संघर्ष की राह कहानी सम्पूर्ण
प्रिय पाठकवृंद,
जीवन की हर राह आसान नहीं होती, कुछ राहें संघर्ष से ही मंज़िल तक पहुँचती हैं — “संघर्ष की राह” उसी भावना की कहानी है।
आप सभी ने इस यात्रा में जो स्नेह, अपनापन और उत्साह दिया, उसके लिए मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ।
अब यह कहानी अपने सम्पूर्ण रूप में आपके सामने है।
आपसे विनम्र अनुरोध है — इसे पूरी आत्मा से पढ़ें और अपनी अनुभूतियाँ, प्रतिक्रियाएँ और सुझाव अवश्य साझा करें।
आपके शब्द ही मेरे लेखन की असली प्रेरणा हैं।
स्नेह सहित,
— रघुवीर सिंह पंवार
संघर्ष की राह
कहानी भाग 1
भारत देश कृषि प्रधान देश है | भारत देश की एक
तिहाई आबादी कृषि करके अनाज पैदा कर देशवासियों के पेट के भूख की ज्वाला
को शांत करते हैं | लोग अन्न ग्रहण करके
जीवित रहते हैं | इसका श्रेय
किसान को जाता है | दुनिया को अन्न देने वाले किसान
दिन-रात चिलचिलाती धूप ,कंपकपाती ठंड और
बारिश में कार्य करके किसान खेती करते हैं | तभी कहीं जाकर
दुनिया के लोगों का पेट भर पाता है |
लेकिन किसान को उसकी मेहनत का फल उसके कार्य
के अनुसार नहीं मिल पाता है | कभी कम वर्षा , अतिवृष्टि , अनावृष्टि ओलों
से उसकी फसल नष्ट हो जाती हैं | इस कारण वह अपने परिवार का भरण पोषण ,बच्चों की उच्च
शिक्षा, बेटे बेटियों की
शादी के अरमान भी पुरे नहीं कर पाता है | हमारे देश के
किसान की हालत दयनीय होती जा रही है |
बैंक से लोन लेकर किसान खाद बीज दवाइयां लेकर
खेत में बुवाई करता है | उसको मालूम नहीं
रहता कि जो बीज खेत में बिखेरे हैं ,उस से उस को लाभ होगा या हानि , फिर भी सागर
जैसा हृदय रखने वाला किसान चुनौती स्वीकार करके अनवरत अपना काम करता रहता है |
यदि अच्छी फसल पैदा होती है तो वह खुश होकर भगवान
का धन्यवाद करता है, मन में कई
प्रकार के सपने देखता है सोचता है बच्चों की शिक्षा बेटे बेटियों की शादी अच्छा घर
बनाने की बात , जब फसल बेचने
मंडी जाता है तो उसके अनाज की कीमत बोली लगाकर व्यापारी तय करते हैं , और वह कातर
दृष्टि से उनके मुंह की तरफ देखता है | उसको उचित भाव मिलते हैं
या नहीं
| मजबूरी में अपनी
फसल का सौदा करता है |
मध्य भारत के शेरपुर गांव में एक साधारण
किसान परिवार राममोहन की कहानी जो संघर्ष करके अपने परिवार का भरण पोषण करता है, गांव मे शिक्षा
का स्तर न के बराबर गांव मे अधिकतर
लोग परंपरागत तरीके से कृषि कार्य करते है । गाँव मे हॉस्पिटल ,मिडिल स्कूल, आंगनवाडी , खेल मैदान का
अभाव है। गांव के किसान गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं।
राममोहन अपनी पत्नी सुरेखा पुत्र
राहुल, रोहित बेटी प्रियंका दो बहुए प्रीति आशा के साथ परिवार
मे रहते है | रोहित की पढ़ाई से
गांव में सामाजिक, आर्थिक तरीके मे
बदलाव की एक प्रेरणादायक गाथा की कहानी है ।
यह कहानी सिखाती है कि कैसे एक शिक्षित
व्यक्ति के प्रयास से पूरे गांव में सकारात्मक बदलाव ला सकते है।
राममोहन शेरपुर गांव का एक साधारण किसान है। जिसके
परिवार में पत्नी जिसका नाम सुरेखा हे, दो बेटे व एक बेटी है मेहनत करके राममोहन
अपने परिवार का लालन-पालन करता है | बेटा राहुल जिसकी उम्र 18 वर्ष छोटा बेटा
रोहित
13 वर्ष का है एवं छोटी बेटी
आशा जिसकी उम्र १०वर्ष है | बड़ा बेटा राहुल पाँचवी कक्षा तक पढ़ा है, वह पिता के काम
में सहयोग करता है । छोटा बेटा रोहित गांव के सरकारी विद्यालय मे कक्षा 8 वी मे पढ़ाई कर
रहा है | बेटी आशा भी
गांव के स्कूल में पढ़ने जाती है । टूटा-फूटा कच्चा घर है ,जिस पर खपरैल व
बरसाती लगी हुई हैं । बरसात के दिनो में घर में पानी भर जाता है । रात के समय
परिवार वाले कोने में बैठकर बारिश रुकने की राह देखते है | परिवार का जीवन
कई उतार-चढ़ाव के साथ संघर्षमय तरीको से गुजर रहा है | पिता अपने बच्चो
के भविष्य के बारे में चिंतित है । पिता का सपना है । बड़े बेटे को पढ़ा नहीं पाया, अब छोटे बेटे को
एवं बेटी को पढ़ा लिखा कर अच्छा आदमी बनाऊगाँ| वे अपने पैर पर
खड़े हो जाएगें। बड़े बेटे राहुल की शादी के अरमान मन में है |लेकिन क्या करें
वर्षा कम होने के कारण अनाज का उत्पादन बहुत कम हुआ, पिछले वर्ष खेती के लिए साहूकार से लिए कर्ज
का ब्याज भी चुका नहीं पाया। साहूकार पैसे के लिए तगादा कर रहा। मन में बेटे
बेटियों की पढ़ाई 'राहुल के विवाह
की चिंता सताए जा रही दिन का चैन और रात की नींद परेशान कर रही।
पिता को चिंतित देख राहुल पूछता है। पिताजी
आप चिंतित क्यों हो रहे हो ? पिताजी पूरी बात
बेटे को बताते हैं । पिताजी आप परेशान मत होइए। सब ठीक हो जाएगा। चिंता करने से आप
बीमार हो जाओगे ।
पिता कहते है. बेटा फसल पूरी खराब हो गई है.
और छोटे बेटे को आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेजना है। अच्छे स्कूल में दाखिला. शहर
में कमरे का किराया भी कंहा से व्यवस्था कर पाऊंगा। जिस व्यक्ति से हमने खाद -बीज
के लिए उधार रुपया लिया था। उसका ब्याज भी नहीं दे पाए।
क्या करू समझ मे नही आ
रहा है |
यदि रुपये पैसे
की व्यवस्था नहीं हुई तो
छोटे की आगे की पढाई कैसे पूरी होगी।
दोनो की बात खत्म ही नहीं हुई और छोटा बेटा -
पिताजी- भैया कहता हुआ आया और पिताजी के चरण छूकर बोला
आज मेरा रिजल्ट आ गया है मैं प्रथम श्रेणी से पास हुआ हु भावुक होकर
बोलता जा रहा है |
पिताजी की खुशी का ठिकाना नहीं भाऊकता के
कारण आँखों से आँसू निकल रहे है।
अपने आपको रोक नहीं पा रहे राहुल छोटे भाई को गले लगाकर गद गद हो रहा है। माँ
सुरेखा एवं छोटी बहन आशा भी आ जाती है। माँ बोल ही है |
क्या हुवा सभी लोग खुश हो रहे हो मुझे भी तो
बताओ किस बात की खुशी हो रही है। पिताजी कहते हैं। रोहित ने कक्षा 8 वी अच्छे नम्बर
से पास की है। रोहित माँ के चरण पकड़ कर प्रणाम करता है । माँ
अपने बेटे को गले लगा लेती हैं , और बोलती है । हमारे घर में आज सभी बहुत खुश
है , मैं सभी के लिए
खीर पुड़ी बनाती हु । छोटा बेटा रोहित भावुक होकर कहता है पिताजी आगे की पढ़ाई के
लिए मेरे साथी शहर जा रहे हैं। बता रहे थे | शहर में पढ़ाई के लिए काफी खर्च होगा, हमारी आर्थिक
स्थिति तो बहुत खराब है
। हमारे घर में तो पहले से परेशानियों ने डेरा डाला हुवा है। आप पहले से परेशान हो . दिन
रात चिन्ता करते रहते हो | इस साल फसल भी खराब हो गई है ।
आप चिंतित न हो मैंने आठची तक पढ़ाई. करली है । मै भी बड़े
भैया की तरह आपके काम में हाथ बटाऊंगा। पिताजी का चेहरा मुरझा गया. बेटे की बात
सुनकर मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे |
इतने मे राहुल ने कहा छोटे तुझे चिंता करने
की जरूरत नही है में दिन रात मेहनत करके तुझे पड़ा कर अपने पिताजी का सपना साकार
करुगा , पिताजी ने राहुल को गले लगा
लिया। सभी ने साथ में खाना खाया। और सभी सो गए।
अगले दिन राहुन माता पिता को प्रणाम कर शहर गया। सोच रहा था, मैं पड़ा लिखा
भी नहीं हु | मुझे कोई
पहचानता भी नहीं मुझे कोन काम पर रखेगा सोचते -सोचते वह शहर की अनाज मंडी में पहुंच गया। उसे अनाज
मंडी में हम्माली का काम मील गया | उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने भगवान का
धन्यवाद किया और कहा अब मै जी तोड़ काम करके आपने भाई और परिवार का सपना पूरा करूंगा | इतने मे
व्यापारी कहता है, ईमानदारी से काम
करना पड़ेगा, अनाज के बोरे
पीठ पर लादकर थप्पी जमाना है |
मक्कारी मत करना और रोज
सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम करना
पड़ेगा। राहुल जी साहब मे अपना काम पूरी ईमानदारी से मन लगा कर करूँगा | आपको शिकायत का मोका
नहीं दूंगा |
कल से आ जाना और
अपना खाना साथ लेकर आना। ठीक है सेठ जी आपका बहुत- बहुत धन्यवाद मुझे काम की बहुत
आवश्यकता थी। आपने काम देकर मेरे एवं मेरे परिवार पर बहुत बड़ा उपकार
किया | मैं कल से काम
पर आजाऊंगा|
संघर्ष की राह भाग 2
राहुल की ईमानदारी:- आज राहुल बहुत खुश है । मन मे भाई की पढ़ाई के सपने एवं खेती करने
के लिए पिताजी द्वारा लिया गया कर्ज में काम करके चुका दूंगा, सोचता हुवा घर आ जाता है।
माँ पिताजी कहा है , मेरे लिए पानी ले
आओ , माँ कहती है आज तू बहुत खुश है। क्या बात है ? इतने मे पिता जी भी खेत से आ गए। राहुल कहता है- पिताजी मुझे काम मिल गया है। कल से मैं काम पर जाऊंगा | चार सौ रुपये रोज मिलेगें । अब हमें रोहित की पढाई एवं खाद बीज की
चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । धीरे -धिरे कर्ज भी चुका देंगें । पिताजी ने कहा
बेटा भगवान अच्छा ही करता है। तेरे जैसा संस्कारवान बेटा पाकर मे धन्य हो गया।
राहुल ईमानदारी से काम करने लगा | छोटे भाई रोहित को भी शहर मे एडमिशन मिल गया। वह अपनी पढ़ाई मन लगाकर कर रहा था। अनाज व्यापारी भी राहुल के काम से
खुश था। क्योंकि उसे कृत्वर्यनिष्ठ एवं ईमानदार मेहनत करने वाला व्यक्ति मिल गया
था। राहुल ईमानदारी से अपना कार्य कर रहा
था। एक दिन राहुल अपना काम पूरा कर चलने की तैयारी में
था। तभी सेठ जी आ गए सेठजी ने कहा राहुल बाकी हम्माल चले गए हैं. कुछ बोरे बचे हुवे
हैं। रात मे माल दुसरे शहर भेजना है। तुम्हे इसका अतिरिक्त पैसा मिलेगा राहुल ने
कहा ठिक है। में कर लूंगा - उसने पूरा काम निपटा दिया रात के 10 बज चुके थे।
सेठ जी ने कहा रात काफी हो चुकी है
तुम यही पर सो जाओं ,इतनी रात को तुम घर कैसे जाओगे? में तुम्हारे खाने की व्यवस्था कर दूंगा। तुम खाना खाकर दुकान में सो जाना राहुल ने खान खाया | सेठजी जा चुके थे | राहुल दुकान मे सो गया दुकान मे लगी अलमारी पर राहुल की नजर पड़ी अलमारी
खुली हुई थी उसमे रखे नोट दिख रहे थे। राहुल ने सोचा सेठ जी अलमारी का ताला लगाना
भूल गरे। यदि में सो गया और मुझे नींद लग गई और कोई चोर रुपये ले गया तो मेरी
ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा । वह घबरा गया और दुकान का दरवाजा बाहर से बंद
कर बाहर चौखट पर पूरी रात बैठा रहा। निंद नही आने के कारण उसकी आँखे लाल हो गई ।
पूरे दिन काम करने से वह बीमार जैसा हो गया।
हो घर क्यों नहीं गए राहुल ने कहा सेठ जी आप रात के
तिजोरी खुली छोड़ सुबह सेठ जी दुकान पर आए उन्होंने राहुल से कहा तुम बाहर क्यों बैठे गए, जिसमें पैसे रखे थे। मैंने सोचा यदि
मुझे नींद लग गई और कोई अनहोनी हो गई तो आपका
बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा ,इस कारण में पूरी रात निगरानी करता रहा। सेठजी ने तिजोरी मे रखे पैसों को देखा पुरे
पेसे बराबर है | सेठजी ने कहा में
तो तुम्हे पहचानता भी नहीं था , तुम कौन से गांव से
काम करने आते हो चाहते तो तुम पूरा पैसा लेकर भाग जाते राहुल ने कहा सेठजी में एक ईमानदार गरीब
किसान का बेटा हूँ । मेरे पिताजी का कहना है चाहे भूखा रह लेना. फटे कपड़े पहन लेना लेकिन गलत काम जीवन में कभी मत करना
भगवान समय पर सभी का भला करते है । आगे राहुल ने बताया हमारे पास भी गांव मे थोड़ी
जमीन है। वर्षा नहीं होने कारण हमारी फसल नष्ट हो गई। पिताजी के ऊपर कर्जा हो गया।
और छोटे भाई की पढ़ाई के लिए मुझे शहर आकर काम करना पड़ रहा | वो तो आपकी मेहरबानी के कारण मुझे काम मिल गया. और मेरे भाई की पढ़ाई का खर्च व घर का खर्च
