संघर्ष की राह कहानी भाग 9

 

संघर्ष की राह कहानी भाग  9



शेरपुर के सरपंच का चुनावी संग्राम :- शेरपुर गांव विकास की ओर बढ़ रहा था। गांव में शासन की कई मूलभूत योजना  गांव वालों को मिल रही थी। गांव वालों की आर्थिक स्थिति काफी हद तक सुधर चुकी थी। गांव के लोग वैज्ञानिक तरीके से खेती का काम कर रहे थे.| जैविक खेती के मामले मे शेरपुर गांव का नाम जिले में पहले नम्बर पर था। कुछ समय बाद सरकार द्वारा  पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी। गांव के लोग सोच रहे थे अपने गांव का सरपंच कैसे बनाए | गांव की चौपाल पर चर्चा हो रही थी। उसी गांव मे एक जमींदार परिवार भी रहता था, उसके दो लड़के थे जमीदार के पास जमीन भी ज्यादा थी। और ब्याज से पैसे गांव वालों को देता था। लोग उससे डरते थे। जमीदार के लड़के ने लोगों को डराना शुरू कर दिया ,और होने वाले आगामी सरपंच के चुनाव के लिए अपने पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों के बीच में जाना प्रारम्भ कर दिया। जो लोग रोहित को चाहते थे उनको जमीदार की बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने जमीदार की बातो पर ध्यान नहीं दिया।

उनका मानना था जमीदार ने उनका पहले बहुत शोषण किया| ज्यादा  भाव से खाने का अनाज गांव वालों को दे कर उन से अपने खेतों पर काम करवाया था। पैसा नहीं चुका पाने की स्थिति मे उनकी जमीन हड़प ली थी। वह तो भला हो राममोहन का जिसके बेटे रोहित के कारण उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुवा। एक दिन गांव के सभी लोग राममोहन के घर पर गए और बोले गांव का जमींदार अपने लड़के को सरपंच का चुनाव लड़वा रहा है | और गांव वालो को उसके पक्ष में मतदान करने के लिए पैसे. शराब का लालच दे रहा है हम लोग उसको सरपंच पद पर नही चाहते है|. यदि वह सरपंच बन गया तो गांव वालो का जीना मुश्किल कर देगा! राममोहन ने कहा तो फिर हम क्या करे गांव वाले बोले हम सभी लोगों की आंतरिक इच्छा हे कि रोहित चुनाव लड़े रोहित ने निस्वार्थ भाव से हमे जीना सिखाया है | हम सभी तन -मन से रोहित  का साथ देगें.|  राम मोहन ने कहा हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं है | चुनाव मे तो बोट लेने के  लिए पैसा खर्च करना पड़ता है |. गांव के मुखिया ने कहा हमें पैसे खर्च करने की आवश्यकता नही पडेगी हम सब मिलकर रोहित को सरपंच का चुनाव  जीतवा कर गांव का सरपंच बनाएंगें।

जमीदार के झांसे मे नही आएँगे | हम उसे अपना वोट नहीं देंगे | रोहीत ने हमारे एवं हमारे गांव के विकास के लिए बहुत काम किया है | जमीदार ने तो हमारी जमीन छीन ली। हमे बेघर करने की कोशिश की , रोहित  ने हमे नये-नये काम सिखाए । राममोहन ने कहा यदि आप सभी हमारे साथ हो तो हम हार नहीं  सकते लेकिन  ऐसा न हो कि मेरी इज्जत  खराब हो जाए। गांव वाले बोले आपकी इज्जत हमारी इज्जत  है  |

हम धोखा नहीं करेगें। मुखीया जी ने गांव वालों से पुछा आप सभी का क्या कहना है  ? सभी ने कहा हम सभी रोहित के साथ है । इतने मे बिच में  एक व्यक्ति सोहन बोला मे आपके साथ नही हूँ  | में और मेरा पूरा परिवार जमीदार को वोट देंगे । सभी चौक गए इतने मे रमेश बोला तू दगाबाज है | तु तो मर रहा  था, जब तेरी गाय भैंस जलकर मर गई थी। उस समय रोहित  ने तेरी मदद कर बीमा राशि दिलाई थी । तेरे जैसे विश्वासघाती  लोगों पर कैसे भरोसा करे  जमीदार ने तेरी जेब भर दी  | शायद तभी तू ऐसी बात कर रहा है | सोहन नशे मे था |  वह रोहित के बारे मे अनाप-शनाप बोलने लगा की रोहित ने उसकी व  उसके परिवार के फायदे के लिए गांव वालो के लिए काम किया |  कुछ लोग सोहन को मारने-पिटने के लिए उठे ।

इतने में रोहित ने कहा इसे छोड़ दो  हमे इसके मुंह लगने की जरूरत नही है । मैने आप और हमारे गांव के लिए बिना भेदभाव से आपको रास्ता दिखाया |  इसमें मेरा कोई स्वार्थ  नही था | मैं चाहता था में  पड़ा लिखा व्यक्ति हूँ | मेने आप सभी को अपना परिवार समझ कर आपको सही राह दिखाई। मुखिया जी  बोले रोहित हम सभी जानते हैं ।

