उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city



मैं
रघुवीर सिंह पवार आपके सम्मुख सम-समय पर देश में होने वाली घटनाएं ,पर्यावरण ,जल संरक्षण बेरोजगारी ,राजनीतिक चर्चा , रोचक कहानियां और ऐतिहासिक धरोहर के बारे में अपने ब्लॉग , वेबसाइट एवं समाचार पत्रों सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत करता रहता हूँ | आलेख ,संस्मरण एवं कविता कहानियों को आप पढ़ते हैं  | मेरे द्वारा रचित रचनाओं को आप  जिज्ञासा के साथ   पढ़कर मुझे आगे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैंयह मेरे लिए सौभाग्य की बात है  | पाठकों का प्यार मिल रहा है ,कई पाठकों के फोन कॉल आते हैं और कहते हैं आप मध्य प्रदेश से हैं तो आप अपने ब्लॉग पर उज्जैन जो प्राचीन स्थान हैउसके बारे में लिखें जिससे बाबा महाकालेश्वर की नगरी के बारे मेंउसकी  प्राचीनता के बारे में देश ही नहीं विश्व में भी लोग इस शहर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके |  मैं आपकी जिज्ञासा को जरूर प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा  | आज मैं पवित्र शहर धार्मिक नगरी मंदिरों का घर उज्जैन के बारे में आपको बताऊंगा |  मेरे पहले भी कई महान विद्वानों ने उज्जैन के बारे में उज्जैन की धार्मिकता ,पौराणिक इतिहास , सांस्कृतिक धरोहर ,महाकाल का इतिहास , सांस्कृतिक वैभव  के बारे में प्रस्तुत किया है |  धार्मिक शहर के बारे में आपको बताने का प्रयास कर रहा हूँ  | आपको रोचक  एवं ज्ञानवर्धक लगेगा , आपका प्यार मुझे मिलेगा |

 उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city



JYOTIRLINGA MAHAKAL

उज्जैन  का नाम मस्तिष्क  में आते हीबाबा महाकाल का मंदिर आंखों के सामने आ ही जाता है  | पुण्य सलिला मोक्ष प्रदान करने  करने वाली  माँ शिप्रा  की कलरव  ध्वनी  मन को मोह लेती है ,  मन को प्रफुल्लित करती है |  मंगल दोष का निवारण करने वाले भगवान मंगलनाथ की भात पूजा,  प्रातः 4:00 बजे होने वाली  बाबा महाकाल की भस्माआरतीविक्रमादित्य का न्याय प्रिय शासन , बाबा काल भैरव का मदीरा पान का भोग , मां गढ़कालिका का चमत्कार, 12 वर्षों में लगने वाले महापर्व कुंभ ,  विश्वविख्यात महाकवि कालिदास की कविताओं का इतिहासशिप्रा किनारे स्थित महान संतों के अखाड़े  ,गुरु सांदीपनि की शिक्षा जहां परम परमेश्वर , योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का शिक्षा ग्रहण करना  , 84 महादेव की पंचकोसी परिक्रमा , गोपाल मंदिर की घंटियों की आवाज , हरसिद्धि देवी की दीपशिखा ,  विक्रम विश्वविद्यालय का  इतिहास  “जंतर

मंतर वेधशाला की  काल गणना  ,राजा भरथरी की गुफा का रहस्य ,  जेसी  मई कहानियां  उज्जैन से  अवतरित  हुई है  |  पग- पग रोटी , डग डग नीर की कल्पना को साकार करने वाले  मालवांचल के  प्रमुख नगर  उज्जैन को मंदिरों की नगरी कहा जाता है  | धार्मिक धरा उज्जैन में,  इतने मंदिर देवस्थान है , जिनकी गणना करना असंभव है |

 माना जाता है इस पावन देवभूमि में अवतार लेने के लिए देवता भी तरसते हैं  |  इस पवित्र  स्थान का कंकर भी  भगवान शंकर के समान  ही है |  तभी तो इसे देव भूमि कहा जाता है | 

