संघर्ष की राह कहानी भाग 6

 

संघर्ष की राह कहानी भाग 6



सामूहिक प्रयास :- समय आगे बढ़ता गया राममोहन भी अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था। अपने बेटे रोहित एवं बेटी की शादी भी अच्छे परीवार मे कर दी। रोहित की पत्नी पढ़ी लिखी एवं संस्कारित  थी। वह भी घरवालों के काम में हाथ बटाने लगी। दोनो बहुओ ने मिलकर घर पर सिलाई का काम बड़े स्तर पर प्रारम्भ कर दिया। सादे कपड़े  गाड़ी भर-भर कर उनके शिलाई कारखाने में आने लगे। और रेडीमेड माल तैयार होने लगा। आस-पास के गांव की महिलाएं भी कपड़े के कारखाने मे काम करने के लिए आने लगी और रोजगार के रूप में कार्य करने लगी, जिससे सभी का आर्थिक विकास होने लगा। और पैसा कमाने लगे। रोहित के परिवार के साथ-साथ गांव वालों के दिन भी बदलने लगे | राहुल एवं रोहीत की सूझ-बुझ एवं उनकी मेहनत के विकास से राममोहन और उसकी पत्नी सुरेखा बहुत खुश है। राहुल गांव के विकास और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए भगवान से मंगल कामना करता है।

कुछ माह बाद रोहित अपने पुरे परिवार के साथ बैठा था "सभी में हंसी मजाक चल रहा था। उसी समय गाँव  का चौकीदार देवा उनके पास आया और बोला गांव की चौपाल के पास शहर से अधिकारियों की गाड़ी आई है । मुखिया जी ने आपको बुलाया है। रोहित के पिताजी सोच में पड़ गए | क्योकी वे अनपढ़ ठहरे रोहीत ने कहा मैं देखता हूँ चलो

रोहित  चौपाल पर पंहुंचा। मुखिया जी ने खड़े होकर रोहित से कहा हमारे गांव मे जिले से कृषि अधिकारी आए है। "हमको कुछ समझ में नहीं आ रहा आप इनसे  बात करो |  रोहीत ने हाथ जोड़कर अधिकारी से नमस्ते किया, अधिकारी ने अभिवादन स्वीकार किया। कृषि अधिकारी ने रोहित की तारीफ की और कहा आपने कृषि कार्य उन्नत तरीकों से कर के गांव के किसानों को जागरूक किया है हमारे जिले में आपके गांव की चर्चा हो रही है। कलेक्टर साहब ने मुझे आपके गांव में भेजा है। सरकार भी चाहती है की जैविक प्राकृतिक एवं आधुनिक खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहित करे सरकार द्वारा  प्रमाणित बीज भी उचित मूल्य पर दिया जाता है। फसल बोने से लेकर फसल तैयार होने तक हमारे कृषि विशेषज्ञ किसानों को उचित सलाह एवं मार्गदर्शन देते हैं। तुमने तो एग्रीकल्चर विषय मे डिग्री प्राप्त की है।  सरकार किसानों को कृषि यंत्र- मोटर पंप.. पाइप लाइन, ट्रेक्टर के लिए अनुदान भी देती है रोहित ने कहा इसके लिए हमें क्या करना होगा ?

 अधिकारी ने बताया इसके लिए किसानों का पंजीयन अपने जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में करवाना होगा जिसके बाद समय-समय पर  कृषि विज्ञान केंद्र पर किसानों को उन्नत कृषि के लिए विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। गांव के किसानों एवं रोहित को जानकारीया बहुत अच्छी लगी। सभी ने अधिकारी की बात का समर्थन किया। कृषि अधिकारी ने गांव के किसानों से पूछा की आप अपनी फसल कहां बेचते हो। किसानों ने कहा की शहर जाकर मण्डी मे हम अपनी फसल बेचते है परन्तु फसल का भाव व्यापारी उनकी मनमर्जी से तय करते हैं। इस कारण हमें हमारी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। मजबूरी में हमे हमारी फसल बेचना पड़ती है। कृषि अधिकारी ने कहा अब ऐसा नहीं होगा रोहित ने कहा अब हम क्या करे ? अधिकारी ने कहा अब आप सभी किसान मिलकर सामूहिक रूप से काम करें