हम कोल्हू के बैल जैसी जिंदगी जी रहे थे। तेरे परिवार के हमारे ऊपर बहुत एहसान है । तुमने हम गांव वालों को सम्मानजनक तरीके से जीना सिखाया। हम भूल नही सकते। तु कुछ मत  बोल और कल सरपंच का नॉमिनेशन फॉर्म भर हम तेरी इज्जत खराब नहीं होने देंगे । रोहित ने कहा आप सभी की बात का मैं समर्थन करता हूँ । में कल अपना नॉमिनेशन फॉर्म भारूगा। मुखिया जी ने गांव वालों से  कहा यदि किसी को कोई  आपत्ति  हो तो बोलो  अपनी बात कहो  जैसे उस हराम खोर सोहन ने कही । सभी एक साथ बोले हम सभी रोहित के साथ हैं सभी ने एक आवाज मे कहा रोहित भैया जिन्दाबाद, हमारा सरपंच कैसा हो, रोहीत भैया जैसा हो  |

 अगले दिन गांव वालों को साथ लेकर रोहीत ने अपना नामीनेशन फार्म भरा । उधर जमिदार  के बेटे तेजू ने भी अपना नामीनेशन फार्म भरा ,और रोहीत को देखकर बोला कल का लड़का दो किताब क्या पड़ली हमारी बराबरी करने चला। रोहीत के साथ वाले गुस्सा  हुवे  और लड़ने  के लिए आगे बढ़े | रोहीत ने कहा हमे लडाई नही करना हे |यह तो  समय बताएगा। चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था | जमीदार गांव के गरीब भोले भाले लोगों को शराब ,रूपने बाटने लगा| और एक तरफ रोहित  हाथ जोड़ कर लोगों से न्याय के पक्ष  में वोट मांगने लगा। रोहित ने गांव मे चुनाव सभा रखी और बोला |

मेरे भाइयो और बहनो मेरे पास बांटने के लिए शराब और पैसे नहीं है | में हाथ जोड़कर आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप अपना मतदान गांव के विकास, आपके बच्चों की शिक्षा, रोजगार के लिए करे। जो व्यक्ति आपको शराब व पैसा दे रहे हैं  ,वे आपका ईमान खरीद रहे है । वे जीतने के बाद अपने पैसे वसूल करेगें। आपका कार्य व गांव का विकास नहीं करेगें |वे आपको बंधुआ मजदूर बनाएंगे |  आपके सुख- दुख में काम नही आएगें। आप अपना वोट विकास के नाम पर दीजिए।

में आपके एवं अपने गांव के विकास मे कोई कसर नहीं छोडूंगा। निस्वार्थ भाव से आपके साथ  कंधे से कन्धा मिलाकर आपका सहयोग करने की कोशिश करूँगा। मैंने पहले भी अपने गांव के हित के लिए काम किया है । हम सभी ने मिलकर अपने गांव शेरपुर के  विकास की कहानी लिखी है | यदि मुझे  आपका आर्शीवाद मिलेगा तो  में शासन द्वारा संचालित  सरकार की मूलभूत योजनाएं अपने  गांव में लाऊंगा  | मेरा विश्वास किजीए मेरा संकल्प आपके सामने है | में आप सभी के सामने ईश्वर को साक्षी  मानकर शपथ लेता हूं  | अपने गांव में  प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र . हाईस्कुल , गांव  को शहर की  सड़क से जोड़ना  , गाँव  मे बीजली लगवाना, पशु चिकीत्सालय, जेसी मूल भूत समस्याओं का समाधान करवाऊंगा। आप मुझ पर विश्वास कर मुझे अपना वोट दे में आपके बीच मे नेता बनकर नही बेटा बनकर आपके परिवार का सदस्य बनकर काम करूँगा । आगे सब आपके हाथ में है |

इधर जमीदार का बेटा भी प्रचार कर रहा। उसने अपने खेत पर गांव बालो के लिए दावत का काम सुरु  कर दिया| मांस ,मछली की पार्टीया शुरू  हो गई, साथ मे शराब भी बांटी जा रही थी . कुछ लोगों को पैसे , महिलाओं को साडीया देकर वोट खरीदने लगा। कई ईमानदार लोग भी थे |वे बिकने वाले लोगों को समझाकर रोहित को वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे थे । गांव के समझदार लोगों ने प्रण  किया कि रोहित को किसी भी हालत मे सरपंच बनाना है । एक दिन जमींदार ने  राममोहन को अपनी हवेली पर बुलाया और कहा अकेले आना |

 राममोहन डर गया। उसने सोचा भगवान जाने जमीदार क्यों  बुला रहा है ? उसने रोहित को कहा जमीदार मिलने के लिए बुला रहा है। रोहित ने कहा  डर किस बात का चलो ? हम जमीदार से मिलने चलते हे| दोनों बाप-बेटे जमीदार की हवेली पर गए। रोहीत ने जमींदार को प्रणाम किया। जमीदार ने कहा राममोहन तुम ठीक  नहीं कर रहे हो  आज तक  मेरे सामने कोई बोलने वाला खड़ा नही हुआ |

