जब बेटे को पिता से शर्म आने लगी

जब बेटे को पिता से शर्म आने लगी – एक भावनात्मक सच्चाई पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित एक हृदयस्पर्शी हिंदी कहानी) ( पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित एक हृदयस्पर्शी हिंदी कहानी) धूप तेज थी , मगर चेहरे पर उम्मीद की ठंडक थी। एक वृद्ध , थका-हारा , पसीने से भीगा आदमी शहर के बड़े ऑफिस की ओर बढ़ रहा था। उसके हाथ में मिठाई का डिब्बा था , और दिल में सालों की मेहनत से उपजा गर्व — क्योंकि आज वो अपने बेटे , एक बड़े अधिकारी , से मिलने आया था। उसका नाम था शंकर लाल , जो कभी रिक्शा चलाता था , कभी माली का कम करता था , कभी दिहाड़ी करता — सिर्फ इसलिए कि उसका बेटा प्रमोद पढ़-लिखकर एक दिन बड़ा आदमी बने।उसके बुढ़ापे का सहारा बने आज प्रमोद शहर का बड़ा अफसर है। पिता उसी बेटे से मिलने पहली बार उसके ऑफिस पहुंचा। गेट पर रुककर बोला , " बेटा है मेरा , प्रमोद ... उससे मिलना है।" सुरक्षा गार्ड ने फोन किया। जवाब आया — " बोल दो मीटिंग में हूं। और आगे से ऐसा कोई आए तो अंदर ...