सहकारी समीती का गठन

कृषि अधिकारी ने गांव में एक सहकारी समीती का गठन करवाया. जिसमें खेती करने वाले किसानों को शामिल किया गया। समिति के अध्यक्ष के लिए रोहित के नाम का प्रस्ताव रखा सभी ने  समर्थन किया। रोहित ने आभार माना। रोहीत ने कहा हम सभी मिलकर कम लागत मे में खेती कर अधिक उत्पादन बड़ाएंगे। समिति का उद्देश्य सभी किसान मिलकर काम करे, अपने संसाधनों को  साझा करें और अपनी फसल को एक साथ मिलकर बेंचें । रोहित ने कहा हम जैविक खेती पर ध्यान दे, एवं सभी किसान अलग-अलग प्रकार एवं नई नई किस्मों की फसलों का उत्पादन करे ,जैसे ज्वार, बाजरा, दलहन- गेहूं धान, मक्का मूंग, चने, अरहर- इसके साथ साथ गेहूँ ,आलू,प्याज ,  लहसुन आदि फसल उगाए. इससे सभी को अलग-अलग तरह  से फायदा होगा |  इतने में गांव के मुखीया ने पूछा हम इन अलग अलग प्रकार की फसलों को बेचेंगे कहा हमे अलग- अलग मण्डियों मे जाना पड़ेगा। रोहित ने कहा आपका प्रश्न सही है। मेरी बात सुनीए। अलग अलग मंडी जाने की आवश्यकता नहीं है वो कैसे ? रोहित ने कहा  है। आज का गयुग इन्टरनेट का युग है। हमे रोज के भाव , अलग अलग शहरों की  मंडी की जानकारियां मिल जाती है । हम सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी फसल का प्रचार करेंगे एवं भाव भी अपने हिसाब से निर्धारित करेगें जो ज्यादा भाव देना उसको हम अपनी   फसल बेच  देंगे घर से ही हमारी फसल का सोदा हो जायेगा   | और    व्यापारी हमारे घर से ही अपने वाहन में फसल लेकर जायेंगे

 

जिससे हमारा समय एवं भाड़ा भी बचेगा और मंडियों के चक्कर भी यह सुझाव सभी को बहुत अच्छा लगा |   तथा हम अच्छा बीज - खाद दवाई भी सभी एक साथ मिलकर खरीदेंगें जो कंपनी की कीमत में हमे मिल जाएगी। एवं नकली खाद बीज का चक्कर भी नहीं रहेगा। और अच्छी क्वालिटी वाला बीज हमें मिलेगा रोहित की बात सभी किसानों को समझ में आ गई | सभी किसान मिलकर खेती का कार्य मन लगाकर करने लगे अच्छी खासी आमदनी बढ़ने लगी। राममोहन के गांव में खुशहाली ने अपने कदम जमाना शुरू कर दिया। गांव के किसान अब एक जूट हो चुके थे सरकार  की अनुदान योजना के तहत किसानों को   ट्रैक्टर, ड्रिप इरिगेशन, कृषि यंत्र का लाभ भी मिलने लग गया। इस गांव के किसान जैविक खेती और अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने लगे  |जिससे उनकी फसल  का उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार हुवा। अनपढ़ राममोहन के संघर्ष की कहानी एक गाँव और घर की ही नहीं बल्कि यह उस जज्बे व मेहनत की कहानी है जो हर एक किसान के दिल व दिमाग में बसती है  | राममोहन एवं गांव के किसान इसका पूरा श्रेय रोहीत एवं उसके भाई राहुल को देते है। रोहीत कहता है यह सभी आपकी मेहनत का फल है। मुझे मेरे पिताजी एवं बड़े भाई ने मेहनत मजदूरी करके पढ़ाया जिसका नतीजा आपके सामने प्रत्यक्ष रूप से हे |  मेहनत के साथ साथ शिक्षा भी जरूरी है। आप सभी लोग भी अपने बच्चो को पड़ाओं। पड़ा लिखा परिवार बनाओं रोहीत ने कहा कि किसानों की समस्याओं का हल केवल सरकार की मदद से नहीं बल्कि हमारे स्वयं के प्रयासों और संगठन से भी हो सकता है । यह हम सभी गांव वासियों ने मिलकर साबित किया। हम सभी एकजुट होकर भाईचारे की भावना से काम करते हे तो किसी भी बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान कर सकते हैं  ,और अपनी मेहनत व सूज-बुज से समाधान कर सकते है ,एवं सफलता प्राप्त कर सकते हे |

 समय बीतता गया गांव के सभी किसान अपनी खेती का का कार्य मन लगाकर ईमानदारी से करने लगे। महिलाओं भी सिलाई के साथ-साथ अगरबत्ती, पापड़ अचार बनाने के कार्य से पैसा कमाने लगी। सभी महिलाएं राहुल की पत्नी प्रीति को अपना आदर्श मानकर उसको धन्यवाद दे रही है।

Read more -Read More 

READMPRE संघर्ष की राह कहानी भाग  1



Comments

Popular posts from this blog

एक झुमकी की कीमत

असफलता अंत नहीं होती – यह तो नई शुरुआत का संकेत है! (असफल विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायक लेख)

फटी कमीज़ वाला अभिमान लघुकथा पिता-पुत्र के रिश्ते पर