ओर तेरी  क्या औकात  जो  मेरे सामने अपने  लड़के को चुनाव मे खड़ा कर दिया। राममोहन ने कहा सरकार में तो एक छोटा किसान हूं आप तो जमीदार है। जमीदार ने कहा एक लाख रुपये लेकर अपने बेटे को घर पर बिठा दे   इतने मे रोहित बोला में अपने  गांव वालों के समर्थन से चुनाव के खड़ा हुवा हु , मेरी मर्जी से नहीं आप अपने पैसे अपने ही पास रखीए मैं गाँव वालो   के साथ विश्वासघात नहीं करूंगा ?  उनकी इच्छा से ही मैंने सरपंच का फार्म भरा है। मैं आपसे पैसे लेकर समझौता करने वाला कोन ? चाहे  हार या जीत चुनाव जरूर लडुगा। यह कहकर दोनों बाप बेटे अपने घर आ गए। कुछ दिनों बाद सरपंच का चुनाव हुआ रोहित जीत गया। गांव वाले हार फूल से रोहीत का स्वागत करने लगे | ढोल नगाड़े वाले भी आ गए |

 गांव वाले रोहित का जुलूस निकालना चाहते थे। लेकिन रोहित ने मना कर दिया। और कहा में सबसे पहले जमीदार साहब के घर जाकर उनका आशीर्वाद लूंगा। गांव वाले बोले वे तो हमारे विरोधी थे रोहित ने कहा, 'चुनाव तक वे हमारे विरोधी   थे। अब हम उन्हें  अपने विरोधी नहीं मानते, रोहित की बात सभी ने मानी. सभी शांतिपूर्ण तरीके से जमीदार के घर की और जाने लगे। उधर जमीदार के दोनों बेटे हार के कारण गांव वालों को कोस रहे थे। कह रहे थे हमने चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसे खर्च करे , शराब पिलाई लेकीन गांव वालो ने हमें धोखा दिया वह कलका डका रोहित चुनाव जीत गया चार किताब क्या पड़ती  अपने आप को गांव वालो के सामने कलेक्टर समझने  लगा |

गाँव वालो ने उसे अपने सिर पर बिठा लिया अब वह गांव  का सरपंच बन गया। अब हमारी कोई बात को चलने नहीं देगा | जमीदार ने अपने लडको को समझाया की मैं जानता हु रोहित गरीब बाप का लड़का है। लेकीन है ईमानदार उसी का फल उसे मिला है । उनकी बात चल ही रही थी की  इतने में रोहित गांव बालो के साथ जमीदार के घर पर आ गया जमीदार बैठा था। रोहित जमीदार को प्रणाम करते हुए आगे बड़ा जमीदार ने रोहित को गले लगा लिया और दोनों प्रेम से  गले मिले । जमीदार के लड़के सोचने लगे हम तो इसे बुरा भला कह रहे थे । यह तो चुनाव जीतने के बाद सीधे हमारे घर मिलने आया | दोनो लड़को ने रोहित को बधाई दी।

जमीदार बोला वाकई रोहीत बड़े दिल वाला लड़का है |  और कहा आज से मे भी रोहित के साथ हु |  हम सभी मिलकर अपने गांव का विकास करेंगे |  जमीदार का हृदय परिवर्तित हो गया और कहा अब से हमारे गांव में कोई भेदभाव नहीं करेगा।  जमीदार ने सभी को चाय नाश्ता करवाया  और कहा  जिन किसानों की जमीन मेरे पास गिरवी पड़ी थी। वह जमीन में उन किसानों  को देने की घोषणा करता हूँ । तथा भविष्य में जिनको भी मेरी तरफ से जो मदद चाहिए मैं सदा आपकी सहायता के लिए सेवा मे तत्पर रहूंगा।

रोहीत ने कहा जमीदार साहब जिन्दाबाद गांव वाले भी जमीदार साहब की जय-जयकार करने लगे। रोहित ने कहा आप तो हमारे आदर्श है । हम सभी मिलकर अपने गांव का नाम प्रदेश में बड़ाएंगे  । जमीदार साहब से विदा लेकर रोहीत गांव वालो के साथ अपने घर पर आया |  गांव की महिलाओं रोहीत की आरती उतारकर टीलक लगाया |  गांव के सभी लोग आज बहुत खुश थे मानो गांव से बहुत बड़ा त्योहार हो । इसी बीच रोता हुवा  सोहन भी आगया और राममोहन के चरणों में गिर कर माफी मांगने लगा और बोला में   गलत लोगो  के बहकावे में  आगया था। और रोहित  के खिलाफ  बोल दिया मुझे माफ़ कर दो  जोर-जोर से गीड गिड़ाने लगा  राम मोहन ने कहा कोई बात नही मेने   तुझे माफ़  किया। रोहित ने सोहन  को  गले लगाया ,और कहा गलती हो जाती है । अब किसी के बहकावे मे मत आना सोहन ने गाँव वालो से भी  माफी मांगी |

और पड़े  ---संघर्ष की राह कहानी भाग 8 

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