में काम करके पूरा कर रहा हूँ ।
सेठजी ने राहुल को गलेसे लगा लिया। और कहा मैंने जानबूझ कर तिजोरी खुली छोड़ी थी। में जानता
था की तुम ईमानदार हो तुम्हारे काम करने के तरीके से में समझ गया था। मैंने
तुम्हारी परीक्षा ली थी तुम मेरी नजर में बहुत अच्छे इन्सान हो। अब तुझे हम्माली
करने की आवश्यकता नहीं है। लेकीन सेठजी मुझे काम से मत निकालो नहीं तुम गलत समझ रहे हो. अब राहुल तुम्हारा काम हम्माली का नहीं अब से तू अनाज की बोरियों की गिनती का काम करना और अन्य हम्मालों पर नजर रखना यह तेरा काम
है।
और सुन मैं तुझे पचास हजार रुपये
एडवांस दे रहा हु तु पांच महिने काम करना. तेरे भाई की
पढ़ाई में काम आएंगे और पिताजी का कर्ज भी चुका देना खाद बीज खरीद लेना और यदि
कहीं भी मेरे लायक काम हो तो निसंकोच मुझे बताना मैं तेरी सहायता करूँगा । तूने
मेरा दिल जीत लिया राहुल को सेठ ने गले से लगा लिया।
और सुन मैं तुझे पचास हजार रुपये
एडवांस दे रहा हु तु पांच महिने काम करना. तेरे भाई की पढ़ाई में काम आएंगे और
पिताजी का कर्ज भी चुका देना खाद बीज खरीद लेना और यदि कहीं भी मेरे लायक काम हो
तो निसंकोच मुझे बताना मैं तेरी सहायता करूँगा । तूने मेरा दिल जीत लिया राहुल को
सेठ ने गले से लगा लिया।
संघर्ष की राह भाग 3
शिक्षा का महत्त्व:- समय बढ़ता गया
राहुल ने अपने पिताजी द्वारा लिया गया कर्ज भी चुका दिया। और गांव आकर पिताजी के साथ मिलकर खेती का कार्य
करने लगा छोटे भाई की पढ़ाई भी पूरी हो गई छोटे भाई ने एग्रीकल्चर विषय से अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और एग्रीकल्चर विषय की डिग्री लेकर
गाँव आ गया। पूरे गांव मे रोहित सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति बन गया । वह भी कृषि की पढ़ाई करके गांव में उन्नत तरीके से खेती करने लगा। रोहित ने अपने पिताजी और भाई को नई-नई
कृषि तकनीक के बारे में बताया |
राममोहन को अपने बेटे के कृषि विज्ञान
पर विश्वास हुवा। राममोहन ने कहा हम अपने गांव के किसानों को भी कृषि के बारे मे
नई नई जानकारियां देकर अपने गांव शेरपुर को आदर्श गांव बनाएँगे ।
अगले दिन गांव की चौपाल पर सभी किसान
भाइयों को बुलाकर राममोहन ने अपने बेटे रोहित के बारे मे बताया की रोहीत ने आप सभी
ग्रामवासियों के आशीर्वाद से एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करली है। इतने में गांव के मुखिया ने कहा
एग्रीकल्चर क्या होता है । हमने तो पहली बार यह नाम सुना. इतने मे रोहित ने बताया की एग्रीकल्चर का अर्थ कृषि मेने कृषि करने के नए नए तरीके के बारे में, वैज्ञानिक तरीके से खेती, कैसे होती है ,इसकी पढ़ाई की है । पहले हम पुराने बीज बोते थे , बैलों से खेत जोतना, मौसम की जानकारी के बिना खेती करते थे ज्ञान के अभाव के कारण मेहनत तो ज्यादा करते थे, लेकिन लाभ कम मिलता था। लेकिन अब कम पानी वाली भी फसल उगाकर हम अच्छा उत्पादन कर सकते हैं।
एक किसान ने प्रश्न किया ? हमारे क्षेत्र में पानी की कमी है । इसलिए पूरी जमीन की सिंचाई करना संभव नहीं है । रोहित ने कहा काका आप पानी की चिन्ता मत करो, हम सभी किसान मिलकर यदि अपने खेत में डबरी ,छोटे -छोटे तालाब का निर्माण करेंगे तो बारिश का पानी हम बचा लेंगे एवं हमारी जमीन का जलस्तर भी बड़ेगा।
छोटे तालाब के निर्माण के लिए सरकार अनुदान भी देती है ! सभी को रोहित की बात समझ
में आई। कुछ दिनो बाद शेरपुर गांव के किसानों ने अपने- खेतों मे छोटे-छोटे तालाब
बनाए। और ड्रिप इरिगेशन को अपनाया। सभी किसानों की मेहनत रंग लाई और फसल
उत्पादन बढ़ने लगा। रोहित की शिक्षा
का फायदा गाँव के किसान को मिलने लगा। हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान रोहित करने
लगा रोहित के प्रति गांव के किसानों का विश्वास बडने लगा। कुछ समय बाद राममोहन के बड़े लड़के राहुल की शादी भी हो गई | राहुल तो कम पड़ा लिखा था लेकिन राममोहन ने अपने बेटे की शादी 12 वी पास लड़की से करवाई ।राहुल की पत्नी भी अपने घर के काम में अपने परिवार की मदद करने लगी। घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने लगा।
समय धीरे धीरे बढ़ता गया राममोहन अपने
परिवार के साथ खुश था | एक दिन सभी परिवार के लोग भोजन कर रहे थे, राममोहन अपनी बहु के द्वारा बनाए गए खाने की तारीफ कर रहे थे मक्का
की रोटी और कढ़ी बनाई थी | बहु ने बहुत अच्छा खाना बनाया। बहु ने हँसकर कहा पिताजी मुझे और भी
अच्छी-अच्छी रेसिपी बनाना याद है , मैने सिलाई के साथ-साथ कुंकीग कोर्स भी किया है । इतने मे देवर रोहीत ने भाभी से पूछा क्या भाभी आपको
सिलाई कढ़ाई भी आती है । हां भैया मैंने सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण भी लिया है मेरे
पास शिलाई प्रशिक्षण का सर्टिफिकेट भी है।
रोहीत ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है | समाज में महीलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण है । रोहित की माँ सुरेखा ने पूछा कैसे ? प्रीति ने कहा मम्मी जी में पड़ी लिखी हु । यदि आप सभी की सहमति हो
तो में सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण गांव की महिलाओं को देकर अपना एवं गांव की
महिलाओं के लिए रोजगार स्थापित कर सकते है । इससे गांव की महिलाओं के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी और कृषि के अलावा भी अतिरिक्त आमदनी होगी ।घर बैठे रोजगार भी मिलेगा। 'घर की महिलाएं भी अपनी आवश्यकतानुसार कमा सकेगी। परिवार वालो को प्रिती का सुझाव अच्छा लगा |
अगले दिन गांव की
महिलाओं को बुलाकर सिलाई प्रशिक्षण की बात बताई सभी को प्रिती की बात अच्छी लगी।
एक महिला ने बीच मे पूछा ' हमारे पास तो सिलाई मशीन नहीं है कैसे सिखेगें। प्रीति ने कहा हम
महिलाएं मिलकरसव सहायता समूह का गठन कर के हर महीने बचत करेंगे कुछ महीनों बाद सरकार द्वारा बैंक के माध्यम से लोन मिल
जाएगा उस लोन की राशि से हम सिलाई मशीन
खरीद लेंगें और सिलाई का काम प्रारम्भ
कर, हम अपने परिवार का
आर्थिक रूप से सहयोग करेगें। प्रीति की यह बात सभी को बहुत अच्छी लगी।
संघर्ष की राह भाग 4
प्रीति का महिलाओ के प्रति योगदान :- प्रीति ने कुछ दिन बाद से गांव की महिलाओं को सिलाई केन्द्र खोलकर
प्रशिक्षण देना प्रारम्भ कर दिया। प्रीति ने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने
हेतु प्रोत्साहित किया। एवं सिलाई प्रशिक्षण देकर सभी महिलाओं को सिलाई का काम
सिखा दिया। साथ ही सब सहायता समूह का गठन किया, जिसमें महिलाएं हर माह बचत की राखी समूह में जमा करने लगी। समूह का
बचत खाता बैंक मे खुलवाया। प्रीति की पहल से बैंक ने समूह को सिलाई मशीन खरीदने के
लिए कम ब्याज पर बैंक द्वारा लोन मिल गया। गांव की महिलाओं ने सिलाई मशीन खरीदी
महिलाओं ने मिलकर सिलाई का काम प्रारम्भ कर दिया | रोहित ने शहर जाकर कपड़ो के कारखाने वाले से सम्पर्क कर कच्चा माल
लेकर रेडीमेड कपड़े बनाने का अनुबंध किया महिलाएं कपड़े सिलने लगी और गांव से
रेडीमेड माल तैयार होकर शहर जाने लगा। महिलाओं की अतिरिक्त आय होने लगी।
घर के पुरुष खेती का काम करने लगे | महिलाए सिलाई का कार्य इससे पुरुषो को भी फायदा हुवा महिलाओं का
आत्मविश्वास बढ़ाने लगा। आस-पास के गांव में शेरपुर गांव के साथ-साथ रोहित के
परिवार का मान सम्मान बढ़ने लगा। राहुल की पड़ी लिखी बहु प्रीति की चर्चा होने
लगी। दुसरे गाँव की महीलांए भी प्रीति के पास आकर सिलाई सीखने लगी। महिला बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं को
आत्मनिर्भर एवं स्व सहायता समूह के गठन के लिए प्रीति को सम्मानित किया गया, एवं महिला बाल विकास की अधिकारी ने प्रीति को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
पद पर नियुक्त किया गया।
प्रीति की आंगनवाड़ी केंद्र में
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पद पर नियुक्ति से गांव की महिलाओं को बहुत अच्छा लगा। अब
सभी महिलाएं अपनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रीति से जानकारी लेती है। प्रीति
उन्हें स्वास्थ्य एवं शिक्षा के बारे मे बताती है | एक दिन प्रीति ने आँगनवाड़ी केन्द्र पर सभी महिलाओं को बुलाकर कहा
आप मे से कितनी महिलाएं पढ़ी लिखी है। रानू की सास ने कहा हमने तो स्कूल का मुंह भी नहीं देखा बचपन घर का काम करती है- और महिला बोली हमारे माँ बाप ने हमारी
कम उम्र मे शादी करदी ससुराल आकर खेती मजदूरी का काम मिल गया. खाना बनाना और काम
करना आता है । आपने हमें सिलाई का काम सिखा दिया जिससे हम दो पैसा कमाने लग गई ।
प्रीति जे कहा हमारे जीवन मे शिक्षा का बहुत महत्व है । हमें पढ़ना लिखना आना
चाहिए । इतने मे राधा बोली मेडम जी हमे पढ लिख कर क्या करना ,हमे तो काम ही करना है जीवन भर प्रीति बोली काम तो करना ही है इसके
साथ- साथ घर का हिसाब भी रखना है | हम जो खर्च करते
हैं उसका लेखा जोखा भी रखना आवश्यक है |
खत लिखना-पढ़ना भी आना चाहिए । ज्यादा
नहीं तो हस्ताक्षर करना आना चाहिए। महिला बोली हम तो अंगूठा लगा लेती है | प्रीति ने कहा मे तुमको पढ़ाऊँगी. और नाम लिखना जोड़ घटाव भी
सिकाउंगी । इतने मे चन्दा बोली हमारी तो उम्र भी ज्यादा है कैसे सीखेंगे । प्रीति
ने कहा सीखने की कोई उम्र नही होती है। हमारे मन पर निर्भर होता है । मै तुम सभी को कल से पड़ा कर साक्षर करने का
प्रयास करुगी। महिलाओं ने कहा हम पड़ने आएंगे तो घर
व खेत का काम कौन करेगा ? प्रीति ने कहा पुरे
दिन नहीं आना है तुमको दो घण्टे समय निकालना है । दिन मे घर एवं खेत का काम करके
शाम को खाना बना कर घर वालो को खिलाकर रात में 8 बजे फ्री होकर मेरे घर आ जाना मे तुमको दो
घंटे रोज नि: शुल्क सिखाउंगी |
सभी महिलाओं को अच्छा लगा वे अपनेअपने
घर गई । और अपने घर वालो को प्रिति द्वारा बताई गई बातें बताई घर वालो ने
कहा यह तो बहुत अच्छी पहल है | यदि घर की महिलाएं
पड़ना लिखना सीख जाएगी तो हमारे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा घर का हिसाब
किताब भी रख सकेगी घर वालो ने महिलाओं को पड़ने की सहमति दे दी | गांव वालो को भी प्रिति व उसके परिवार पर भरोसा था ,कि जो भी करेंगे जिससे गांव वालो का फायदा ही होगा क्योंकि प्रीति
और उसके परिवार वालो ने गांव वालों के लिए बहुत कुछ किया है । आज हम सभी गांव वासी
उनके द्वारा दिया गया शिक्षा एवं ज्ञान से जागरूक बने है |
हमारी आर्थिक स्थिति, सिलाई प्रशिक्षण सभी राममोहन की देन है। अपने घर पर प्रीति ने अपने परिवार वालो से विशेष अपने ससुर ने कहा
पिताजी मैंने आपसे बिना पूछे एक फैसला ले लिया है. घर के सभी सदस्य चौक गए।
राममोहन को चिंता होने लगी वे सोचने लगे शायद बहु पड़ी लिखी है हमसे कुछ गलती हो
गई जो अपने मन से फैसला ले लिया। राममोहन बोले बेटी कैसा कैसा फैसला ? लिया बताओ- प्रिति
अपना शिर झुकाकर बोली आप नाराज तो नहीं होंगे इतने मे राहुल बोला पहेली क्यों बुझा
रही हो बताओ। प्रीति ने कहा मे गांव की महिलाओं का साक्षर करना चाहती हूं और
महिलाएं भी पड़ने के लिए तैयार हो गई है ।