 उज्जैन  प्राचीन नगरी के 1 दर्जन से अधिक  नाम है- इस प्राचीन नगरी के 1 दर्जन से अधिक  नाम है,  जैसे प्रतिकल्पा , अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा ,  अमरावती , विशाला, महाकाल वन ,   हेमश्रंग ,  चूड़ामणि ,आदि  | अनेक नाम वाली उज्जयनी का महत्व  द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन का वैभव इसलिए भी अधिक है ,कि यहां 5 वस्तु – श्मशान ,  उखर, क्षेत्र, हरसिद्धि पीठ तथा वन  एक ही स्थान पर है , अन्यत्र एक साथ उज्जैन के अलावा कहीं भी नहीं मिलेंगे  | 

अनेक पौराणिक मान्यताओं को अपने आप में समेटे उज्जैन के बारे में एक मान्यता यह भी है, कि महाप्रलय के बाद सरष्टि  का शुभारंभ उज्जैन नगरी से ही  हुआ है |  संसार में एक से बढ़कर एक तीर्थ स्थल और तीर्थ नगरी है लेकिन तीर्थों की नगरी कहलाने का गौरव उज्जैन को ही प्राप्त  हुवा है |

 कहा जाता है कि दुनियाभर के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने से जो लाभ प्राप्त होता है ,उससे अधिक पुण्य उज्जैन नगरी के तीर्थ से मिलता है |

  

उज्जैन की जीवन रेखा मां शिप्रा

सबसे पहले उज्जैन की जीवन रेखा शिप्रा के बारे में आपको बताता हूँ |  गंगा में स्नान करने से सिर्फ पाप नष्ट होते हैं लेकिन शिप्रा में डुबकी लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है  |पुराणों में शिप्रा का अत्यधिक महत्व बताया है अन्य नदियों में स्नान करने से जो फल मिलता है उससे 10 गुना फल शिप्रा  में स्नान करने से मिलता है  | शिप्रा नदी गंगा से भी अधिक पवित्र और पुण्य प्रदान करने वाली नदी है  | मन वचन और कर्म से किए गए पापों का विनाश शिप्रा  में स्नान करने से हो जाते हैं , शिप्रा नदी मध्य प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है इसके किनारे पर प्रमुख धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित है  | महाकवि कालिदास ने अपनी रचना मेघदूत में इसका वर्णन किया है | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ इसी नदी तट पर स्थित है | भगवान मंगलनाथ एवं सांदीपनि आश्रम , रामघाट शिप्रा तट पर ही है  |

शिप्रा नदी  SAHITY SANGAM 



शिप्रा नदी का उद्गम स्थल-शिप्रा नदी का उद्गम स्थल इंदौर एवं देवास के मध्य नामक स्थल की काकडी बलडी से हुआ है | शिप्रा नदी 196 किलोमीटर यात्रा करने के बाद चंबल  में मिल जाती है  | शिप्रा नदी के किनारे योगेश्वरभगवान श्रीकृष्ण , बलराम एवं मित्र सुदामा के साथ गुरु सांदीपनि से  शिक्षा प्राप्त की , और भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान कराया था | इसलिए भी शिप्रा नदी का बड़ा  महत्त्व है |

 12 वर्ष  में लगाने वाला धार्मिक पर्व सिहंस्थ का  मेला भी  शिप्रा किनारे लगता है , जिसमें देश-विदेश से लाखो की संख्या में  श्रद्धालु  और संत ,महात्मा इस पावन माह पर्व में आकार मोक्ष दयानी माँ शिप्रा  के जल में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं  | इस कारण देश-विदेश में उज्जैन का गौरव बड़ा है |

 शिप्रा नदी किनारे स्थित घाटो का ऐतिहासिक महत्व है इन घाटो  में रामघाट उज्जैन नगरी का धार्मिक एवं पौराणिक महत्व  को बताता है  | माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपने  पिता जी  चक्रवर्ती सम्राट अयोध्या के राजा  का श्राद्ध और तर्पण  राम घाट  पर किया था  |  अत इसलिए भी शिप्रा नदी का बहुत महत्व  है  |

महाकालेश्वर-महाकालेश्वर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व की आस्था का केंद्र बिंदु है , जो दक्षिण मुखी है |  शिप्रा किनारे स्थित सभी की मनोकामनाएं पूरी करने वाले कालों के काल बाबा महाकाल उज्जैन के अधिपति है |  भगवान महाकाल की जय जय कार को न केवल उज्जैन वासी बल्कि संपूर्ण सृष्टि युगो युगो से सुनती व गाती आ रही है |  भूत भावन आशुतोष भगवान महाकालेश्वर की गणना भारत वर्ष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में की जाती है ,महाकवि कालिदास द्वारा रचित ग्रंथ रघुवंश में महाकाल की महिमा को विस्तार से  वर्णन किया है  |



