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Showing posts from May, 2024

आगे बढ़ने के लिए हमे बहरा बनना पढ़ेगा

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  आगे बढ़ने के लिए हमे बहरा  बनना पढ़ेगा यदि जीवन में कामयाब होना है तो हमे कई कठिनाइयों का  सामना करना पड़ेगा हमें समस्याओं से  डर कर नहीं बल्कि समस्याओं का डटकर मुकाबला करना होगा. हमें छोटी मोटी समस्याओं से   घबराकर अपने कृत्य पथ से विमुख नहीं होना  है।  हमें निरन्तर अपने कार्य को गति देना होगी। तभी आगे जाकर सफलता प्राप्त हो पाएगी। कोन क्या कह रहा है ?  क्या नहीं कर रहा ? इन शब्दों पर हमें ध्यान नहीं देना है , ये वही लोग है , जो आज आपको हँसी का पात्र मान रहे हे। लेकिन  जब आप कामयाब हो जाओगे   तो वही लोग जो आपकी आलोचना कर रहे थे , आपको बदनाम कर रहे थे | आपकी तारीफ करेंगे और कहेंगे हमे तो मालूम था। आप सफल हो जाओगें।  संसार का नियम है , लोग उगते सूर्य को नमस्कार करते हैं,  ढलते दिन को नहीं । तुम अपनी खूबियां ढूडते जाओ , खामीया निकालने के लिए तो लाखों लोग मिलते जाएगें। क्योंकि यह काम वही लोग करेंगे जिनका कोई वजूद नहीं है।  जिस कार्य को करने के लिए आपने कदम उठाया है , उसको असफल करने के लिए कई लोगों ने इस धरा पर जन्म लिया है। उनका कार्य ही यही हे - लेकिन आप अपने कान में रुई लगाकर उनकी नक

महात्मा बुद्ध शांति और अहिंसा के अग्रदूत

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महात्मा बुद्ध शांति और अहिंसा के अग्रदूत भारत भूमि देवो की भूमि है यह बात सारे संसार को विदित है | इस पावन धरा पर कई तेजस्वी , प्रतापी , सत्यवादी महापुरुषों ने अवतरित होकर इस वसुंधरा को पावन किया | इस भूमि का कण – कण पवित्र है   | एसा कहा गया हें , चंदन हें इस देश की माटी तपोभूमि हर गांव हें इस देश की माटी की मिट्टी भी ललाट पे लगाई जाती है | एसी भारत भूमि पर गौतम बुद्ध शांति और अहिंसा के अग्रदूत बनकर अवतरित हुवे | महात्मा बुद्ध जब इस भूमि पर आये   उस समय सम्पूर्ण भारत देश अशांति , हिंसा , अधर्म , अंधविश्वास और कई प्रकार की कुरीतियों से ग्रस्त   था | महात्मा बुद्ध का आगमन एक ऐसे युग प्रवर्तक रूप में हुआ , जिन्होंने न भारतवर्ष अपितु संसार के अनेक राष्ट्रों में अपने ज्ञान के प्रकाश पुंज से संसार वासियों के मन में ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित    की व जनमानस को    ज्ञान का पान कराया   | महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था   | उन्हें गौतम बुद्ध के नाम से भी जाना जाता था | उनका गौतम नाम उनकी गोत्र के नाम से रखा गया था | उनका जन्म    क्षत्रिय कुल के राजा सुद्धोदन    के यंहा सन 569 ईसवी पूर्

श्री कागभुशुण्डिगुरु (लोमश ऋषि ) कृतं रुद्राष्टकम्

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    श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व   शास्त्रों में शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व बताया गया है. शिव रुद्राष्टकम भगवान शिव के रूप व शक्तियों पर आधारित हैं. भगवान श्रीराम ने भी रावण जैसे शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए शिव रूद्राष्टकम स्तुति का पाठ किया था. परिणाम स्वरूप श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की. शिव रुद्राष्टकम पाठ के जाप  से   काकभुशुण्डि जी  शाप मुक्त हुए  थे  रामायण के उत्तरकांड में इसका व्याख्यान  हे  | . शिव रुद्राष्टकम पाठ के जाप  से   बड़े से बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है| भगवन आसुतोष  शिव सभी मनोकामनाए  पूरी करते है |  नमामीशमीशान निर्वाण रूपं ,   विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् | निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीह , चिदाकारा माकाशवासं भजेऽहम् ॥   निराकार मोंकार मूलं तुरीयं , गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ॥ करालं महाकाल कालं कृपालु ,   गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥  तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं ,   मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।  स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा , •   लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥ चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं ,