उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city
मैं
रघुवीर सिंह
पवार आपके सम्मुख समय-समय पर देश
में होने वाली
घटनाएं ,पर्यावरण ,जल संरक्षण बेरोजगारी ,राजनीतिक चर्चा , रोचक कहानियां और
ऐतिहासिक धरोहर के
बारे में अपने
ब्लॉग , वेबसाइट एवं समाचार पत्रों सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत करता रहता
हूँ | आलेख ,संस्मरण एवं कविता कहानियों को आप
पढ़ते हैं | मेरे द्वारा रचित
रचनाओं को आप जिज्ञासा के
साथ पढ़कर मुझे आगे
और लिखने के
लिए प्रोत्साहित करते हैं, यह मेरे
लिए सौभाग्य की
बात है | पाठकों का प्यार मिल रहा है ,कई पाठकों के फोन कॉल
आते हैं और
कहते हैं आप
मध्य प्रदेश से
हैं तो आप
अपने ब्लॉग पर
उज्जैन जो प्राचीन स्थान है, उसके बारे में
लिखें जिससे बाबा
महाकालेश्वर की नगरी
के बारे में, उसकी प्राचीनता के बारे
में देश ही
नहीं विश्व में
भी लोग इस
शहर के बारे
में जानकारी प्राप्त कर सके | मैं आपकी
जिज्ञासा को जरूर प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा | आज मैं पवित्र
शहर धार्मिक नगरी मंदिरों का घर उज्जैन के बारे में आपको बताऊंगा | मेरे पहले भी कई
महान विद्वानों ने उज्जैन के बारे में उज्जैन की धार्मिकता ,पौराणिक इतिहास , सांस्कृतिक
धरोहर ,महाकाल
का इतिहास , सांस्कृतिक
वैभव के
बारे में प्रस्तुत किया है | धार्मिक
शहर के बारे में आपको बताने का प्रयास कर रहा हूँ | आपको रोचक एवं ज्ञानवर्धक
लगेगा , आपका
प्यार मुझे मिलेगा |
उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city
रघुवीर सिंह पवार आपके सम्मुख समय-समय पर देश में होने वाली घटनाएं ,पर्यावरण ,जल संरक्षण बेरोजगारी ,राजनीतिक चर्चा , रोचक कहानियां और ऐतिहासिक धरोहर के बारे में अपने ब्लॉग , वेबसाइट एवं समाचार पत्रों सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत करता रहता हूँ | आलेख ,संस्मरण एवं कविता कहानियों को आप पढ़ते हैं | मेरे द्वारा रचित रचनाओं को आप जिज्ञासा के साथ पढ़कर मुझे आगे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है | पाठकों का प्यार मिल रहा है ,कई पाठकों के फोन कॉल आते हैं और कहते हैं आप मध्य प्रदेश से हैं तो आप अपने ब्लॉग पर उज्जैन जो प्राचीन स्थान है, उसके बारे में लिखें जिससे बाबा महाकालेश्वर की नगरी के बारे में, उसकी प्राचीनता के बारे में देश ही नहीं विश्व में भी लोग इस शहर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके | मैं आपकी जिज्ञासा को जरूर प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा | आज मैं पवित्र शहर धार्मिक नगरी मंदिरों का घर उज्जैन के बारे में आपको बताऊंगा | मेरे पहले भी कई महान विद्वानों ने उज्जैन के बारे में उज्जैन की धार्मिकता ,पौराणिक इतिहास , सांस्कृतिक धरोहर ,महाकाल का इतिहास , सांस्कृतिक वैभव के बारे में प्रस्तुत किया है | धार्मिक शहर के बारे में आपको बताने का प्रयास कर रहा हूँ | आपको रोचक एवं ज्ञानवर्धक लगेगा , आपका प्यार मुझे मिलेगा |
मंतर वेधशाला की काल गणना ,राजा भरथरी की गुफा का रहस्य , जेसी मई कहानियां उज्जैन से अवतरित हुई है | पग- पग रोटी , डग डग नीर की कल्पना को साकार करने
वाले मालवांचल के प्रमुख नगर उज्जैन को मंदिरों की नगरी कहा जाता है | धार्मिक धरा उज्जैन में, इतने मंदिर देवस्थान है , जिनकी गणना करना असंभव है |
माना जाता है इस पावन देवभूमि में अवतार लेने के लिए देवता भी
तरसते हैं | इस पवित्र स्थान का कंकर भी भगवान शंकर के समान ही है | तभी तो इसे देव भूमि कहा जाता है |
उज्जैन प्राचीन नगरी के 1 दर्जन से अधिक नाम है- इस प्राचीन नगरी के 1 दर्जन से अधिक नाम है, जैसे प्रतिकल्पा , अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा , अमरावती , विशाला, महाकाल वन , हेमश्रंग , चूड़ामणि ,आदि | अनेक नाम वाली उज्जयनी का महत्व द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन का वैभव इसलिए भी अधिक है ,कि यहां 5 वस्तु – श्मशान , उखर, क्षेत्र, हरसिद्धि पीठ तथा वन एक ही स्थान पर है , अन्यत्र एक साथ उज्जैन के अलावा कहीं भी नहीं मिलेंगे |
अनेक पौराणिक मान्यताओं को अपने आप में समेटे उज्जैन के बारे में एक मान्यता यह भी है, कि महाप्रलय के बाद सरष्टि का शुभारंभ उज्जैन नगरी से ही हुआ है | संसार में एक से बढ़कर एक तीर्थ स्थल और तीर्थ नगरी है लेकिन तीर्थों की नगरी कहलाने का गौरव उज्जैन को ही प्राप्त हुवा है |