महाकाल शिवलिंग-12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान महाकालेश्वर ही एक सर्वोत्तम शिवलिंग माना जाता है  |  आकाश में तारंगपाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग और पृथ्वी पर महाकाल ही शिवलिंग  माना जाता है  |

गर्भ गृह में  विराजित  कालो के काल बाबा महाकाल से  कल भी डरता है डरता है  |कालों के काल बाबा महाकाल का विशाल शिवलिंग दक्षिणमुखी है  | साथ ही गर्भ में भगवान शिव के परिवार के सदस्य जगत जननी महामाया ,  माता पार्वती सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाले प्रथम पूज्य  पुत्र भगवान गणेश भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा विराजित है  |      उज्जैन -शिप्रा किनारे बसा उज्जैन विक्रमादित्य की नगरी धार्मिक स्थलों में विश्व विख्यात है 

 उज्जैन में कोई भी राजा रात नहीं रुकता -उज्जैन में कोई भी राजा रात नहीं रुकता  उज्जैन नगरी के एक ही राजा भगवान महाकालेश्वर ही है |  महापर्कर्मी , तेजस्वी न्यायप्रिय  राजा विक्रमादित्य के  एक  क्षत्र शासन के बाद से कोई भी राजा उज्जैन में रात नहीं रुक सकता,  जिसने भी रुकने का साहस किया उसने परिणाम भुगते   है | पोरानिक मत और सिंहासन बत्तीसी की कथा के अनुसार राजा भोज के  ही  काल से  कोई राजा  उज्जैन में रात नहीं रुकता है  | वर्तमान में भी मुख्यमंत्रीप्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति उज्जैन के महाकाल क्षेत्र में रात नहीं रुकते हैं  | कोई भी बड़ा व्यक्ति उज्जैन सीमा में आने से पहले भगवान महाकाल के चरणों में अपना पद , गरिमा  समर्पित करता है वह  एक भक्त  की हैसियत से भगवान की आराधना करता है  ,क्योंकि भगवान महाकाल ही अधिपति है  

महाकाल दर्शन का समय

  बाबा महाकाल के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भग्त गण  प्रतिदिन आते हैं  |देश विदेश के लोगों में बाबा महाकाल में आस्था लगी हुई है,  मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है ,महाकाल दर्शन का समय प्रातः 4:00 से प्रारंभ होकर रात्रि 11:00 बजे तक महाकाल दर्शन के लिए  श्रद्धालुओं के लिए महाकाल के पट खुले रहते हैं  |

महाकाल मंदिर में भस्म आरती- बाबा महाकाल की प्रतिदिन प्रातः 4:00 बजे भस्म आरती होती है  | जिसमें असंख्य  भक्तगण भाग लेकर अपना जीवन धन्य बनाते हैं  | एक समय था जब महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर चिता भस्म लेप किया जाता था  | लेकिन वर्तमान में मंदिर परिसर में एक धूना है , जिसमें अखंड रूप से उपले (कंडे )  धीरे-धीरे जलते रहते हैं | उन्हीं से तैयार भस्म का उपयोग भस्मारती में  किया जाता है |  पूर्व में इस आरती के समय भगवान महाकाल का अभिषेक करने के लिए ताजे मुर्दे की भस्म शमशान  से लाई जाती थी इसलिए इसे भस्मारती कहा जाता है  | यह आरती अत्यंत भव्य और मनोहारी होती है  |


महाकाल लोक -देशवासियों  के लिए शासन दूवारा 856 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल लोक का विस्तारीकरण  किया गया | आपको बता दें महाकाल लोक में 108 स्तंभ लगाए गए हैं। इस स्थान पर भगवान की  190 मूर्तियां स्थापित हैं। जो भगवान के अलगअलग रूपों को दर्शाते हैं।  एसा प्रतीत होता है   की उज्जैन में साक्षात्  सवर्ग लोग स्थापित  होगया है , यहां बीचों एक कमल कुंड बनाया गया है। जहां 24 घंटे भगवान भोले नाथ का अभिषेक होगा | यंहा लगी मुर्तिया  एसी प्रतीत होती है की अभी बोल पड़े ||