मैंने उनसे कल से पड़ने के लिए आने का
कह दिया है । राममोहन बोले बेटी तुने तो मुझे डरा ही दिया था। बेटी यह तो नेक काम
है |
शिक्षा के समान कोई दान ही नहीं है।
तेरा यह फैसला सराहनीय है । शिक्षा की ज्योत हर घर मे जलानी चाहिए | कल से तु अपना काम शुरू कर सकती है. राहुल को भी प्रिति का सुझाव
अच्छा लगा | उसकी सास सुरेखा
बोली बेटी में तेरे फैसले से नाराज हु ।
प्रीति डर गई बोली माँ जी क्या मैंने गलत फैसला
ले लिया क्या ? हां प्रीति के
चेहरे का रंग बदल गया । इतने में सुरेखा बोली एक शर्त पर में तुझे अपनी अनुमती दे सकती हु, माँ जी बताइए क्या शर्त है. तुझे मुझे भी पड़ाना पड़ेगा। | सभी हंसने लगे राहुल ने
कहा मे तो नहीं पड पाया लेकिन मेरी तरह कोई अनपद ना रहे तुम्हारी सोच बहुत अच्छी हे तुम पड़ी लिकी हो तुम हर बात समझती हो ,गाँव की महिलाओ को पड़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाओ ताकि वे अपना
अच्छा बुरा समझ सके | उनकी आने वाली पीडी
को साक्षर बना सके | प्रीति ने कहा मुझे
बहुत अच्छा परिवार मिला | मेने पिछले जन्म
में अच्छे कर्म किये होंगे
संघर्ष की राह कहानी भाग 5
: पशुपालन की शुरुआत :- रोहित ने कहा हम
खेती के साथ साथ पशुपालन भी करेगे जिससे गोबर के रूप में खाद प्राप्त होगा ,जिसका उपयोग हम
खेत मे करेंगे जो अच्छे खाद के रूप में होगा। इससे हमारी जमीन अधिक उपजाऊ होगी तथा
गोबर से जमीन में नमी की मात्रा बढेगी | जैविक खेती के लिए गोबर की खाद का उपयोग
करेंगे, जिससे हमें
रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होगि। तथा फसल उत्पादन भी बड़ेगा अलग से खाद के लिए
पैसा भी नहीं देना पड़ेगा इसके साथ-साथ पशुओं से हमें दूध भी प्राप्त होगा।
दुध हम बाजार में बेचेंगे जिससे अच्छा भाव
मिलेगा, और पैसा भी
पिताजी ने कहा उसके लिए तो रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी। राहुल ने कहा पशु-गाय,भैंस खरीदने के
लिए पैसे कहां से आएंगे हमें कौन पैसा देगा। रोहित ने कहा पशुपालन के लिए सरकार
द्वारा लोन मिलता है। एवं पशुपालन के लिए प्रशिक्षण भी | हम अपना डेयरी
फार्म भी खोल सकते हैं। गांव वालों से दुध भी खरीद सकते हैं | जिससे गांव वालो
को भी फायदा होगा और उन्हें दूध के भाव भी अधिक मिलेगें। राममोहन ने कहा यह तो
अच्छी बात है। कल ही हम गांव के लोगों के बीच चर्चा करेगें।
अगले दिन गांव की चौपाल पर गांव के किसान
एकत्रित हुवे। रोहित जे पशुपालन एवं खाद के बारे में जानकारी दी | किसानों को बहुत
अच्छा लगा। सभी खुशी-खुशी तैयार हो गए। सभी ने मिलकर रोहित की तारीफ की और कहा
तुम्हारी वजह से हम सभी किसानों का फायदा हुवा हम तो सभी अनपढ़
लोग है । हम सभी ग्रामवासी तुम्हारे साथ मिलकर कार्य करेंगे |
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संघर्ष की राह भाग 5 |
अगले दिन गांव
के किसान रोहित के साथ बैंक गए। रोहित ने नमस्कार करके अपना परिचय मैनेजर को दिया, और कहा हम
शेरपुर गांव से आए है। हम सभी खेती का कार्य करते है । अब हम सभी किसान मिलकर
डेयरी फार्म खोलना चाहते है । मेनेजर को रोहित का प्रस्ताव अच्छा लगा, उसने प्रत्येक
किसान को 50-50 हजार रूपए का
लोंन दिया। और समझाया
आप लोग समय-समय पर लोन
की किस्त जमा करना |
यदि इस लोन को सही तरीके से चलाओगें तो
भविष्य में बैंक आपको बड़ा लोन देगी और अनुदान भी मिलेगा | जो पशु आप
खरीदोगे उसका बीमा भी बैंक द्द्वारा किया जाएगा जिससे आपको जोखीम नही होगी। अब आप
सभी जा सकते हो। सभी ने मेनेजर साहब को इस नेक काम के लिए धन्यवाद दिया।
अगले दिन लोन की राशि से सभी किसान गाय भैंस
बकरी खरीद कर लाए। रोहित ने बाजार जाकर दूध संघ के अधिकारीयो। से गाँव
के लोगों के दुध के बारे में बात की और अच्छे दाम पर दूध लेने के लिए तैयार हो गए।
दूध लेने के लिए दूध वाहन गांव
मे ही आने लगा। दुध का भाव भी अच्छा मिलने लगा। कृषि के साथ साथ दुध से भी
किसानों को लाभ होने लगा। सभी ग्रामवासी आनंद से रहने लगे।
रोहित के परिवार और गांव की चर्चाए आस-पास के गांवो में भी होने लगी। गांव के
महिला-पुरुप सभी अच्छा खासा कमाने लगे |
एक दिन गांव के किसान सोहन की गाय, भैंस खेत पर एक
पेड़ के नीचे बंधी हुई थी। बारिश का समय था। सोहन घर के मकान पर बरसाती लगा रहा
था। अचानक बारिश शुरू हो गई | बादल कड़ाके से गरज रहे थे। बिजली चमक रही
थी। मूसलाधार बारिश हो रही थी। सोहन चिंतित था वह छाता लेकर जल्दी-जल्दी गाय, भैंस लेने के
लिए खेत पर जा रहा था। बिजली कड़क रही थी। सोहन डर रहा था. की कोई अनहोनी घटना न
हो जाए। लेकीन अनहोनी को कोन टाल सकता है।
नीम के पेड़ पर बादलों की गर्जना के साथ
बीजली गिरी, जहां सोहन के
पशु बंधे थे। और सोहन के गाय-भैंस बकरी मर गए। सोहन यह दृश्य देखकर जोर-जोर से
रोने चिल्लाने लगा। गांव वाले आ गए | सोहन को समझाने लगे सोहन कहने लगा में बर्बाद
हो गया | मैं गरीब किसान
अब बैंक का लोन कैसे चुकाऊंगा। मेरे पास जमीन भी ज्यादा नहीं है। गांव वाले सभी
सोहन को घर लाए। सोहन के घर पर मातम छा गया। उसकी पत्नी और बच्चे भी रो रहे थे।
गांव के लोग समझा रहे थे।
इसी बीच रोहीत भी आ गया उसने सोहन के कंधे पर
हाथ हाथ रखा और समझाया | हम सभी तुम्हारे साथ है । जो होना था वह हो
गया। सोहन बोला मैं बर्बाद हो गया अब में क्या करु ? रोहित ने कहा
तुम्हारा कुछ भी नुकसान नहीं होगा- तुम्हें मालूम है जब हम लोन लेने बैंक गए थे। तब
बैंक अधिकारी ने क्या कहा था ? सभी उत्सुकतावश रोहित की ओर देखने लगे। सभी
ने कहा बँक अधिकारी ने कहा था समय-समय पर किस्त जमा करना। यह सुनकर सोहन फिर रोने
लगा और कहने लगा अब मैं कैसे किस्त भरूँगा बैंक वाले मेरी जमीन नीलाम कर देगें।
पहले दूध बेचकर पैसा मिलता था. उस पैसे को बचाकर खर्च काटकर समय से लोन की किस्त जमा कर
देता था। और घर खर्च चलता
था। अब खेत के सिवा मेरे पास कुछ नही है।
और फिर रोने लगा। उसकी बातें सुनकर रोहित
मुस्कुराते हुए बोला चिंता करने की कोई बात नहीं है। सोहन का घर खेत भी नही बिकेगा
और उसके बच्चों की स्कूल फीस भी समय समय पर जमा होगी। गांव के लोग बोले हम सभी
सोहन की मदद करेगें इतने मे रोहित ने कहा आप सभी की सोच बहुत अच्छी है की आपने मदद
करने की बात कही ,हमें करना भी
चाहिए | सुख दुख में एक
दूसरे के काम आना ही इंसानियत का धर्म है । लेकीन अभी आपको मदद करने की आवश्यकता
नहीं है। यह सुनकर सोहन को मानो ऐसा लगा, रोहीत मुझे बर्बाद करना चाहता है । और मायूस
होकर रोहित की और कातर दृष्टि से से देख रहा है , इतने से गांव के
मुखिया बोले तुम मदद करने के लिए मना क्यों कर रहे हो ?
रोहित ने कहा आप गलत मत समझो में आपको बताता
हूँ । उस दिन बैंक मैनेजर ने एक और बात कही थी। आपने ध्यान नहीं दिया | इतने मे सोहन
बोला मैंने ध्यान दिया था ,उसने कहा था किस्त समय पर जमा करना यही कहा
था। रोहित ने कहा मैनेजर ने कहा था। जो लोन तुम्हे गाय, भैंस बकरी
खरीदने के लिए दिया गया उसमें हमारे पशुओं का बीमा भी किया गया हे। इतने से एक
किसान रमेश बीच में बोल पड़ा इससे
सोहन को क्या फायदा होगा ?
क्या लोन माफ हो जाएगा ? रोहित ने कहा
हां सोहन के पशुओं का बीमा था वे आकाशीय व दुर्घटना से मरे है , इसलिए बीमा कम्पनी
द्वारा इसका भुगतान किया जाएगा और सोहन फिर से अपना पशुपालन का कार्य प्रारम्भ कर
सकेगा। उसी समय रोहित ने इस दुर्घटना का गांव वालों
की उपस्थिति में पंचनामा बनाया जिस पर गांव के मुखिया व पंचो ने हस्ताक्षर किए और
कहा सोहन को बैंक के अलावा शासन की और से आर्थिक सहायता भी मिलेगी। और
बीमा रासी भी, रोहित ने रोहित
को गले लगा लिया और कहा तुमने मुझे मरने से बचा लिया मैं और मेरा परिवार तुम्हारा
उपकार जीवन भर नहीं भूलेंगे | रोहित बोला यह मेरा एहसान नहीं है। तुम्हारा अधिकार
है जो तुम्हे मिलेगा।
अगले दिन रोहित सोहन को एवं गाँव के मुखिया
को साथ लेकर बैंक मैनेजर से मिले | पूरी घटना बैंक मेनेजर को बताई। सभी बातें
सुनकर मैनेजर ने कहा सोहन का पूरा लोन बीमा राशि से जमा हो जाएगा। और में फिर से
लोन स्वीकृत कर देता हूँ |
रोहित ने कहा ठीक है सर आप कर दिजीए। मैनेजर
ने लोन पेपर पर हस्ताक्षर करवा कर लोन सोहन को दे दिया और कहा अब आप गाय, भैंस खरीद सकते
हो। सोहन ने कहा बीमा कर दिया साहब हां बीमा भी हो जाएगा |सोहन की खुशी का
ठिकाना नहीं था। मानो उसके सारे दुख दर्द समाप्त हो गए। उसके जीवन में आशा की नई 'किरण उदय हुई।
उसकी आँखो से ख़ुशी के आशु बह रहे थे। सोहन ने गाय, भैंस खरीद लिए
और उसका काम पहले जैसा चलने लगा रोहित की हर जगह तारीफ होने लगी | गांव के लोग
रोहीत को बहुत बहुत धन्यवाद दे रहे थे|
संघर्ष की राह कहानी
भाग 6
सामूहिक प्रयास :- समय आगे बढ़ता गया राममोहन भी अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी
रहा था। अपने बेटे रोहित एवं बेटी की शादी भी अच्छे परीवार मे कर दी। रोहित की
पत्नी पढ़ी लिखी एवं संस्कारित थी। वह भी घरवालों के काम में हाथ बटाने लगी। दोनो बहुओ ने मिलकर
घर पर सिलाई का काम बड़े स्तर पर प्रारम्भ कर दिया। सादे कपड़े गाड़ी भर-भर कर उनके शिलाई कारखाने में आने लगे। और रेडीमेड माल
तैयार होने लगा। आस-पास के गांव की महिलाएं भी कपड़े के कारखाने मे काम करने के
लिए आने लगी और रोजगार के रूप में कार्य करने लगी, जिससे सभी का आर्थिक विकास होने लगा। और पैसा कमाने लगे। रोहित के
परिवार के साथ-साथ गांव वालों के दिन भी बदलने लगे | राहुल एवं रोहीत की सूझ-बुझ एवं उनकी मेहनत के विकास से राममोहन और
उसकी पत्नी सुरेखा बहुत खुश है। राहुल गांव के विकास और अपने परिवार की सुख
समृद्धि के लिए भगवान से मंगल कामना करता है।
कुछ माह बाद रोहित अपने पुरे परिवार
के साथ बैठा था "सभी में हंसी मजाक चल रहा था। उसी समय गाँव का चौकीदार देवा उनके पास आया और बोला गांव की चौपाल के पास शहर से
अधिकारियों की गाड़ी आई है । मुखिया जी ने आपको बुलाया है। रोहित के पिताजी सोच
में पड़ गए | क्योकी वे अनपढ़ ठहरे रोहीत ने कहा मैं देखता हूँ चलो
रोहित चौपाल पर पंहुंचा। मुखिया जी ने खड़े होकर रोहित से कहा हमारे गांव
मे जिले से कृषि अधिकारी आए है। "हमको कुछ समझ में नहीं आ रहा आप इनसे बात करो | रोहीत ने हाथ जोड़कर अधिकारी से नमस्ते किया, अधिकारी ने अभिवादन स्वीकार किया। कृषि अधिकारी ने रोहित की तारीफ
की और कहा आपने कृषि कार्य उन्नत तरीकों से कर के गांव के किसानों को जागरूक किया
है हमारे जिले में आपके गांव की चर्चा हो रही है। कलेक्टर साहब ने मुझे आपके गांव
में भेजा है।
सरकार भी चाहती है की जैविक प्राकृतिक
एवं आधुनिक खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहित करे सरकार द्वारा प्रमाणित बीज भी उचित मूल्य पर दिया जाता है। फसल बोने से लेकर फसल
तैयार होने तक हमारे कृषि विशेषज्ञ किसानों को उचित सलाह एवं मार्गदर्शन देते हैं।
तुमने तो एग्रीकल्चर विषय मे डिग्री प्राप्त की है। सरकार किसानों को कृषि यंत्र- मोटर पंप.. पाइप लाइन, ट्रेक्टर के लिए अनुदान भी देती है रोहित ने कहा इसके लिए हमें
क्या करना होगा ?
