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बच्चो के ऊपर बोझ Burden On Children

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                                  बच्चो  के   ऊपर बोझ (रघुवीर सिंह पंवार    बात बड़ी छोटे मुह लेकिन , जब के लोग विचारों। मुझ पर लदी किताबें अब मेरा बोझ  उतारो।   झरनों को तो जंगल में झरने की आजादी। पर मुझे नहीं मस्ती में रहने की आजादी।   बिन समझे बिन बुझे ही केवल लीखते  ही रहना |   क्या घर में क्या बाहर केवल रटते ही रहना ?   खेलकूद में जी भर कर समय कभी ना पाऊं |   गुलदस्ते में कलियों सा घरमें ही मुरझाऊ |   फूलों को तो फूलों  जैसी खिलने की  आजादी   | भंवरी को भी भिनभिनाने  की है , देखो आजादी | फूल फूल के रस को है , पीने की आजादी |   पंछी को भी पंछी जैसे उड़ने की आजादी |   पर मुझ बच्चे को अब बच्चे सा ही रहने दो | मुझको तो अब अपने ही बचपन में मिलने दो | इस दुनिया में अब अपनी ही भाषा पढ़ने दो | मुझको भी तो फूलों जैसा अब तो खिलने दो |   बात बड़ी  छोटे मुंह लेकिन जब के लोग विचारों |   मुझ पर लदी किताबें अब तो मेरा बोझ उतारो | यह भी पड़े   उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city   मध्यप्रदेश भारत का हृदय स्थल ( Madhya Pradesh Heart of India )

उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city

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मैं रघुवीर सिंह पवार आपके सम्मुख सम य - समय पर देश में होने वाली घटनाएं  , पर्यावरण  , जल संरक्षण बेरोजगारी  , राजनीतिक चर्चा  ,  रोचक कहानियां और ऐतिहासिक धरोहर के बारे में अपने ब्लॉग  ,  वेबसाइट एवं समाचार पत्रों सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत करता रहता हूँ  |  आलेख  , संस्मरण एवं कविता कहानियों को आप पढ़ते हैं   |  मेरे द्वारा रचित रचनाओं को आप    जिज्ञासा के साथ     पढ़कर मुझे आगे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ,  यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है   |  पाठकों का प्यार मिल रहा है  , कई पाठकों के फोन कॉल आते हैं और कहते हैं आप मध्य प्रदेश से हैं तो आप अपने ब्लॉग पर उज्जैन जो प्राचीन स्थान है ,  उसके बारे में लिखें जिससे बाबा महाकालेश्वर की नगरी के बारे में ,  उसकी    प्राचीनता के बारे में देश ही नहीं विश्व में भी लोग इस शहर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके  |   मैं आपकी जिज्ञासा को जरूर प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा   |  आज मैं पवित्र शहर धार्मिक नगर