MAHAKAL LOK SAHITY SANGAM


महाकाल लोक का लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया  , पीएम ने  देशवासियों को बहुत बड़ी  सौगात दी | लोकार्पण शाम को हुवा बाबा की नगरी में इसे लेकर देशभर के साधु संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा   आपको बता दें लोकार्पण कार्यक्रम का प्रसारण 40 देशों और 25 हजार मंदिरों में सीधा प्रसारण हुवा | जिसके लोकर्पण में लाखो लोक साक्षी रहे |

111 बटुको ने मंत्रोच्चार किया -ज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण में देशभर से 111 बटूक पहुंचे और मंत्रोच्चार किया |मंत्रोचार की ध्वनि से पूरा महाकाल लोक के साथ  पूरा वायुमंडल मन्त्र मुग्ध हो गया | ॐ नमः शिवाय की गूंज  लोगों के हृदय में गूंजती  रही |

महाकाल  लोक  में  52 हजार फल-फूल व औषधि पौधे लगाए गए  -हाकाल लोक में 52 हजार फल-फूल व औषधि पौधे लगाए गए  हैं । इनमें 12 फीट के 1500 पेड़ हैं। बाकी पौधे हैं जो पर्यावणकी दृष्टि से  शुद्ध हवा प्रदान करेंगे । एक-एक पौधा धार्मिक महत्व के हिसाब से रोपित किया गया है  । यहां के बिल्व पत्र व फल-फूल महादेव को अर्पित होंगे। |


उज्जैन दर्शन के लिए  कब और कैसे पहुंचें- वैसे लोग  बाबा  महाकाल के दर्शन के  लिए  आस्था के साथ लगातार  यहाँ आते रहते हैं  लेकिन अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के मौसम में यहाँ की यात्रा के लिए बेहतरीन समय है।  श्रावण महा में अत्यधिक संख्या में भक्त गण आते है | बाबा महाकाल की श्रावण सवारी का विशेष  महत्त्व है | श्रावण के सोमवार को बाबा अपने भक्तो की मनोकामनाए पूरी करने के लिए व लोगो के हाल-चाल जानने के लिए नगर भर्मण करते है |  उज्जैन सड़करेल और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। इंदौर का महारानी अहिल्या बाई होल्कर एअरपोर्ट सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है जहाँ से महाकालेश्वर की दूरी 56 कि.मी. है । रेल से यात्रा करनी हो तो उज्जैन शहर में उज्जैन सिटी जंक्शनविक्रम नगर और चिंतामन (मीटर गेज) तीन प्रमुख रेलवे स्टेशन हैंसड़क से इंदौर होते हुए आसानी से उज्जैन पहुँच सकते हैं | 

मध्यप्रदेश भारत का हृदय स्थल


I, Raghuveer Singh Pawar, 
RAGHUVIR SINGH PANWAR

keep presenting my views in front of you on my blog, website, and newspapers, social media about events happening in the country, environment, water conservation, unemployment, political discussion, interesting stories, and historical heritage. You read articles, memoirs, and poetry stories. You encourage me to write further by reading my creations with curiosity, it is a matter of fortune for me. Readers are getting love, many readers get phone calls and say that if you are from Madhya Pradesh, then write about the ancient place Ujjain on your blog, so about the city of Baba Mahakaleshwar, about its antiquity. People can get information about this city not only in the country but also in the world. I will definitely try to satisfy your curiosity. Today I will tell you about Ujjain, the holy city, the religious city, the home of temples. Even before me, many great scholars have presented about Ujjain's religiousness, mythological history, cultural heritage, history of Mahakal, and cultural splendor of Ujjain. Trying to tell you about the religious city. You will find it interesting and informative, I will get your love.