अधिकारी ने बताया
इसके लिए किसानों का पंजीयन अपने जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में करवाना होगा
जिसके बाद समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र पर किसानों को उन्नत कृषि के लिए विशेषज्ञों
द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। गांव के किसानों एवं रोहित को जानकारीया
बहुत अच्छी लगी। सभी ने अधिकारी की बात का समर्थन किया। कृषि अधिकारी ने गांव के
किसानों से पूछा की आप अपनी फसल कहां बेचते हो। किसानों ने कहा की शहर जाकर मण्डी
मे हम अपनी फसल बेचते है परन्तु फसल का भाव व्यापारी उनकी मनमर्जी से तय करते हैं।
इस कारण हमें हमारी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। मजबूरी में हमे हमारी फसल
बेचना पड़ती है। कृषि अधिकारी ने कहा अब ऐसा नहीं होगा रोहित ने कहा अब हम क्या
करे ? अधिकारी ने कहा अब आप सभी किसान मिलकर सामूहिक रूप से काम करें|
सहकारी समीती का गठन
कृषि अधिकारी ने गांव में एक सहकारी
समीती का गठन करवाया. जिसमें खेती करने वाले किसानों को शामिल किया गया। समिति के
अध्यक्ष के लिए रोहित के नाम का प्रस्ताव रखा सभी ने समर्थन किया। रोहित ने आभार माना। रोहीत ने कहा हम सभी मिलकर कम
लागत मे में खेती कर अधिक
उत्पादन बड़ाएंगे। समिति का उद्देश्य सभी किसान मिलकर काम करे, अपने संसाधनों को साझा करें और अपनी फसल को एक साथ मिलकर बेंचें । रोहित ने कहा हम
जैविक खेती पर ध्यान दे, एवं सभी किसान
अलग-अलग प्रकार एवं नई नई किस्मों की फसलों का उत्पादन करे ,जैसे ज्वार, बाजरा, दलहन- गेहूं धान, मक्का मूंग, चने, अरहर- इसके साथ साथ गेहूँ ,आलू,प्याज , लहसुन आदि फसल उगाए. इससे सभी को अलग-अलग तरह से फायदा होगा | इतने में गांव के मुखीया ने पूछा हम इन अलग अलग प्रकार की फसलों को
बेचेंगे कहा हमे अलग- अलग मण्डियों मे जाना पड़ेगा। रोहित ने कहा आपका प्रश्न सही
है।
मेरी बात सुनीए। अलग अलग मंडी जाने की
आवश्यकता नहीं है वो कैसे ? रोहित ने कहा है। आज का गयुग इन्टरनेट का युग है। हमे रोज के भाव , अलग अलग शहरों की मंडी की जानकारियां मिल जाती है । हम सोशल मीडिया के माध्यम से
अपनी फसल का प्रचार करेंगे एवं भाव भी अपने हिसाब से निर्धारित करेगें जो ज्यादा
भाव देना उसको हम अपनी फसल बेच देंगे घर से ही हमारी फसल का सोदा हो जायेगा | और व्यापारी हमारे घर से ही अपने वाहन में फसल लेकर जायेंगे
जिससे हमारा समय एवं भाड़ा भी बचेगा
और मंडियों के चक्कर भी यह सुझाव सभी को बहुत अच्छा लगा | तथा हम अच्छा बीज - खाद दवाई भी सभी एक साथ मिलकर खरीदेंगें जो
कंपनी की कीमत में हमे मिल जाएगी। एवं नकली खाद बीज का चक्कर भी नहीं रहेगा। और
अच्छी क्वालिटी वाला बीज हमें मिलेगा रोहित की बात सभी किसानों को समझ में आ गई | सभी किसान मिलकर खेती का कार्य मन लगाकर करने लगे अच्छी खासी आमदनी
बढ़ने लगी।
राममोहन के गांव में खुशहाली ने अपने
कदम जमाना शुरू कर दिया। गांव के किसान अब एक जूट हो चुके थे सरकार की अनुदान योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर, ड्रिप इरिगेशन, कृषि यंत्र का लाभ भी मिलने लग गया। इस गांव के किसान जैविक खेती
और अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने लगे |जिससे उनकी फसल का उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार हुवा।
अनपढ़ राममोहन के संघर्ष की कहानी एक गाँव और घर की ही नहीं बल्कि यह उस जज्बे व मेहनत की कहानी है
जो हर एक किसान के दिल व दिमाग में बसती है | राममोहन एवं गांव के किसान इसका पूरा श्रेय रोहीत एवं उसके भाई
राहुल को देते है। रोहीत कहता है यह सभी आपकी मेहनत का फल है। मुझे मेरे पिताजी
एवं बड़े भाई ने मेहनत मजदूरी करके पढ़ाया जिसका नतीजा आपके सामने प्रत्यक्ष रूप से हे | मेहनत के साथ साथ शिक्षा भी जरूरी है। आप सभी लोग भी अपने बच्चो को
पड़ाओं। पड़ा लिखा परिवार बनाओं रोहीत ने कहा कि किसानों की समस्याओं का हल केवल
सरकार की मदद से नहीं बल्कि हमारे स्वयं के प्रयासों और संगठन से भी हो सकता है ।
यह हम सभी गांव वासियों ने मिलकर साबित किया। हम सभी एकजुट होकर भाईचारे की भावना
से काम करते हे तो किसी भी बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान कर सकते हैं ,और अपनी मेहनत व सूज-बुज से समाधान कर सकते है ,एवं सफलता प्राप्त कर सकते हे |
समय बीतता गया गांव
के सभी किसान अपनी खेती का का कार्य मन लगाकर ईमानदारी से करने लगे। महिलाओं भी
सिलाई के साथ-साथ अगरबत्ती, पापड़ अचार बनाने
के कार्य से पैसा कमाने लगी। सभी महिलाएं राहुल की पत्नी प्रीति को अपना आदर्श
मानकर उसको धन्यवाद दे रही है।
संघर्ष की राह कहानी
भाग 7
रमेश की मदद से गांव की जागरूकता: रक्तदान और स्वच्छता का
संदेश":-एक दिन सभी गांव के किसान चौपाल पर बैठे हुए थे। रोहित सभी को
शिक्षा के
बारे में बता
रहा था. तभी गांव का शेकर आया और उसने बताया की रमेश के पेट में बड़ी गठान हो गई
है | वह
शहर के अस्पताल में भर्ती है । डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने को कहा है । और बोलता है
की रमेश काफी कमजोर है उसे ऑपरेशन करते समय खून की आवश्यकता लगेगी लेकिन
खून देने के लिए कोई तैयार नही है । इतने में अनोखी ने कहा सही बात है कौन अपना
खून देगा। खुन देने से कमजोरी आती है | रोहीत ने कहा यह गलत धारणा है।
रक्तदान के कई फायदे है ।
रक्तदान से व्यक्ति का
जीवन बचाया जा सकता है । रक्तदान करने से शरीर मे रक्त संचार होता है। हमारा हृदय
सही तरीके से काम करता है । रक्तदान करने से भविष्य में होने वाली बीमारियां जैसे
मोटापा, हृदय
रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है | रक्तदान
करने से हमारी आत्मा को शांति मिलती है। रक्तदान एक सामाजिक गतिविधि है । जो आपको
समाज से जोड़ती है । यह हमें बहुत अच्छा लगता है कि हम समाज से जुडते हे। क्योंकि
हमारे द्वारा दिये हुवे रक्त से जरूरतमंद जिंदगी बच सकती है । संसार में रक्तदान के बराबर
कोई दान नहीं है । मुखिया जी ने कहा तुमने हमारी आंखे खोल दी |
हम तो रक्तदान करने से डरते थे।
अब हम हॉस्पिटल जाकर रमेश के लिए रक्तदान करेंगे । रोहित ने कहा बहुत अच्छी बात है
। लेकीन हम सभी का ब्लड ग्रुप अलग अलग है जिस व्यक्ति का जिससे ब्लड ग्रुप से
मिलता है, उसी का रक्त चढ़ाया जाता है ।
गांव वालो ने कहा हमें तो पता ही नहीं कि हमारा ब्लड ग्रुप कोनसा
है। कैसे पता चलेगा ? रोहित ने कहा
कल हम चार पांच व्यक्ति रमेश के समाचार लेने हॉस्पिटल जाएंगे । और
रमेश को हमारा रक्तदान करेंगे । डॉक्टर . हमारे रक्त के सैंपल लेकर बताएगा कि
हमारे रक्त का कौन सा ग्रुप है। सभी को अच्छा लगा। गांव के मुखिया सहित गांव के
लोग अगले दिन हास्पीटल गए और रक्तदान किया। रमेश का
आपरेशन सफलतापूर्वक हो गया | उसके परिवार
वालो को रक्त के लिए भटकना नही पड़ा |
फिर रोहित ने हॉस्पिटल के डॉक्टरों से अपने गांव में रक्त परीक्षण
शिविर के बारे में बातचीत की डाक्टरो ने कहा हम आपके गांव में रक्तदान एवं रक्त
परीक्षण शिवीर लगाएंगें | कुछ दिन बाद
गांव में रक्त परीक्षण एवं रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ | जिसमें
गांव के लोगों ने उत्साह पूर्वक भाग लेकर रक्त परीक्षण करवाया और कई लोगो ने
रक्तदान भी किया | कुछ
लोगों ने रोहीत से पूछा जो रक्तदान हमने किया है उसका डॉक्टर क्या करेंगे ? रोहित
ने कहा रक्त की ये बोतले ब्लड बैंक में जमा होगी और आवश्यकता पड़ने पर जरूरत मंद
मरीज को चढ़ाई जाएगी। ताकी किसी व्यक्ति की रक्त के अभाव मे जान न जाए।
गांव वाले लोगों ने अपने गांव
में शिविर लगाए जाने एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर हास्पीटल के डॉक्टरों का हार
फूल से स्वागत किया एवं मुखिया जी की तरफ से स्वादिष्ट भोजन की दावत दी गई | अंत
मे रोहित ने सभी को इस नेक काम मे सहयोग करने के लिए आभार माना ।जिन लोगों ने रक्त परीक्षण
करवाया किस का कौन सा ब्लड ग्रुप है उसकी सूची नाम नम्बर सहीत रोहित ने तैयार की ,ताकि
जरूरतमंद की आवश्यकता होने पर कोन से ग्रुप की व्यक्ति
को रक्त की जरूरत है | हम सूची मे
देखकर रक्तदान कर सके गांव वाले बहुत खुश है क्योंकि उनका गांव आदर्श गांव बन रहा
है | रोहित ने कहा
हमे स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता के महत्व को भी
समझना होगा। हमारे गांव में कीचड़ अधिक है हम सभी को इसके बारे मे सोचना होगा।
गंदगी होने के कारण मच्छरों की
संख्या बढ़ रही है। मोहन बोला मच्छरों को कैसे समाप्त करे। मच्छरों के
काटने से लोग बीमार हो रहे है।
रोहित ने कहा मछर गंदगी
के कारण पनप रहे हैं। जिससे मलेरिया, टाइफाइड
जैसी घातक बीमारियां होती है और हमें डॉक्टर के
पास इलाज करवाना पड़ता है। जिससे हमारे द्वारा
मेहनत करके कमाया गया पैसा भी खर्च होता है। गांव वाले बोले इस समस्या का समाधान
क्या है ? रोहील ने कहा हर समस्या का समाधान
है । इसके लिए हम जनसहयोग से हमारी गांव की गलीयो मे सफाई अभियान चलाकर नालीयों का
निर्माण करेंगे रोहीत की बात का सभी गांव वालो ने समर्थन किया। और गांव की संकरी
गलीयो का चौड़ीकरण कर नालिया बनाई, जिससे
गांव का गंदा पानी
नालीयो से गांव के बाहर निकाला गया |
गांव कीचड़ मुक्त हो
गया। और मच्छरों का खात्मा भी ,मलेरिया
जैसी घातक बीमारी से बच गए। गाव में समय -समय पर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी होने
लगा एवं निशुल्क दवाईया एवं स्वास्थ्य की जांच