कहा जाता है कि दुनियाभर के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने से जो लाभ प्राप्त होता है ,उससे अधिक पुण्य उज्जैन नगरी के तीर्थ से मिलता है |
उज्जैन की जीवन रेखा मां शिप्रा
सबसे पहले उज्जैन की जीवन रेखा शिप्रा के बारे में आपको बताता हूँ | गंगा में स्नान करने से सिर्फ पाप
नष्ट होते हैं लेकिन शिप्रा में डुबकी लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है |पुराणों में शिप्रा का अत्यधिक महत्व
बताया है अन्य नदियों में स्नान करने से जो फल मिलता है उससे 10 गुना फल शिप्रा में स्नान करने से मिलता है | शिप्रा नदी गंगा से भी अधिक पवित्र और
पुण्य प्रदान करने वाली नदी है | मन वचन और कर्म से किए गए पापों का विनाश शिप्रा में स्नान करने से हो जाते हैं , शिप्रा नदी मध्य प्रदेश की प्रमुख
नदियों में से एक है इसके किनारे पर प्रमुख धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित है | महाकवि कालिदास ने अपनी रचना मेघदूत
में इसका वर्णन किया है | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ इसी
नदी तट पर स्थित है | भगवान मंगलनाथ एवं सांदीपनि आश्रम , रामघाट शिप्रा तट पर ही है |
शिप्रा नदी का उद्गम स्थल- शिप्रा नदी का उद्गम स्थल इंदौर एवं देवास के मध्य नामक स्थल की
काकडी बलडी से हुआ है | शिप्रा नदी 196 किलोमीटर यात्रा करने के बाद चंबल में मिल जाती है | शिप्रा नदी के किनारे योगेश्वर, भगवान श्रीकृष्ण , बलराम एवं मित्र सुदामा के साथ गुरु
सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की , और भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को
गीता ज्ञान कराया था | इसलिए भी शिप्रा नदी का बड़ा महत्त्व है |
12 वर्ष में लगाने वाला धार्मिक पर्व सिहंस्थ
का मेला भी शिप्रा किनारे लगता है , जिसमें देश-विदेश से लाखो की संख्या
में श्रद्धालु और संत ,महात्मा इस पावन
माह पर्व में आकार मोक्ष दयानी माँ शिप्रा के जल में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित
करते हैं | इस कारण देश-विदेश में उज्जैन का गौरव बड़ा है |
शिप्रा नदी किनारे स्थित घाटो का
ऐतिहासिक महत्व है इन घाटो में रामघाट उज्जैन नगरी का धार्मिक एवं पौराणिक महत्व को बताता है | माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपने पिता जी चक्रवर्ती सम्राट अयोध्या के राजा का श्राद्ध और तर्पण राम घाट पर किया था | अत इसलिए भी शिप्रा नदी का बहुत महत्व है |
महाकालेश्वर- महाकालेश्वर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर
ज्योतिर्लिंग विश्व की आस्था का केंद्र बिंदु है , जो दक्षिण मुखी है | शिप्रा किनारे स्थित सभी की
मनोकामनाएं पूरी करने वाले कालों के काल बाबा महाकाल उज्जैन के अधिपति है | भगवान महाकाल की जय जय कार को न केवल
उज्जैन वासी बल्कि संपूर्ण सृष्टि युगो युगो से सुनती व गाती आ रही है | भूत भावन आशुतोष भगवान महाकालेश्वर की
गणना भारत वर्ष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में की जाती है ,महाकवि कालिदास द्वारा रचित ग्रंथ
रघुवंश में महाकाल की महिमा को विस्तार से वर्णन किया है |
महाकाल शिवलिंग- 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान महाकालेश्वर
ही एक सर्वोत्तम शिवलिंग माना जाता है | आकाश में तारंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग और
पृथ्वी पर महाकाल ही शिवलिंग माना जाता है |
गर्भ गृह में विराजित कालो के काल बाबा महाकाल से कल भी डरता है डरता है |कालों के काल बाबा महाकाल का विशाल
शिवलिंग दक्षिणमुखी है | साथ ही गर्भ में भगवान शिव के परिवार के सदस्य जगत जननी महामाया , माता पार्वती सभी की मनोकामना पूर्ण
करने वाले प्रथम पूज्य पुत्र भगवान गणेश भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा विराजित है | उज्जैन -शिप्रा किनारे बसा उज्जैन विक्रमादित्य की नगरी धार्मिक स्थलों में विश्व विख्यात है |
उज्जैन में कोई भी राजा रात नहीं रुकता - उज्जैन में कोई भी राजा रात नहीं रुकता उज्जैन नगरी के एक ही राजा भगवान
महाकालेश्वर ही है | महापर्कर्मी , तेजस्वी न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य के एक क्षत्र शासन के बाद से कोई भी राजा
उज्जैन में रात नहीं रुक सकता, जिसने भी रुकने का साहस किया उसने परिणाम भुगते है | पोरानिक मत और सिंहासन बत्तीसी की कथा
के अनुसार राजा भोज के ही काल से कोई राजा उज्जैन में रात नहीं रुकता है | वर्तमान में भी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति उज्जैन