उज्जैन नगरी का रहस्य (Secret of Ujjain city

As soon as the name of Ujjain comes to mind, the temple of Baba Mahakal comes in front of the eyes. The chirping sound of Maa Shipra, who bestows salvation, fascinates the mind and makes the mind happy. Bhat Puja of Lord Mangalnath, who removes Mangal Dosha, Bhasma Aarti of Baba Mahakal to be held at 4:00 am, Vikramaditya's justice-loving rule, Baba Kaal Bhairav's enjoyment of Madeira Paan, Miracle of Maa Gadkalika, Mahaparva to be held in 12 years Kumbh, the history of the poems of the world-renowned great poet Kalidas, the arena of great saints located on the banks of Shipra, the education of Guru Sandipani, where the supreme God, Yogeshwar Lord Krishna received education, 84 Panchkosi Parikrama of Mahadev, the sound of the bells of Gopal temple, Harsiddhi Devi Deepshikha, History of Vikram University “Jantar
Time calculation of the Mantar observatory, the mystery of King Bharthari's cave, and stories like these have descended from Ujjain. Ujjain, the main city of Malvanchal, which fulfills the imagination of Pag Pag Roti, Dug Dug Neer, is called the city of temples. In the religious land of Ujjain, there are so many temples and shrines, which are impossible to count.
  It is believed that even the gods yearn to incarnate in this holy land. The pebble of this holy place is also similar to Lord Shankar. That's why it is called Dev Bhoomi.
The Ujjain ancient city has more than 1 dozen names
This ancient city has more than 1 dozen names, such as Pratikalpa, Avantika, Ujjayani, Kanakshranga, Amaravati, Vishala, Mahakal Van, Hemshrang, Chudamani, etc. The importance of Ujjayini with many names, the glory of Ujjain, the city of Dwadash Jyotirlinga Lord Mahakaleshwar, is even greater because here 5 things – crematorium, Ukhar, Kshetra, Harsiddhi Peeth, and forest are at one place, nowhere else except Ujjain together. will meet There is also a belief about Ujjain, which contains many mythological beliefs in itself, that after the great deluge, creation started from the city of Ujjain. There is more than one pilgrimage site and pilgrimage city in the world, but Ujjain has got the pride of being called the city of pilgrimages.
  It is said that the benefits that one gets from visiting pilgrimage sites around the world are more meritorious than the pilgrimage to Ujjain city.

 Mother Shipra, the lifeline of Ujjain-  First of all let me tell you about Shipra, the lifeline of Ujjain. Bathing in the Ganges only destroys sins, but taking a dip in the Shipra gives salvation. In the Puranas, the importance of Shipra has been told, the results obtained from bathing in other rivers are 10 times more than those obtained by bathing in Shipra. | Shipra River is a more holy and virtuous river than Ganga. Sins committed by mind, words, and deeds are destroyed by taking a bath in Shipra, Shipra river is one of the major rivers of Madhya Pradesh, on its banks the major religious city Ujjain is situated. Mahakavi Kalidas has described it in his composition Meghdoot. Mahakaleshwar Jyotirlinga and one of the 51 Shaktipeeths are situated on the banks of this river. Lord Mangalnath and Sandipani Ashram, Ramghat are on the banks of Shipra.
Mother Shipra SAHITY SANGAM


 
Origin of Shipra River -Shipra River originates from Kakdi Baldi at a place called between Indore and Dewas. Shipra River joins Chambal after traveling 196 km. Yogeshwar, along with Lord Krishna, Balram, and his friend Sudama, received education from Guru Sandipani on the banks of the Shipra river, and Lord Shri Krishna taught Gita to Arjuna. That's why the Shipra River has great importance.
  Simhanstha, a religious festival held every 12 years, is also held on the banks of Shipra, in which lakhs of devotees and saints, Mahatmas from India and abroad, in this auspicious month, take a bath in the water of Aakar Moksha Dayani Maa Shipra and earn virtuous benefits. | For this reason Ujjain has great pride in the country and abroad.
  The ghats located on the banks of the Shipra River have historical significance. In these ghats, the Ramghat tells the religious and mythological importance of the city of Ujjain. It is believed that Maryada Purushottam Lord Shri Ramchandra ji had performed Shradh and Tarpan of his father Chakravarti Samrat, the king of Ayodhya at Ram Ghat. So that's why the Shipra river is very important.
Mahakaleshwar-  Mahakaleshwar Jyotirlinga 1 out of 12 Jyotirlinga Mahakaleshwar Jyotirlinga is the focal point of the faith of the world, which is south facing. Kaal Baba Mahakal, who fulfills everyone's wishes located on the banks of Shipra, is the ruler of Ujjain. Not only the residents of Ujjain, but the entire creation has been listening and singing the Jai Jai car of Lord Mahakal for ages. Bhoot Bhavan Ashutosh Lord Mahakaleshwar is counted among the twelve Jyotirlingas of India, the glory of Mahakal has been described in detail in the book Raghuvansh composed by the great poet Kalidas. 
Mahakal Shivling