भी गांव वाले कराने लगे। पहले गांव के लोग बारीश के दिनो मे ज्यादातर बीमार रहते
थे | अब सभी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक
हो गए। और स्वस्थ रहने लगे| गांव में रोहीत ने सभी को योग एवं
ध्यान के बारे मे भी जानकारी दी जिससे ग्रामीण जन ध्यान एवं योग करने लगे जिससे
उनका मन भी स्वस्थ होने लगा रोहित ने कहा यदि हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा तो हमारा मन
भी स्वस्थ रहेगा।
हमें हमारे घर के आस-पास साफ सफाई रखना चाहिए |
यह हमारा परम कर्तव्य है। इससे हम
कई प्रकार की बीमारियों को भगा सकते हैं । हमे रोज स्वच्छ जल से नहाना चाहिए, तथा
संतुलित भोजन करना चाहिए गांव के मुखिया ने पूछा संतुलित भोजन क्या होता है | रोहित
ने कहा सन्तुलित भोजन जिसमें प्रोटीन ,कैल्शियम
जैसे पोषक तत्त्व होते है | जैसे दाल-चावल हरी सब्जियां एवं
ताजे फल का सेवन करना चाहिए इससे हमारा शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहेगा और हम बीमार भी
नहीं होंगे ।
दूध , घी का
उपयोग भी हमें करना चाहिए जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और हमारा शरीर
स्वस्थ रहेगा| रोहित की बातो से गाँव वालो को
प्रेरणा मिली |सभी लोग इन बातो पर अमल करने लगे व एक
दुसरे को भी जानकारिय देने लगे | जो
लोग रोज नहाते नहीं थे वे रोजाना नहाने लगे |योग
एव ध्यान करने लगे तथा रोहित को अपना आदर्श मानने लगे |
संघर्ष की राह कहानी
भाग 8
"पर्यावरण
संरक्षण से गांव का विकास रोहित की पहल:- शेरपुर गांव विकसित गांव बनने लगा | गांव के लोग
रोजगार से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत होने लगे | एक दिन रोहित और गांव के मुखिया ने पंचायत मे
एक बैठक का आयोजन किया गांव के वरिष्ठ लोगों को बैठक में बुलाकर गांव के विकास के
लिए चर्चा की , पंचायत के एक
पंच ने कहा हमारा वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है. प्रदूषण के कारण गर्मी अधिक हो
रही है , तथा वर्षा भी कम
होती है | इसके बारे मे
हमें क्या करना चाहिए ? जिससे हमारा
पर्यावरण संतुलित हो सके रोहित ने
कहा इसका उपाय भी है |
हम इसका हल सभी
मिलकर कर सकते हैं ।
मुखिया जी, कैसे आप विस्तार से बताएं ? रोहित ने बताया
हम सभी ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने की भावना से पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है | जिसका परिणाम हम
भुगत रहे हैं, न हमे शुद्ध हवा
मिल पा रही है.और न शांत वातावरण
रमेश बोला हमने कैसे पर्यावरण को हानि पहुंचाई रोहित ने कहा पहले हमारे गांव मे
बड़े बड़े जंगल थे. लेकीन हमने अपनी इच्छा पूर्ति के कारन काट दिये | जंगल मे पेड़ों
की लगातार कमी होने के
कारण हमे शुद्ध हवा मिलना कम हो गई | हमारे वातावरण मे कार्बन डाइऑक्साइड की
मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है |
एवं पेड़ों द्वारा हमे जीवन देने वाली
ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है । इतने मे शंकर चाचा ने कहा यदि हम लकड़ी का उपयोग
नहीं करेंगे तो चूल्हा जलाकर खाना कैसे बनाएगें। रोहित ने कहा इसका भी उपाय है।
क्या हम भूखे रहेंगे ? रोहित ने कहा
नहीं इसका भी तरीका है । मुखिया जी ने कहा क्या तरीका है बताओ ? रोहित ने कहा बायोगैस . इसका उपयोग
करके हम अपना खाना बना सकते हैं इससे धुआ भी नहीं निकलेगा और लकड़ी की आवश्यकता भी
नहीं लगेगी और धुवे से होने वाली बीमारियों से भी राहत मिलेगी | गाव वालो ने कहा
वह कैसे काम करेगा? रोहित ने कहा
हमारे गांव के लोगों के पास गाय, भैंस सभी के पास है | उसका गोबर हम
कुड़े मे डालते है । जिससे खाद बनने में समय लगता है ।
मुखिया जी बोले गोबर से के से बायोगैस बनेगा ? रोहित ने कहा हम
अपने –अपने कुड़े पर गोबर गैस
बनाएंगे, जिससे गोबर के
घोल से सयंत्र द्वारा गैस बनेगी| उस गैस का उपयोग हम खाना बनाने मे करेंगे, और जो गोबर
बचेगा इसका उपयोग खेतों में खाद का उपयोग होगा इस कारण प्रदूषण व धुवे से हमें
मुक्ति मिलेगी |
रोहित की बायोगैस वाली योजना गांव के लोगों
को अच्छी लगी सभी ने बायोगेस
बनाए। गांव की महिलाओं को भी धूवे से मुक्ति मिल गई | और स्वादिष्ट भोजन बनने लगा। दुसरे गांव के
लोग भी रोहित से मिलकर अपने गांव मे बायोगैस बनाने लगे।
रोहित ने गाँव वालो को वृक्षारोपण के लिए
प्रेरित किया। लोगो को बताया की हम हमारे गांव को हरा भरा करे | इससे गांव के
चारो और बंजर भूमि, स्कूल, तालाब किनारे
एवं हमारे घर के सामने वृक्षारोपण करे जिससे हमारा गांव हरा भरा हो जाए | हमें शुद्ध हवा.
ताजे फल प्राप्त हो सके वृक्षों से प्राप्त फल हम बाजार मे बेचकर आर्थिक लाभ कमा
सकते है। रोहित की बात गांव वालों को बहुत अच्छी लगी। मुखिया जी ने कहा पौधे कहाँ
से लाएंगे ? रोहित ने कहा अब
बारिश का मौसम आने वाला है।
हम बाजार से पौधे लाएगें जो सस्ते दाम मे हमें मिल
जाएंगें। कुछ दिनों बाद बारिश हो गई रोहित ने सबसे पोधे लाने के लिए चन्दा एकत्रित किया और बाजार
की नर्सरी से थोक भाव से आम, जामुन, नीम , संतरे , नींबू ,अमरूद, पीपल, कटहल एवं छायादार पौधे खरीदें। सभी ने मिलकर
अपने खेत एव घर के सामने एवं
सार्वजनिक जगह पर वृक्षारोपण किया, तथा उन्हें बचाने का संकल्प लिया। गांव के
चारों. और वृक्षारोपण किया। पूरा गांव
हरा भरा हो गया।
रोहित की पहल से गांव वाले बहुत खुश थे। उनका
गांव आदर्श गांव बन रहा था। महिलाए सिलाई · कढ़ाई का काम कर रही थी। गांव के बच्चे स्कूल
जाने लगे। अनपढ़ महिलाएं प्रिती कि मेहनत से साक्षर हो चुकी थी। जो घर के हिसाब
किताब करने लगी | गांव के तालाब पानी से
भरे थे ।
एवं खेती भी बहुत अच्छे तरीके से किसान कर
रहे थे | सभी ग्राम वासी
एक दुसरे से भाईचारे की भावना से रह रहे थे, सभी एक दूसरे के सुख-दुख मे सहायता करते थे।
गांव के लोगों ने मिलकर मांगलिक
भवन का निर्माण किया। एवं मांगलिक भवन के आस पास वृक्षारोपण भी किया। पहले मांगलिक भवन नहीं
होने के कारण लोगों को विवाह शादी एवं मांगलिक कार्य करने से जगह की कमी के कारण
कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था अब सभी लोग मांगलिक भवन मे अपने मांगलिक कार्यों को
सम्पन्न करने लगे। पूरे गांव को कीचड़ मुक्त जनसहयोग से करके पक्की सड़क व नाली
बनाई गई। जिससे प्रदूषण एवं गंदगी गांव से समाप्त हो गई | गांव का गिला
कचरा एवं सूखा कचरा गांव से बाहर बने कूड़ेदान में गांव के लोग डालने लगे |
लोगो में जागरूकता आई | गाँव के लोगो ने
नियम बनाया की जो व्यक्ति पेड़ काटेगा उसक गाँव वाले बहिष्कार करेंगे और जुर्माना भी
देना पड़ेगा | गाँव के लोगो ने
निर्णय लिया की हम अपने जन्मदिन ,बच्चो की शादी के अवसर या ख़ुशी के समय अपनी
तरफ से पोधे लगाकर अपनी ओलाद समझ कर उनकी देखभाल करेंगे और भी लोगो को अधिक से
अधिक पोधारोपण के लिए प्रेरित करंगे |
हमारे घर के आस -पास साफ सफाई करेंगे | गाँव की गलियों
में कचरा नहीं डालेंगे घर का कचरा
कूड़ेदान में डालेंगे जिससे हमारा
गाँव सवच्छ एव साफ रहे | तथा बिमारिया भी
गाँव के लोगो को न हो सभी ने इन शर्तो
का पालन करने की सपथ ली | सभी लोगो ने जन
सहयोग से कूड़ेदान ख़रीदे एव अपने घर के
सामने रखे | ताकि घर का
अपशिस्ट कचरा उसमे डाल सके | गाँव वालो और
रोहित की पहल रंग लाई पूरा गाँव साफ सुथरा हो गया | गाँव का कीचड़ पूरी तरह समाप्त हो गया | गाँव के मच्छर
भी समाप्त हो गए | गाँव गंदगी
मुक्त हो चूका | गाँव के लोगो ने
अपने -अपने घर में पक्के
सोचालय भी बना लिए जिस कारन गाँव
की महिलाओ को सोच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है |
संघर्ष की राह कहानी
भाग 9
शेरपुर के सरपंच का चुनावी संग्राम :- शेरपुर गांव विकास की ओर बढ़ रहा था।
गांव में शासन की कई मूलभूत योजना गांव वालों को मिल रही थी। गांव वालों की आर्थिक स्थिति
काफी हद तक सुधर चुकी थी। गांव के लोग वैज्ञानिक तरीके से खेती का काम कर रहे थे.| जैविक खेती के मामले मे शेरपुर गांव का नाम
जिले में पहले नम्बर पर था। कुछ समय बाद सरकार द्वारा पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी। गांव के लोग
सोच रहे थे अपने गांव का सरपंच कैसे बनाए | गांव की चौपाल पर चर्चा हो रही थी। उसी गांव
मे एक जमींदार परिवार भी रहता था, उसके दो लड़के थे जमीदार के पास जमीन भी ज्यादा थी। और
ब्याज से पैसे गांव वालों को देता था। लोग उससे डरते थे। जमीदार के लड़के ने लोगों
को डराना शुरू कर दिया ,और होने वाले आगामी सरपंच के चुनाव के लिए
अपने पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों के बीच में जाना प्रारम्भ कर दिया। जो लोग
रोहित को चाहते थे उनको जमीदार की बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने जमीदार की बातो पर
ध्यान नहीं दिया।
उनका मानना था जमीदार ने उनका पहले बहुत शोषण किया| ज्यादा भाव से खाने का अनाज गांव वालों को दे कर उन से अपने खेतों
पर काम करवाया था। पैसा नहीं चुका पाने की स्थिति मे उनकी जमीन हड़प ली थी। वह तो
भला हो राममोहन का जिसके बेटे रोहित के कारण उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुवा।
एक दिन गांव के सभी लोग राममोहन के घर पर गए और बोले गांव का जमींदार अपने लड़के
को सरपंच का चुनाव लड़वा रहा है |
और गांव वालो को उसके पक्ष में मतदान करने के लिए पैसे. शराब का लालच दे रहा
है हम लोग उसको सरपंच पद पर नही चाहते है|. यदि वह सरपंच बन गया तो गांव वालो का जीना मुश्किल कर देगा!
