संघर्ष की राह कहानी भाग 8

 

संघर्ष की राह कहानी भाग 8

संघर्ष की राह कहानी भाग 8

 

 

 "पर्यावरण संरक्षण से गांव का विकास रोहित की पहल:- शेरपुर गांव विकसित गांव बनने लगा | गांव के लोग रोजगार से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत होने लगे | एक दिन रोहित और गांव के मुखिया ने पंचायत मे एक बैठक का आयोजन किया गांव के वरिष्ठ लोगों को बैठक में बुलाकर गांव के विकास के लिए चर्चा की ,  पंचायत के एक पंच ने कहा हमारा वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है. प्रदूषण के कारण गर्मी अधिक हो रही है , तथा वर्षा भी कम होती है  | इसके बारे मे हमें क्या करना चाहिए ? जिससे हमारा पर्यावरण संतुलित हो सके रोहित ने कहा इसका उपाय भी है |  हम इसका हल सभी मिलकर कर सकते हैं

मुखिया जी, कैसे आप विस्तार से बताएं ? रोहित ने बताया हम सभी ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने की भावना से पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है |  जिसका परिणाम हम भुगत रहे हैं, न हमे शुद्ध हवा मिल पा रही है.और  न शांत वातावरण रमेश बोला हमने कैसे पर्यावरण को हानि पहुंचाई रोहित ने कहा पहले हमारे गांव मे बड़े बड़े जंगल थे. लेकीन हमने अपनी इच्छा पूर्ति के कारन काट दिये | जंगल मे पेड़ों की लगातार  कमी होने के कारण हमे शुद्ध हवा मिलना कम हो गई  | हमारे वातावरण मे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है

 एवं पेड़ों द्वारा हमे जीवन देने वाली ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है । इतने मे शंकर चाचा ने कहा यदि हम लकड़ी का उपयोग नहीं करेंगे तो चूल्हा जलाकर खाना कैसे बनाएगें। रोहित ने कहा इसका भी उपाय है। क्या हम भूखे रहेंगे ?  रोहित ने कहा नहीं इसका भी तरीका है । मुखिया जी ने कहा क्या तरीका है बताओ ? रोहित ने कहा बायोगैस . इसका उपयोग करके हम अपना खाना बना सकते हैं इससे धुआ भी नहीं निकलेगा और लकड़ी की आवश्यकता भी नहीं लगेगी और धुवे से होने वाली बीमारियों से भी राहत मिलेगी |  गाव वालो ने कहा वह कैसे काम करेगा?  रोहित ने कहा हमारे गांव के लोगों के पास गाय, भैंस सभी के पास है |  उसका गोबर हम कुड़े मे डालते है । जिससे खाद बनने में  समय लगता है ।

मुखिया जी बोले गोबर से के से बायोगैस बनेगा ?  रोहित ने कहा हम अपने –अपने कुड़े पर  गोबर गैस बनाएंगे, जिससे गोबर के घोल से सयंत्र द्वारा गैस बनेगी|  उस गैस का उपयोग हम खाना बनाने मे करेंगे, और जो गोबर बचेगा इसका उपयोग खेतों में खाद का उपयोग होगा इस कारण प्रदूषण व धुवे से हमें मुक्ति मिलेगी |

रोहित की बायोगैस वाली योजना गांव के लोगों को अच्छी लगी  सभी ने बायोगेस बनाए। गांव की महिलाओं को भी धूवे से मुक्ति  मिल गई | और स्वादिष्ट भोजन बनने लगा। दुसरे गांव के लोग भी रोहित से मिलकर अपने गांव मे बायोगैस बनाने लगे।

रोहित ने गाँव वालो को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया। लोगो को बताया की हम हमारे गांव को हरा  भरा करे |  इससे गांव के चारो और बंजर भूमि, स्कूल, तालाब किनारे एवं हमारे घर के सामने वृक्षारोपण करे जिससे हमारा गांव हरा भरा हो जाए |  हमें शुद्ध हवा. ताजे फल प्राप्त हो सके वृक्षों से प्राप्त फल हम बाजार मे बेचकर आर्थिक लाभ कमा सकते है। रोहित की बात गांव वालों को बहुत अच्छी लगी। मुखिया जी ने कहा पौधे कहाँ से लाएंगे रोहित ने कहा अब बारिश का मौसम आने वाला है।

