -रोहित ने कुछ समाजसेवी संगठनों को साथ लेकर शिक्षा के प्रति जागरूकता का कार्यक्रम चलाया। लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया और शिक्षा के महत्व के बारे में जानकारी दी। आस-पास के गांवों के लोगों को बताया कि आठवीं कक्षा के बाद उनके बच्चों को हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा। अब पास के गांव में ही हाई स्कूल स्वीकृत हो गया है, जिसमें निशुल्क और अनुभवी अध्यापकों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाएगी।

 नए सत्र की शुरुआत -लोगों को बात समझ में आई और उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्वीकृति प्रदान की। आस-पास के गांवों से सौ से ऊपर बच्चों का पंजीयन किया गया। कुछ दिनों बाद शिक्षा सत्र प्रारंभ हुआ। हाई स्कूल में बच्चों ने एडमिशन करवाया और पढ़ाई प्रारंभ हो गई। पढ़ाई के साथ-साथ खेल एवं शारीरिक शिक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा विज्ञान मेले की प्रतियोगिताएं भी होने लगीं।

 बिल्डिंग और खुशहाली -कुछ दिनों बाद गांव में हाई स्कूल की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। रोहित ने गांव वालों के साथ समाजसेवी संगठनों की मदद लेकर स्कूल में पंखे, फर्नीचर, खेल सामग्री उपलब्ध करवाई। आस-पास के गांव के लोग बहुत खुश हुए। विद्यालय के विद्यार्थी और अध्यापक ने गांव वालों की मदद तथा जनसहयोग और श्रमदान करके खेल मैदान बनाया, बाउंड्रीवाल का निर्माण किया और वृक्षारोपण किया। अब गांव में मैदान भी बन गया और बच्चे कबड्डी, क्रिकेट, फुटबॉल खेलने लगे। विद्यालय का परीक्षा परिणाम भी शत प्रतिशत आने लगा।

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संघर्ष की राह कहानी भाग 9

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