राममोहन ने कहा तो फिर हम क्या करे गांव वाले बोले हम सभी लोगों की आंतरिक इच्छा
हे कि रोहित चुनाव लड़े रोहित ने निस्वार्थ भाव से हमे जीना सिखाया है | हम सभी तन -मन से रोहित का साथ देगें.| राम मोहन ने कहा हमारे पास चुनाव लड़ने के
पैसे नहीं है | चुनाव मे तो बोट लेने के लिए पैसा खर्च करना पड़ता है |. गांव के मुखिया ने कहा हमें पैसे खर्च करने की आवश्यकता नही
पडेगी हम सब मिलकर रोहित को सरपंच का चुनाव जीतवा कर गांव का सरपंच बनाएंगें।
जमीदार के झांसे मे नही आएँगे | हम उसे अपना वोट नहीं देंगे | रोहीत ने हमारे एवं हमारे गांव के विकास के लिए बहुत काम
किया है | जमीदार ने तो हमारी जमीन छीन ली। हमे बेघर करने की कोशिश की , रोहित ने हमे नये-नये काम सिखाए । राममोहन ने कहा
यदि आप सभी हमारे साथ हो तो हम हार नहीं सकते लेकिन ऐसा न हो कि मेरी इज्जत खराब हो जाए। गांव वाले बोले आपकी इज्जत
हमारी इज्जत है |
हम धोखा नहीं करेगें। मुखीया जी ने गांव वालों से पुछा आप सभी का क्या कहना है ? सभी ने कहा हम सभी रोहित के साथ है । इतने मे बिच में एक व्यक्ति सोहन बोला मे आपके साथ नही हूँ | में और मेरा पूरा परिवार जमीदार को वोट देंगे । सभी चौक गए
इतने मे रमेश बोला तू दगाबाज है | तु तो मर रहा था, जब तेरी गाय भैंस जलकर मर गई थी। उस समय रोहित ने तेरी मदद कर बीमा राशि दिलाई थी । तेरे जैसे विश्वासघाती लोगों पर कैसे भरोसा करे ? जमीदार ने तेरी जेब भर दी |
शायद तभी तू ऐसी बात कर रहा है | सोहन नशे मे था | वह रोहित के बारे मे अनाप-शनाप बोलने लगा की रोहित ने उसकी
व उसके परिवार के फायदे के लिए गांव वालो के लिए काम किया | कुछ लोग सोहन को मारने-पिटने के लिए उठे ।
इतने में रोहित ने कहा इसे छोड़ दो हमे इसके मुंह लगने की जरूरत नही है । मैने
आप और हमारे गांव के लिए बिना भेदभाव से आपको रास्ता दिखाया | इसमें मेरा कोई स्वार्थ नही था | मैं चाहता था में पड़ा लिखा व्यक्ति हूँ | मेने आप सभी को अपना परिवार समझ कर आपको सही राह दिखाई।
मुखिया जी बोले रोहित हम सभी जानते हैं ।
हम कोल्हू के बैल जैसी जिंदगी जी रहे थे। तेरे परिवार के हमारे ऊपर बहुत एहसान
है । तुमने हम गांव वालों को सम्मानजनक तरीके से जीना सिखाया। हम भूल नही सकते। तु
कुछ मत बोल और कल सरपंच का नॉमिनेशन फॉर्म भर हम तेरी इज्जत खराब
नहीं होने देंगे । रोहित ने कहा आप सभी की बात का मैं समर्थन करता हूँ । में कल
अपना नॉमिनेशन फॉर्म भारूगा। मुखिया जी ने गांव वालों से कहा यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो बोलो अपनी बात कहो जैसे उस हराम खोर सोहन ने कही । सभी एक साथ
बोले हम सभी रोहित के साथ हैं सभी ने एक आवाज मे कहा रोहित भैया जिन्दाबाद, हमारा सरपंच कैसा हो, रोहीत भैया जैसा हो |
अगले दिन गांव वालों को साथ लेकर रोहीत ने अपना नामीनेशन
फार्म भरा । उधर जमिदार के बेटे तेजू ने भी अपना नामीनेशन फार्म भरा ,और रोहीत को देखकर बोला कल का लड़का दो किताब क्या पड़ली
हमारी बराबरी करने चला। रोहीत के साथ वाले गुस्सा हुवे और लड़ने के लिए आगे बढ़े | रोहीत ने कहा हमे लडाई नही करना हे |यह तो समय बताएगा। चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था | जमीदार गांव के गरीब भोले भाले लोगों को शराब ,रूपने बाटने लगा| और एक तरफ रोहित हाथ जोड़ कर लोगों से न्याय के पक्ष में वोट मांगने लगा। रोहित ने गांव मे चुनाव सभा रखी और
बोला |
मेरे भाइयो और बहनो मेरे पास बांटने के लिए शराब और पैसे नहीं है | में हाथ जोड़कर आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप अपना मतदान
गांव के विकास, आपके बच्चों की शिक्षा, रोजगार के लिए करे। जो व्यक्ति आपको शराब व
पैसा दे रहे हैं ,वे आपका ईमान खरीद रहे है । वे जीतने के बाद अपने पैसे वसूल
करेगें। आपका कार्य व गांव का विकास नहीं करेगें |वे आपको बंधुआ मजदूर बनाएंगे | आपके सुख- दुख में काम नही आएगें। आप अपना
वोट विकास के नाम पर दीजिए।
में आपके एवं अपने गांव के विकास मे कोई कसर नहीं छोडूंगा। निस्वार्थ भाव से
आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर आपका सहयोग करने की कोशिश करूँगा।
मैंने पहले भी अपने गांव के हित के लिए काम किया है । हम सभी ने मिलकर अपने गांव
शेरपुर के विकास की कहानी लिखी है | यदि मुझे आपका आर्शीवाद मिलेगा तो में शासन द्वारा संचालित सरकार की मूलभूत योजनाएं अपने गांव में लाऊंगा | मेरा विश्वास किजीए मेरा संकल्प आपके सामने
है | में आप सभी के सामने ईश्वर को साक्षी मानकर शपथ लेता हूं | अपने गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र . हाईस्कुल , गांव को शहर की सड़क से जोड़ना , गाँव मे बीजली लगवाना, पशु चिकीत्सालय, जेसी मूल भूत समस्याओं का समाधान करवाऊंगा।
आप मुझ पर विश्वास कर मुझे अपना वोट दे में आपके बीच मे नेता बनकर नही बेटा बनकर
आपके परिवार का सदस्य बनकर काम करूँगा । आगे सब आपके हाथ में है |
इधर जमीदार का बेटा भी प्रचार कर रहा। उसने अपने खेत पर गांव बालो के लिए दावत
का काम सुरु कर दिया| मांस ,मछली की पार्टीया शुरू हो गई, साथ मे शराब भी बांटी जा रही थी . कुछ लोगों को पैसे , महिलाओं को साडीया देकर वोट खरीदने लगा। कई ईमानदार लोग भी
थे |वे बिकने वाले लोगों को समझाकर रोहित को वोट देने के लिए
प्रेरित कर रहे थे । गांव के समझदार लोगों ने प्रण किया कि रोहित को किसी भी हालत मे सरपंच बनाना है । एक दिन
जमींदार ने राममोहन को अपनी हवेली पर बुलाया और कहा अकेले आना |
राममोहन डर गया। उसने सोचा भगवान जाने जमीदार क्यों बुला रहा है ? उसने रोहित को कहा जमीदार मिलने के लिए बुला
रहा है। रोहित ने कहा डर किस बात का चलो ? हम जमीदार से मिलने चलते हे| दोनों बाप-बेटे जमीदार की हवेली पर गए। रोहीत
ने जमींदार को प्रणाम किया। जमीदार ने कहा राममोहन तुम ठीक नहीं कर रहे हो आज तक मेरे सामने कोई बोलने वाला खड़ा नही हुआ |
ओर तेरी क्या औकात जो मेरे सामने अपने लड़के को चुनाव मे खड़ा कर दिया। राममोहन ने कहा सरकार में
तो एक छोटा किसान हूं आप तो जमीदार है। जमीदार ने कहा एक लाख रुपये लेकर अपने बेटे
को घर पर बिठा दे इतने मे रोहित बोला में अपने गांव वालों के समर्थन से चुनाव के खड़ा हुवा हु , मेरी मर्जी से नहीं आप अपने पैसे अपने ही पास रखीए मैं गाँव
वालो के साथ विश्वासघात नहीं करूंगा ? उनकी इच्छा से ही मैंने सरपंच का फार्म भरा
है। मैं आपसे पैसे लेकर समझौता करने वाला कोन ? चाहे हार या जीत चुनाव जरूर लडुगा। यह कहकर दोनों बाप बेटे
अपने घर आ गए। कुछ दिनों बाद सरपंच का चुनाव हुआ रोहित जीत गया। गांव वाले हार फूल
से रोहीत का स्वागत करने लगे | ढोल नगाड़े वाले भी आ गए |
गांव वाले रोहित का जुलूस निकालना चाहते थे। लेकिन रोहित ने
मना कर दिया। और कहा में सबसे पहले जमीदार साहब के घर जाकर उनका आशीर्वाद लूंगा।
गांव वाले बोले वे तो हमारे विरोधी थे रोहित ने कहा, 'चुनाव तक वे हमारे विरोधी थे। अब हम उन्हें अपने विरोधी नहीं मानते, रोहित की बात सभी ने मानी. सभी शांतिपूर्ण
तरीके से जमीदार के घर की और जाने लगे। उधर जमीदार के दोनों बेटे हार के कारण गांव
वालों को कोस रहे थे। कह रहे थे हमने चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसे खर्च
करे , शराब पिलाई लेकीन गांव वालो ने हमें धोखा दिया वह कलका लडका रोहित चुनाव जीत गया चार किताब क्या
पड़ती अपने आप को गांव वालो के सामने कलेक्टर समझने लगा |
गाँव वालो ने उसे अपने सिर पर बिठा लिया अब वह गांव का सरपंच बन गया। अब हमारी कोई बात को चलने नहीं देगा | जमीदार ने अपने लडको को समझाया की मैं जानता हु रोहित गरीब
बाप का लड़का है। लेकीन है ईमानदार उसी का फल उसे मिला है । उनकी बात चल ही रही थी
की इतने में रोहित गांव बालो के साथ जमीदार के घर पर आ गया
जमीदार बैठा था। रोहित जमीदार को प्रणाम करते हुए आगे बड़ा जमीदार ने रोहित को गले
लगा लिया और दोनों प्रेम से गले मिले । जमीदार के लड़के सोचने लगे हम तो
इसे बुरा भला कह रहे थे । यह तो चुनाव जीतने के बाद सीधे हमारे घर मिलने आया | दोनो लड़को ने रोहित को बधाई दी।
जमीदार बोला वाकई रोहीत बड़े दिल वाला लड़का है | और कहा आज से मे भी रोहित के साथ हु | हम सभी मिलकर अपने गांव का विकास करेंगे | जमीदार का हृदय परिवर्तित हो गया और कहा अब
से हमारे गांव में कोई भेदभाव नहीं करेगा। जमीदार ने सभी को चाय नाश्ता करवाया और कहा जिन किसानों की जमीन मेरे पास गिरवी पड़ी थी।
वह जमीन में उन किसानों को देने की घोषणा करता हूँ । तथा भविष्य में जिनको भी मेरी तरफ से जो मदद
चाहिए मैं सदा आपकी सहायता के लिए सेवा मे तत्पर
रहूंगा।
रोहीत ने कहा जमीदार साहब जिन्दाबाद गांव वाले भी जमीदार साहब की जय-जयकार
करने लगे। रोहित ने कहा आप तो हमारे आदर्श है । हम सभी मिलकर अपने गांव का नाम
प्रदेश में बड़ाएंगे । जमीदार साहब से विदा लेकर रोहीत गांव वालो के साथ अपने घर
पर आया | गांव की महिलाओं रोहीत की आरती उतारकर टीलक
लगाया | गांव के सभी लोग आज बहुत खुश थे मानो गांव से
बहुत बड़ा त्योहार हो । इसी बीच रोता हुवा सोहन भी आगया और राममोहन के चरणों में गिर कर
माफी मांगने लगा और बोला में गलत लोगो के बहकावे में आगया था। और रोहित के खिलाफ बोल दिया मुझे माफ़ कर दो जोर-जोर से गीड गिड़ाने लगा राम मोहन ने कहा कोई बात नही मेने तुझे माफ़ किया। रोहित ने सोहन को गले लगाया ,और कहा गलती हो जाती है । अब किसी के बहकावे मे मत आना सोहन
ने गाँव वालो से भी माफी मांगी |
संघर्ष
की राह कहानी भाग 10
रोहित का प्रण: शिक्षा से गाँव का उत्थान":- रोहित का शपथ
ग्रहण -गांव में काफी चहल-पहल थी, सभी ग्रामीण जन एक दूसरे को रोहित के सरपंच
बनने की बधाई दे रहे थे। आज ग्राम पंचायत में सरपंच रोहित का शपथ ग्रहण समारोह था।
शपथ दिलाने के लिए जिले से अधिकारी आए थे। अधिकारी महोदय ने रोहित को सरपंच पद की
शपथ दिलाई और अपने गांव में विकास कार्य के लिए मार्गदर्शन दिया। रोहित ने
ग्रामवासियों के समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "आप सभी ने मुझे
सरपंच बनाया है, मैं इस पद का
दुरुपयोग नहीं करूंगा। हम सभी मिलकर अपने गांव का विकास करेंगे।"
शिक्षा का प्रण -रोहित ने कहा, "सबसे पहले हम
शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे। हमारे गांव में कक्षा आठवीं तक ही स्कूल है।
आठवीं कक्षा के बाद हमारे गांव के लड़के-लड़कियां आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते और