हम बाजार से पौधे लाएगें जो सस्ते दाम  मे हमें मिल जाएंगें। कुछ दिनों बाद बारिश हो गई रोहित ने सबसे पोधे लाने के लिए चन्दा एकत्रित  किया और बाजार की नर्सरी से थोक भाव से आम, जामुन, नीम , संतरे , नींबू ,अमरूद, पीपल, कटहल एवं छायादार पौधे खरीदें। सभी ने मिलकर अपने खेत एव  घर के सामने एवं सार्वजनिक जगह पर वृक्षारोपण किया, तथा उन्हें बचाने का संकल्प लिया। गांव के चारों. और वृक्षारोपण किया। पूरा गांव हरा भरा हो गया।

रोहित की पहल से गांव वाले बहुत खुश थे। उनका गांव आदर्श गांव बन रहा था। महिलाए सिलाई · कढ़ाई का काम कर रही थी। गांव के बच्चे स्कूल जाने लगे। अनपढ़ महिलाएं प्रिती कि मेहनत से साक्षर हो चुकी थी।  जो घर के हिसाब किताब करने लगी | गांव के  तालाब पानी से भरे थे ।

एवं खेती भी बहुत अच्छे तरीके से किसान कर रहे थे |  सभी ग्राम वासी एक दुसरे से भाईचारे की भावना से रह रहे थे, सभी एक दूसरे के सुख-दुख मे सहायता करते थे। गांव के लोगों ने  मिलकर मांगलिक भवन का निर्माण किया। एवं मांगलिक भवन के आस पास  वृक्षारोपण भी किया। पहले मांगलिक भवन नहीं होने के कारण लोगों को विवाह शादी एवं मांगलिक कार्य करने से जगह की कमी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था अब सभी लोग मांगलिक भवन मे अपने मांगलिक  कार्यों को सम्पन्न करने लगे। पूरे गांव को कीचड़ मुक्त जनसहयोग से करके पक्की सड़क व नाली बनाई गई। जिससे प्रदूषण एवं गंदगी गांव से समाप्त हो गई गांव का गिला कचरा एवं सूखा कचरा गांव से बाहर बने कूड़ेदान में  गांव के लोग डालने लगे |

लोगो में जागरूकता आई | गाँव के लोगो ने नियम बनाया की जो व्यक्ति पेड़ काटेगा उसक गाँव वाले बहिष्कार  करेंगे  और जुर्माना भी देना पड़ेगा | गाँव के लोगो ने निर्णय लिया की हम अपने जन्मदिन ,बच्चो की शादी के अवसर या ख़ुशी के समय अपनी तरफ से पोधे लगाकर अपनी ओलाद समझ कर उनकी देखभाल करेंगे और भी लोगो को अधिक से अधिक पोधारोपण के लिए प्रेरित करंगे |

हमारे घर के आस -पास साफ सफाई करेंगे | गाँव की गलियों में कचरा  नहीं डालेंगे  घर का कचरा कूड़ेदान में डालेंगे  जिससे हमारा गाँव सवच्छ  एव साफ रहे | तथा बिमारिया भी गाँव के लोगो को न हो  सभी ने इन शर्तो का पालन करने की सपथ ली | सभी लोगो ने जन सहयोग से कूड़ेदान ख़रीदे  एव अपने घर के सामने रखे  ताकि घर का अपशिस्ट कचरा  उसमे डाल सके | गाँव वालो और रोहित की पहल रंग लाई पूरा गाँव साफ सुथरा हो गया | गाँव का कीचड़ पूरी तरह समाप्त हो गया | गाँव के मच्छर भी समाप्त हो  गए | गाँव गंदगी मुक्त हो चूका गाँव के लोगो ने अपने -अपने  घर में पक्के सोचालय भी बना लिए  जिस कारन गाँव की महिलाओ को सोच के लिए बाहर  नहीं जाना पड़ता है   | 


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संघर्ष की राह कहानी भाग 6






















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