Mahakal Shivling- Among the 12 Jyotirlingas, Lord Mahakaleshwar is considered to be the best Shivling. Tarang in the sky, Hatkeshwar Shivling in the underworld, and Mahakal on earth are considered to be the Shivling.
Tomorrow is also afraid of Mahakal, the Kaal Baba of blacks ensconced in the sanctum sanctorum. Along with this, the statue of Lord Ganesha, Lord Kartikeya, the first worshipable son who fulfills the wishes of all, the mother of the world, Mahamaya, Mother Parvati, a member of the family of Lord Shiva, is enshrined in the womb.

No king stays night in Ujjain - No king stays night in Ujjain Lord Mahakaleshwar is the only king of Ujjain city. No king can stay the night in Ujjain since the one Kshatra rule of Mahaparkarmi, Tejasvi Justice King Vikramaditya, whosoever dares to stay has to face the consequences. According to mythology and the legend of Sinhasan Battisi, since the time of Raja Bhoj, no king has stayed the night in Ujjain. Even at present, the Chief Minister, the Prime Minister, and the President do not spend the night in the Mahakal area of Ujjain. Before coming to the Ujjain border, any great person surrenders his position, and dignity at the feet of Lord Mahakal, he worships God as a devotee, because Lord Mahakal is the ruler.


Mahakal darshan time - Lakhs of devotees come daily to visit Baba Mahakal. People from all over the country and abroad have faith in Baba Mahakal, and there is an influx of visitors to the temple. The doors of Mahakal remain open for the devotees for Mahakal Darshan till 11:00 am


Bhasm Aarti in Mahakal Temple - Every day at 4:00 am Bhasm Aarti of Baba Mahakal takes place. In which innumerable devotees participate and make their lives blessed. There was a time when Chita Bhasma was applied on the Mahakaleshwar Jyotirlinga. But at present there is a dhuna in the temple premises, in which the cow dung cakes keep on burning slowly. The ashes prepared from them are used in Bhasmarti. Earlier, during this aarti, the ashes of fresh dead were brought from the crematorium to anoint Lord Mahakal, hence it is called Bhasmarti. This aarti is very grand and beautiful.


Mahakal Lok - Mahakal Lok was expanded by the government at Rs 856 crore for the countrymen. Let us tell you that 108 pillars have been installed in Mahakal Lok. There are 190 idols of God installed at this place. Which show different forms of God. It seems that heaven has been established in Ujjain, here a lotus pond has been made in the middle. Where Lord Bhole Nath will be anointed for 24 hours. The statues placed here seem as if they are about to speak now.


Mahakal Lok was inaugurated by PM Narendra Modi, PM gave a big gift to the countrymen. Saints and devotees from all over the country gathered for this in Baba's city on the evening of the inauguration. Let us tell you that the inauguration program was broadcast live in 40 countries and 25 thousand temples. Millions of people were witnesses whose dedication.


111 batiks chanted mantras - 111 batiks from all over the country reached for the inauguration of Mahakal Lok in Ujjain and chanted mantras. With the sound of chanting, the entire atmosphere along with Mahakal Lok got mesmerized. The echo of Om Namah Shivay kept echoing in the hearts of the people.


52 thousand fruit-flower and medicinal plants have been planted in Mahakal Lok - 52 thousand fruit-flower and medicinal plants have been planted in Mahakal Lok. There are 1500 trees of 12 feet in these. The rest are plants that will provide environmentally pure air. Each tree has been planted according to its religious importance. Bill leaves and fruits and flowers here will be offered to Mahadev. ,


When and how to reach Ujjain for darshan- Well people keep coming here with faith to see Baba Mahakal but the winter season from October to March is the best time to visit here. A large number of devotees come to Shravan Maha. Baba Mahakal's Shravan ride has special significance. On the Monday of Shravan, Baba visits the city to fulfill the wishes of his devotees and to know the condition of the people. Ujjain is connected by road, rail, and air. Maharani Ahilya Bai Holkar Airport of Indore is the nearest airport, from where the distance of Mahakaleshwar is 56 km. Is. If you want to travel by rail, there are three major railway stations in Ujjain City, Ujjain City Junction, Vikram Nagar, and Chintaman (meter gauge), you can easily reach Ujjain via Indore by road






   

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