बीच में पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने लग जाते हैं। इससे उनकी आगे की पढ़ाई छूट जाती
है। मैं सबसे पहले अपने गांव में हाई स्कूल प्रारंभ करवाने के लिए जिला शिक्षा
अधिकारी से बात करूंगा और उनसे प्रार्थना करूंगा कि हमारे गांव में हाई स्कूल की
मंजूरी प्रदान करें।"
प्रस्ताव की तैयारी -पंचायत की पहली बैठक में
गांव में हाई स्कूल खुलवाने का प्रस्ताव लिया गया। पंचायत के पंचों एवं ग्रामीण
जनों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर जिला शिक्षा अधिकारी के नाम पत्र
तैयार किया। अगले दिन, रोहित और सचिव
सहित गांव के कुछ वरिष्ठ लोग जिला शिक्षा अधिकारी से मिलने शहर गए।
जिला शिक्षा अधिकारी से मुलाकात -रोहित ने
अपना परिचय देते हुए हाई स्कूल का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी को दिया। अधिकारी
ने पूछा,
"आपके गांव की
आबादी कितनी है?" रोहित ने कहा, "महोदय, तीन हजार की
जनसंख्या है। वर्तमान में कक्षा आठवीं में 70 बच्चे पढ़ रहे हैं।" अधिकारी ने कहा, "इतने कम बच्चों
पर हाई स्कूल कैसे स्वीकृत कर सकते हैं?" रोहित ने समझाया, "महोदय, हमारे गांव के
आस-पास चार किलोमीटर की परिधि में सात गांव हैं और इन गांवों से हाई स्कूल की दूरी 15 किलोमीटर है।
यदि हमारे गांव में हाई स्कूल खुल जाता है, तो आस-पास के सात गांव के बच्चों को 15 किलोमीटर नहीं
जाना पड़ेगा। आस-पास के गांव के बच्चों की संख्या लगभग 150 हो जाएगी, और 70 बच्चे हमारे
गांव के कुल मिलाकर 200 विद्यार्थी हो
जाएंगे।"
अस्थाई भवन की व्यवस्थाजिला शिक्षा अधिकारी
ने कहा,
"हाई स्कूल की
बिल्डिंग बनने में समय लगेगा। लेकिन मैं स्वीकृति देता हूँ, आप जब तक
बिल्डिंग नहीं बने तब तक अस्थाई भवन की व्यवस्था कर सकते हैं?" रोहित ने कहा, "हां सर, हम भवन की
अस्थाई व्यवस्था कर लेंगे।" अधिकारी ने कहा, "मैं दो-चार दिन
में हाई स्कूल की बिल्डिंग बनाने की जगह का निरीक्षण करने आपके गांव में आऊंगा।
फिलहाल इस सत्र के लिए अस्थाई भवन की व्यवस्था कर लेना।"
जमींदार से सहायता -रोहित और गांव वाले, पंचायत सचिव के
साथ गांव आकर बैठे। उन्होंने गांव वालों को हाई स्कूल स्वीकृति की बात बताई। सभी
खुश थे। इतने में रोहित के पिताजी राममोहन बोले, "अस्थाई भवन कहाँ
है? कौन देगा अपना
घर स्कूल लगाने के लिए?" गांववासी चिंतित हो गए। रोहित ने कहा, "हम जमींदार साहब
से मिलते हैं। कुछ न कुछ हल जरूर निकल जाएगा।" रोहित ने रमेश को कहा, "जमींदार साहब को
पंचायत में बुलाकर लाओ।"
जमींदार का योगदान - जमींदार साहब पंचायत में
आए। सभी लोगों ने उनका अभिवादन किया। रोहित ने खड़े होकर उनके चरण छुए और कुर्सी
पर बिठाया। जमींदार साहब बोले, "क्या बात है? आज गांव के सभी
लोग एक जगह और मुझे क्यों बुलाया?" रोहित ने कहा, "आपके और गांव
वालों के आशीर्वाद से हमारे गांव में हाई स्कूल स्वीकृत हो गया है।" जमींदार
साहब बोले,
"यह तो बहुत खुशी
की बात है।" रोहित ने कहा, "एक समस्या है," और पूरी बात
बताई। जमींदार साहब बोले, "इसमें चिंता करने की क्या बात है? मेरा एक मकान
पूरा खाली पड़ा है। उसकी साफ-सफाई करवा देता हूँ, उसमें बच्चे
पढ़ेंगे। और मेरे मकान के पास मेरी तीन एकड़ जमीन भी है, जिसे मैं नया
हाई स्कूल भवन बनाने के लिए दान देने के लिए तैयार हूँ।"
जिला शिक्षा अधिकारी का निरीक्षण - कुछ दिनों
बाद जिला शिक्षा अधिकारी गांव में आए। रोहित ने उनका स्वागत किया और जमींदार साहब
द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए भवन दान करने की बात बताई। जिला शिक्षा अधिकारी ने
कहा,
"इस नेक काम के
लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद।" गांव वालों ने बताया कि जमींदार महोदय ने भवन
बनाने के लिए तीन एकड़ जमीन भी दान में देने की घोषणा की है। अधिकारी ने भूमि का
निरीक्षण किया और हाई स्कूल की स्वीकृति का आदेश पत्र सरपंच रोहित को देते हुए कहा, "अब इस सत्र से
हाई स्कूल प्रारंभ हो जाएगा और आगामी शिक्षा सत्र से पहले सरकारी भवन बनकर तैयार
हो जाएगा।"
शिक्षा के प्रति जागरूकता -रोहित ने कुछ
समाजसेवी संगठनों को साथ लेकर शिक्षा के प्रति जागरूकता का कार्यक्रम चलाया। लोगों
को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया और शिक्षा के महत्व के बारे में
जानकारी दी। आस-पास के गांवों के लोगों को बताया कि आठवीं कक्षा के बाद उनके
बच्चों को हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा। अब पास के गांव में ही
हाई स्कूल स्वीकृत हो गया है, जिसमें निशुल्क और अनुभवी अध्यापकों द्वारा
शिक्षा प्रदान की जाएगी।
नए सत्र की शुरुआत -लोगों को बात समझ में आई
और उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्वीकृति प्रदान की। आस-पास के गांवों से
सौ से ऊपर बच्चों का पंजीयन किया गया। कुछ दिनों बाद शिक्षा सत्र प्रारंभ हुआ। हाई
स्कूल में बच्चों ने एडमिशन करवाया और पढ़ाई प्रारंभ हो गई। पढ़ाई के साथ-साथ खेल
एवं शारीरिक शिक्षा, सांस्कृतिक
कार्यक्रम तथा विज्ञान मेले की प्रतियोगिताएं भी होने लगीं।
बिल्डिंग और खुशहाली -कुछ दिनों बाद गांव में
हाई स्कूल की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। रोहित ने गांव वालों के साथ समाजसेवी
संगठनों की मदद लेकर स्कूल में पंखे, फर्नीचर, खेल सामग्री
उपलब्ध करवाई। आस-पास के गांव के लोग बहुत खुश हुए। विद्यालय के विद्यार्थी और
अध्यापक ने गांव वालों की मदद तथा जनसहयोग और श्रमदान करके खेल मैदान बनाया, बाउंड्रीवाल का
निर्माण किया और वृक्षारोपण किया। अब गांव में मैदान भी बन गया और बच्चे कबड्डी, क्रिकेट, फुटबॉल खेलने
लगे। विद्यालय का परीक्षा परिणाम भी शत प्रतिशत आने लगा।
संघर्ष की राह कहानी
भाग 11
गांव की तरक्की और एकता
का जज्बा":-
गांव के लोग बहुत खुश थे। रोहित ने अपने गांव
के लिए बहुत कार्य करवाए | गांव में हायर सेकेन्डरी स्कूल भी बन गया
कक्षा बारहवीं तक कक्षा लगने लगी ,आस पास के गांव के लोगों को भी अपने गांव मे
ऐसा कार्य करने की प्रेरणा मिली |रोहीत ने गांव में शुद्ध पानी के लिए
ट्यूबवेल लगाकर पानी की टंकी का निर्माण करवाया एवं नल जल योजना से घर-घर पानी
पहुंचाने लगा। गाँव बालो को शुद्ध पानी मिलने लगा। रोहित ने कहा जल ही जीवन है जल
के बिना हमारा जीवित रहना संभव नहीं है। अतः हमे शुद्ध पानी की आवश्यकता है | पानी का उतना ही
उपयोग करना चाहिए जीतनी जरुरत है | पानी बचाना भी हमारा कृत्वर्य है। पानी
प्रकृति की अनमोल धरोहर है हम इसका निर्माण नहीं कर सकते है भगवान की इस अनमोल
धरोहर को सोच समझ कर उपयोग करना चाहिए । गांव के लोगों को रोहित की सलाह बहुत
अच्छी लगी उन्होंने शपथ लेकर जल सहेज करने का प्रण लिया समय आगे बढ़ता गया । गांव
मे खुशहाली के साथ- साथ आगे बढ़ने लगा गांव के सभी लोग मिलजुल कर रहने लगे सभी
लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने लगी |
बारिश का मौसम था |रोहीत अपने
परिवार के साथ बैठा था| सभी सदस्य बातें कर रहे थे। तभी जगमोहन रोहित
के घर आया |पानी गिर रहा था
तेज वर्षा हो रही थी. गांव से शहर जाने वाला रास्ता कच्चा था जिसमे किचड व गडडे
पड़े हुवे थे । पक्की सड़क से गांव की दूरी चार पांच किलोमीटर के लगभग थी कच्चे
रास्ते के कारण बारीश के दिनो मे वाहन फंस जाता था जिससे गांव वालों को कठिन
समस्या का सामना करना पड़ता था। जगमोहन घबराया हुआ था राममोहन ने कहा क्या बात है ? तुम घर घबराए
हुए क्यों हो ? जग मोहन ने कहा
मेरे बेटे की बहु सुनीता गर्भवती है ,उसके पेट में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है | वह तड़प रही है ,गांव मे डॉक्टर
भी नहीं है ,और शहर जाने के
लिए रास्ता खराब है तथा वर्षा भी तेज हो रही हे अब मैं क्या करूं | रोहित ने कहा
समस्या गंभीर है । इतने मे राहुल की पत्नी प्रीति बोली चिंता करने की कोई बात नहीं प्रसूती के बारे
में जानकारी है में तुम्हारी
बहू की प्रसूती करवाउंगी |
मुझे आंगनवाड़ी की देनीग मे गर्भवती महिला व
प्रसूती करवाऊंगी। रोहित और उसके परिवार के सदस्य जगमोहन के घर
गए। जगमोहन की बहु दर्द के
कारण तड़प रही थी। आस पड़ोस की महिला भी रोहित के घर पर बैठी थी प्रीति को देखकर
सभी महिला खड़ी हो गई। प्रिती ने सुनीता की हालत देख कहा डिलेवरी होने वाली है।
उसने वहसे में सुनीता को अलग कमरे मे
पलंग पर लिटाया और सुनीता की सुरक्षित तरीके से डिलीवरी करवाई बच्चे के रोने की आवाज
सुनकर बाहर बैठे लोगों की जान मे जान आई । प्रीति ने बाहर आकर कहा घबराने की कोई
बात नहीं मिठाई बाटो बड़का हुवा है, जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित है । सभी लोग बधाइयां
दे रहे है । सभी गांव वाले प्रिती की तारीफ कर रहे के थे ।
अगले दिन रोहित ने गांव की पंचायत मे गांव के
सभी लोगो को बुलाया और कहा
हमारे गांव मे सड़क नहीं होने के कारण सभी गाँव वालो को बारिश के
दिनों में कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है । कल की ही घटना देखो यदि प्रीति
को प्रसूती की जानकारी नही होती तो प्रसूती के लिए जगमोहन की बहु की क्या हालत
होती । बारिस भी मूसलाधार हो रही थी, कच्ची सड़क होने के कारण हम डिलीवरी के लिए
शहर कैसे जाते है इतने मे राहुल बोला हम सड़क के लिए आवेदन सरकार को देंगे रोहित बोला सड़क
मंजूर होने मे समय लगेगा अभी बारिश का मौसम है । कल ऐसी कोई अनहोनी न हो इसके लिए
हमे कुछ न कुछ करना पड़ेगा। गांव वाले बोले हम इस विकट समस्या का हल कैसे कर सकते
हैं ? रोहित ने कहा हम
जनसहयोग से गांव से लेकर पक्की सड़क तक कच्चे रास्ते मे मुरम एवं पक्के पत्थर
डालकर इस समस्या का निराकरण कर सकते हैं |
गांव वाले बोले कैसे ? रोहित ने कहा हम
सभी गांव वाले मिलकर खुद काम करके हमारे गाँव मे दस ट्रेक्टर हे पास के गांव से
जेसीबी मशीन लाकर हम थोड़ा थोड़ा चन्दा इकट्ठा करके ट्रैक्टर व
जेसीबी वालों को उनका किराया दे देंगे और हर घर से एक व्यक्ति श्रमदान करके
जनसहयोग से सड़क बना लेंगे । गांव वालों को रोहित की बात अच्छी लगी । और सभी
गांववासी सहर्ष तैयार हो गए । अगले दिन गांव वाले तैयार होकर आ गए और खुदाई कर के
कच्चे रास्ते पर मुरम व पत्थर डालने लगे सभी लोग उत्साह से काम मे हाथ बटा लगे तीन
दीन मे कच्चे रास्ते को मुरम और पत्थर से भर दिया और पक्की सड़क से गांव की सड़क
जोड़ दी ,अब वारीस मे की
वाहन आशानी से जा सकते है गांव वाले बहुत खुश थे |
रोहित ने कहा सभी कार्य के लिए सरकार पर
निर्भर नहीं रहना चाहिए.