के महाकाल क्षेत्र में रात नहीं रुकते हैं | कोई भी बड़ा व्यक्ति उज्जैन सीमा में
आने से पहले भगवान महाकाल के चरणों में अपना पद , गरिमा समर्पित करता है वह एक भक्त की हैसियत से भगवान की आराधना करता है ,क्योंकि भगवान महाकाल ही अधिपति है
महाकाल दर्शन का समय
बाबा महाकाल के दर्शन के लिए लाखों की
संख्या में भग्त गण प्रतिदिन आते हैं |देश विदेश के लोगों में बाबा महाकाल में आस्था लगी हुई है, मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगा
रहता है ,महाकाल दर्शन का
समय प्रातः 4:00 से प्रारंभ होकर रात्रि 11:00 बजे तक महाकाल दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के लिए महाकाल के पट खुले
रहते हैं |
महाकाल मंदिर में भस्म आरती- बाबा महाकाल की प्रतिदिन प्रातः 4:00 बजे भस्म आरती होती है | जिसमें असंख्य भक्तगण भाग लेकर अपना जीवन
धन्य बनाते हैं | एक समय था जब महाकालेश्वर
ज्योतिर्लिंग पर चिता भस्म लेप किया जाता था | लेकिन वर्तमान में मंदिर
परिसर में एक धूना है , जिसमें अखंड रूप से उपले (कंडे ) धीरे-धीरे जलते रहते हैं | उन्हीं से तैयार भस्म का
उपयोग भस्मारती में किया जाता है | पूर्व में इस आरती के समय
भगवान महाकाल का अभिषेक करने के लिए ताजे मुर्दे की भस्म शमशान से लाई जाती थी इसलिए इसे
भस्मारती कहा जाता है | यह आरती अत्यंत भव्य और
मनोहारी होती है |
महाकाल लोक - देशवासियों के लिए शासन दूवारा 856 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल लोक का
विस्तारीकरण किया गया | आपको बता दें महाकाल लोक में 108 स्तंभ लगाए गए हैं। इस स्थान पर भगवान
की 190 मूर्तियां स्थापित हैं। जो भगवान के अलग—अलग रूपों को दर्शाते हैं। एसा प्रतीत होता है की उज्जैन में साक्षात् सवर्ग लोग स्थापित होगया है , यहां बीचों एक कमल कुंड बनाया गया है।
जहां 24 घंटे भगवान भोले नाथ का अभिषेक होगा | यंहा लगी मुर्तिया एसी प्रतीत होती है की अभी बोल पड़े ||
महाकाल लोक का लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया , पीएम ने देशवासियों को बहुत बड़ी सौगात दी | लोकार्पण शाम को हुवा बाबा की नगरी में
इसे लेकर देशभर के साधु संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा आपको बता दें लोकार्पण कार्यक्रम का
प्रसारण 40 देशों और 25 हजार मंदिरों में सीधा प्रसारण हुवा | जिसके लोकर्पण में लाखो लोक साक्षी रहे |
111 बटुको ने मंत्रोच्चार किया -
महाकाल लोक में 52 हजार फल-फूल व औषधि पौधे लगाए गए -महाकाल लोक में 52 हजार फल-फूल व औषधि पौधे लगाए गए हैं । इनमें 12 फीट के 1500 पेड़ हैं। बाकी पौधे हैं जो पर्यावणकी दृष्टि से शुद्ध हवा प्रदान करेंगे । एक-एक पौधा धार्मिक महत्व के हिसाब से रोपित किया गया है । यहां के बिल्व पत्र व फल-फूल महादेव को अर्पित होंगे। |
मध्यप्रदेश भारत का हृदय स्थल
RAGHUVIR SINGH PANWAR |
keep presenting my views in front of you on my blog, website, and newspapers, social media about events happening in the country, environment, water conservation, unemployment, political discussion, interesting stories, and historical heritage. You read articles, memoirs, and poetry stories. You encourage me to write further by reading my creations with curiosity, it is a matter of fortune for me. Readers are getting love, many readers get phone calls and say that if you are from Madhya Pradesh, then write about the ancient place Ujjain on your blog, so about the city of Baba Mahakaleshwar, about its antiquity. People can get information about this city not only in the country but also in the world. I will definitely try to satisfy your curiosity. Today I will tell you about Ujjain, the holy city, the religious city, the home of temples. Even before me, many great scholars have presented about Ujjain's religiousness, mythological history, cultural heritage, history of Mahakal, and cultural splendor of Ujjain. Trying to tell you about the religious city. You will find it interesting and informative, I will get your love.
उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city
Mahakal Shivling |
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