राष्ट्रीय प्रेस दिवस : लोकतंत्र का प्रहरी और जनविश्वास का आधार
लेख ( रघुवीर सिंह पंवार) राष्ट्रीय प्रेस दिवस हर वर्ष 16 नवंबर को भारत में मनाया जाता है। यह वह दिन है , जब प्रेस की स्वतंत्रता , उसकी गरिमा , उसकी चुनौतियों और उसकी जिम्मेदारियों पर गहन मंथन होता है। यह अवसर हमें याद दिलाता है कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं , बल्कि एक दायित्व है — लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने का दायित्व। संसद , कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद प्रेस ही वह ताकत है , जो सत्ता को आईना दिखाती है , जनता की आवाज बनती है और समाज को सत्य का दर्पण थमाती है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए 16 नवंबर , 1966 को प्रेस परिषद् ( Press Council of India) की स्थापना की गई थी। इसी कारण 16 नवंबर को “ राष्ट्रीय प्रेस दिवस ” घोषित किया गया। यह दिवस पत्रकारिता के उस आत्मसम्मान का प्रतीक है , जो न किसी सत्ता से बंधता है , न किसी विचारधारा से। इसका एकमात्र धर्म है — सत्य और जनहित। पत्रकारिता : मिशन , पेशा और सामाजिक उत्तरदायित्व स्वतंत्र भारत की पत्रकारिता का इतिहास संघर्ष और त्याग से भरा पड़ा है। आज़ादी के आंदोलन में पत्रकारों ने विचारों की क्रांति का नेत...