एकता ने बहुत शक्ति होती है । हमारे गांव में अभी ऐसे कई कार्य है
जिन्हें हम सभी मिलकर जन सहयोग से कर सकते है ,सभी लोगो ने
रोहित की बात का समर्थन किया और कहा हम सभी अपने मन में जन सहयोग की
भावना सदा रखेंगे हम अपने गांव को स्वच्छ साफ सुथरा रखेंगे । सभी लोग अपने अपने घर गए |
रामपुर गांव जिले में नम्बर
एक गांव बन गया था | अधिकारियो की
नजर में एक आदर्श गांव बन गया सरकार भी ऐसे गांव के लिए कई कार्य कर रही थी | रोहीत को ग्राम
पंचायत के मुखिया के नाते कलेक्टर ने सम्मानित किया। राहुल निस्वार्थ भाव से अपने
गांव के हित के लिए सदा तैयार रहता था। गांव मे हायर सेकेंडरी स्कूल का परीक्षा
परिणाम 100% आया इसी गांव के कक्षा 10 वी 12 की के चार विद्यार्थियों ने प्रदेश मे नाम
किया । रोहित ने विद्यालय के
अध्यापकों एवं सभी छात्रों का सम्मान किया।
और उन्हें शुभकामनाएं दी | गांव वाले बहुत खुश हुवे उन्होंने कहा हमारा
गांव एक समय पिछड़ा एवं
अविकसित गांव था, ज्यादातर लोग अ
साक्षर थे
लेकिन रोहीत की कृत्वर्त्य निष्ठा से आज
हमारा गांव पूरी तरह साक्षर हो गया |लोगो को काम की तलाश मे बाहर जाना पड़ता या
लेकीन अब हर घर रोजगार से जुड़कर अच्छी खासी आय अर्जित कर रहा है किसी से कर्ज
लेने की जरूरत ही नहीं है | गांव के बड़के लड़कियां शहर मे कालेज की
पढ़ाई कर रहे हैं थे सभी रोहित के कारण संभव हो पाया। गांव ने नलों से शुद्ध पानी
घर तक पहुंच रहा - गांव मे पक्की नालियां सीसी रोड़ हर घर पक्के शौचालय एवं कीचड़
मुक्त गाव बन गया |
बायोगैस संपन्न एवं बिजली गांव मे 24 घंटे मिल रही उपस्वास्थ्य
केन्द्र गांव मे खुल गया जहां गांव वालों का निशुल्क इलाज एवं दवाइया मिल रही | गांव के सभी लोग
जात पात से ऊपर उठकर एक दुसरे की मदद करने के लिए सभी एकजुटता से कंधे से कंधा
मिलाकर सदा तैयार रहते । सभी लोग मिलजुल कर गांव के बीज त्योहार मनाते है |सामाजिक-सांस्कृतिक
पारंपरिक कार्य मे सभी प्रेम एवं भाईचारे की भावना से सम्मिलित होते है ,गांव मे अमन चैन
और सुख समृद्धि हे गांव के बड़े लोगों की बातें युवा सुनते हैं ।'
गांव की तरक्की से गांव आत्मनिर्भर बन रहा था
संघर्ष की राह कहानी
भाग 12
गाँव के युवा आर्मी की तैयारी
शेरपुर गांव के
कई युवा 12 वी पास हो गए अब
वे सरकारी नौकरी की तलाश करने लगे लेकिन सरकारी नौकरी में पद कम और उम्मीदवारों की
संख्या अधिक एक अनार सौ बीमार की कहावत सिद्ध हो रही ऐसे मे गांव के 'युवा हताश होने
लगे । एक दिन रोहित के माया जी का लड़का जो दूसरे जिले के गांव का निवासी था। और
आर्मी मे नौकरी करता था। पांच साल हुए थे नौकरी मे दो महीने की छुट्टी मिली थी ,वह अपने गांव
आया था । वहां से वह रोहित के परिवार वालो से मिलने आया था ।
रोहित के घर आया
सभी से मिला उसका नाम जंग बहादुर था । रोहित बोला तु तो बिल्कुल नहीं बदला पहले
जैसा गबरू जवान है | कंहा है तेरी
पोस्टिंग जंग बहादुर ने कहा अब में देश सेवा कर रहा हूँ और जम्मू मे मेरी पोस्टिंग
है । रोहित ने पूछा आर्मी की नौकरी किस्मत वालो को मिलती है, जिन्हे देश सेवा
करने का अवसर मिलता है । जंग बहादुर बोला नहीं हमारे देश के हर
व्यक्ति देश सेवा करते है । जैसे किसान कड़ी मेहनत करके अन्न उत्पादन कर
देशवासियों की पेट की ज्वाला को शांत करता है , शिक्षक अच्छी
शिक्षा देकर व्यक्ति के जीवन को संवारकर अच्छा नागरिक बनाता है ।
डॉक्टर गंभीर से गंभीर बीमारी को जटिल ऑपरेशन
कर बीमारी को दूर करता है । कही न कही हर व्यक्ति कई रूप मे देश की सेवा के समर्पण
की भावना से देश के विकास मे अपना अमूल्य सहयोग देकर देश सेवा करते है फर्क इतना हे कि सैनिक बॉर्डर पर रहकर
बाहरी खतरों से देश की रक्षा करते है आर्मी के जवान और देश के नागरिक देश मे रहकर
अपने देश के विकास मे सहयोग देते है । रोहित ने कहा तुमने अपने मन की भावना बता कर मेरा दिल
खुश कर दिया मुझे तुम पर गर्व है , मे तुझे सलाम करता हूं । यदि हर भारतवासी के
मन मे तुम्हारी जैसी सोच होतो हमारा देश आत्मनिर्भर बन जाये इतने मे रोहित के
पिताजी और राहुल बाजार से आ गए जंग बहादुर को देखकर, राहुल हमारे घर
मेहमान आए हाल चाल पूछे
बोला क्या बात है आप जगबहादुर ने
प्रणाम किया |
पुरे परिवार ने जंग बहादुर के साथ भोजन किया
और जंग बहादुर ने कहा खाना बहुत अच्छा बनाया आत्मा तृप्त हो गई। फोज मे
ऐसा खाना नहीं मिलता हे.! गैस मे खाना
खाते है । जंग बहादुर ने कहा आपका गांव तो
काफी बदल गया, स्कूल , हॉस्पिटल , मांगलीक भवन आदी
हो गए|
राहुल के पिताजी
बोले बेटे गांव के विकास मे सरपंच रोहित का योगदान । रोहित ने गाँव
वालो को साथ लेकर सभी ने मिलजुल कर गांव की दशा बदल दी। जंग बहादुर ने कहा हां मैंने पेपर में आपके गांव के
बारे मे पड़ा था बहुत अच्छा लगा । इतने मे रोहित बोला एक चिंता रहती है जंग बहादुर
बोला अब क्या चिन्ता है ।
अच्छा घर बन गया शादी हो गई । कारोबार अच्छा
चल गया । रोहित ने कहा इस बात की नहीं 'मुझे गांव के युवाओं की जिन्होंने बारहवीं तक
शिक्षा प्राप्त कर ली अब वे बेरोजगार होकर घूम रहे हैं नौकरी मिलती नहीं, मुझे डर है कि
थे युवा भटक न जाए और गलत काम न करने लगजय जंग बहादुर बोला आर्मी मे क्यों नहीं जाते दो
महीने बाद आर्मी की भर्ती निकलने वाली है ।
जिसमें हजारों युवाओं को मौका मिलेगा । इतने
मे रोहित ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है लेकीन भर्ती की तैयारी के लिए उन्हें कौन
समझाए, जंग बहादुर
तुमसे एक बात कहु क्या तुम आठ दिन
गांव मे रहकर उनका गार्गी दर्शन करें ? जंग बहादुर कैसी बात करते बड़ा उपकार होगा
तुम्हारा ,
पन्द्रह दिन तक
हमारे यहाँ रहकर
तैयारी करवाए मुझे बहुत खुशी होगी मैं आर्मी मे ट्रेनर हूँ । इसमे उपकार की क्या
बात है । रोहित बोला तुमने मेरे यन से मेरा बोझ हल्का कर दिया । रोहित ने कहा अब
सो जाबो कल गांव की चौपाल पर इस बारे मे बात करेंगे ।
अगले दिन रोहित ने चौकीदार को बुलाकर गांव
वालो को चौपाल पर बुलाया । गांव के सभी , युवा वृद्ध सोच रहे थे । आज क्या काम होगा जो
सभी इकट्ठे हुए सभी सोच ही रहे थे। इतने में रोहित उनके मामा का लड़का जंग बहादुर
भी आ गए |
रोहीत ने सभी
गांव वालों को नमस्कार किया सभी लोगों ने रोहित के नमस्कार का
अभिवादन किया |
रोट्रीत से गाँव वालो ने पूछा आज क्या बात है ? कभी खैरियत तो
है सभी को क्यों बुलाया
रोहित ने कहा आज हमारे गांव के युवाओं के भविष्य के लिए सभी लोगो को ये जो वर्दी मे खड़े है ये
मेरे मामा जी के बेटे हैं , उनके नाम जंग बहादुर है ,पांच साल पहले
ये सेना भर्ती हुए और नौकरी कर रहे
है |. जंग बहादुर ने
जय हिंद कह कर सबका अभिवादन किया । गांव के पढ़े लिखे युवाओं ने भी जय हिन्द कहा
सभी मे जोश था । रोहित बोला भारतीय सेना मे सैनिकों की भर्ती होने वाली है यदि
हमारे गाँव के युवा देश सेवा की नौकरी करना चाहते है तो वे तैयार कर सकते है । इतने मे एक युवक
योगेन्द्र बोला हम सेना मे कैसे भर्ती हो सकते हमे तो जानकारी भी नही है बाकी युवाओं ने
भी योगेन्द्र की
बात का समर्थन किया इतने मे सरपंच रोहित ने कहा इसकी जानकारी आपको जंगबहादुर देंगे जंग
बहादुर ने कहा जब मैं सेना में भर्ती हुआ था तो मैंने कई कठिन चुनौतियों का सामना
किया मुझे कोई बताने वाला नहीं था ।
उसने अपने विचार साझा किये । देश की सेवा
करने का जुनून और अपनी क्षमता पर भरोसा रखने से हर समस्या सरल हो जाती है | सैना में न एक
सैनिक बनता है बल्कि एक सशक्त अनुशासन और जिम्मेदार नागरिक भी बनता है । उसने आगे
कहा जोश और हिम्मत हो तो कुछ भी असंभव नहीं । सेना मे कैसे भर्ती हो सकते हैं ।
उन्हें सेना भर्ती प्रक्रिया के बारे मे विस्तार से बताया और कहा सपने देखने से
ज्यादा जरूरी है उन्हें साकार करने का हौसला' रखना। मेहनत और समर्पण से आप सभी सेना मे
शामिल हो सकते हैं | युवाओं ने कहा
हम कठिन मेहनत करने के लिए तैयार है । जंग बहादुर ने कहा में पन्द्रह दिन तक आपके
गांव मे रहकर आपको फिजिकल - दौड़, एक एवं परीक्षा की तैयारी में स्वयं तुम्हे
कराऊंगा |
कल जो व्यक्ति सेना मे जाने के लिए तैयारी
करना चाहता है वह कल मैदान मे आ जाना सभी ' युवाओं मे उत्साह था । अगले दिन से सभी युवा गांव
के मैदान मे आ गए सभी को जंग बहादुर ने ट्रेनिंग देना सुर किया पन्द्रह दिन तक जंग
बहादुर ने सभी को भर्ती की प्रक्रिया बताई और कहा जब तक सेना की भर्ती न खुले तब
तक आप सभी युवा सुबह-शाम मैदान मे प्रैक्टिस करते रहो मुझे विश्वास है
आपको ईश्वर जरूर सफल करेंगे जिसके बाद सभी युवा अनवर , संकल्प से एक
सैनिक की तरह - दौड़, दण्ड बैठक, और कसरत करते थे उनमे
सेना मे जाने का जुनून
सवार था
कुछ महीनों बाद आर्मी की भर्ती खुली युवाओं
ने पूरी तैयारी से भाग लिया और बीस युवाओं में से अठारह युवाओं का भारतीय सेना में
चयन हुवा • गांव में जब यह
समाचार लोगो को प्राप्त
हुवा तो गांव का माहोल त्योहार जैसा हो गया
सभी लोग एक दूसरे को बधाई देने लगे सभी लोग मिलकर सरपंच रोहित के घर बधाई देने पहुंच
गए रोहित सोया हुवा था ,आवाज सुनी बाहर निकला भिड देखकर घबरा गया |लोगो से पुछा
क्या बात है सभी खैरियत तो है • गांव के चौधरी ने कहा बेटा सभी खैरियत है ।
तुम्हारी मेहनत रंग लाई हमारे गांव के 18 लड़कों का सैना
में चयन हो गया है ,यह सुनकर सरपंच
रोहित की आँखों में खुशियों के आँसू भर आए रोहीत बोला आप सभी लोग की वजह से आज हमारे गांव
का नाम इतिहास ने लिखा जाएगा एक गांव से पहली बार बड़ी संख्या में इतने युवाओं का
चयन हुवा अभी चाय पी रहे थे ,इतने मे भर्ती होने गए वे लड़के भी आ गए वे
सभी से मिले रोहित के चरण स्पर्श कर कामयाबी का श्रेय रोहित को दिया रोहित ने कहा
यह सभी आपकी मेहनत का फल है । और भी युवा तैयारी करते रहे सभी को सफलता मिलेगी
हताश होने की आवश्यकता नहीं है ।
कुछ दिन बाद सभी युवाओं को बैंड बाजों के साथ
स्वागत करके ट्रेनिंग के लिए भेजा सभी युवाओं ने अपनी ट्रेनिंग अलग-अलग शहरों मे
प्राप्त की और सैनिक बनकर छुट्टियाँ बिताने गांव आए | गांव वालो ने
सभी का हार फूल से स्वागत किया पटाखे फोड़े गए । उस दिन रोहित ने अपनी तरफ से गाँव
वालो का भोजन रखा. जिसमे जिला कलेक्टर, एस डी एम तहसीलदार , विधायक भी गांव
मे आए और सभी सैनिको का स्वागत किया | विधायक जी ने कहा हमारे विधानसभा क्षेत्र के
लिए यह गौरव की बात है की हमारे क्षेत्र के एक गांव से बड़ी संख्या मे इतने युवा
सैनिक बने में अपनी तरफ से सभी को बधाई देता हूँ गाँव के सरपंच रोहीत की इस पहल का
स्वागत करता है की उन्होंने गांव के युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित किया |
मै अपनी और से गांव मे खेल मैदान एवं कसरत के
सामान के लिए पांच लाख रुपये की राशी स्वीकृत करता हूं और जो सैनिक छुट्टी पर आए
है उनसे अनुरोध करता हूँ की वे अपनी छुट्टी के समय अन्य युवा साथी का मार्गदर्शन
करें |

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