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असफलता अंत नहीं होती – यह तो नई शुरुआत का संकेत है! (असफल विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायक लेख)

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 सभी पाठक  इस लेख को पड़कर  अपने ग्रुप में भेजे ताकि  असफल  विद्यार्थि का होसला बड़े आपकी  एक पहल से  विद्यार्थि का जीवन बदल जाय असफलता अंत नहीं होती – यह तो नई शुरुआत का संकेत है! (असफल विद्यार्थियों के लिए एक संत्वना लेख) हर साल परीक्षा परिणाम आते हैं। कुछ चेहरे मुस्कराते हैं, कुछ गर्व से सिर ऊँचा करते हैं, और कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी आँखें नम होती हैं, जिनके सपने टूटे से लगते हैं। लेकिन क्या असफल होना जीवन की हार है? बिल्कुल नहीं! असफलता कोई अपराध नहीं है , यह तो उस कोशिश का प्रमाण है जो आपने की थी, उस रास्ते का हिस्सा है जो मंज़िल तक जाता है। जो विद्यार्थी इस बार सफल नहीं हो सके हैं, उन्हें यह समझना होगा कि यह सिर्फ एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं। यह कोई आखिरी मोड़ नहीं, बल्कि सीखने, मजबूत बनने और फिर से खड़े होने का अवसर है। जब बच्चा चलना सीखता है, तो वह कई बार गिरता है, लेकिन हर बार उठता है — और अंत में चलने ही नहीं, दौड़ने भी लगता है। ठीक वैसे ही, यह असफलता आपको झकझोरने आई है, तोड़ने नहीं। यह बताने आई है कि रास्ता आसान नहीं, लेकिन मुमकिन है। कई मह...

"चौथा स्तंभ: लोकमानस में अडिग, संविधान में अदृश्य"

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( रघुवीर सिंह पंवार )  संविधान में भले ही प्रेस के लिए कोई विशेष अनुच्छेद न हो , लेकिन लोकमानस में इसकी जगह आज भी सर्वोच्च है। न्याय की आस लिए आम आदमी जब थाने , दफ्तरों और सत्ता के गलियारों से धक्के खाकर लौटता है , तो उसकी आखिरी उम्मीद प्रेस ही होती है। अखबार के दफ्तर की दहलीज़ ही उसका सबसे सहज और सुलभ न्यायालय बन जाती है। छपे हुए शब्दों की ताकत यह छपे हुए शब्दों की ताकत ही है जिसने तमाम आलोचनाओं , व्यावसायीकरण और गिरते मूल्यों के बावजूद प्रेस को आज भी विश्वसनीय बनाए रखा है। लोकमानस में प्रेस का अर्थ आज भी अखबार और पत्रिकाएं ही हैं , न कि न्यूज चैनल या वेब पोर्टल। यही वजह है कि ‘ मीडिया ’ जैसे आधुनिक शब्द गढ़ने के बाद भी ‘ प्रेस ’ की गरिमा जस की तस बनी हुई है — यहां तक कि अपराधी भी इस शब्द को ढाल की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। टेलीविजन और प्रेस का सह-अस्तित्व अस्सी के दशक की शुरुआत में जब टेलीविजन ने दस्तक दी , तो प्रेस के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी। लगा , अब अखबारों का युग समाप्त हो जाएगा। लेकिन हुआ इसका उलट। प्रेस ने खुद को बदला , सजग हुआ , रंगीन हुआ , तकनीकी तौर पर समृद्ध हुआ। खोज...

हे सरस्वती शारदे माँ

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  हे सरस्वती शारदे माँ , मेरा मन दर्पण कर दो। हर संशय को दूर भगा कर  , ज्ञान का अर्पण कर दो। अंधकार में दीप जला दो , मेरी राह   प्रकाशित हो । तेरी ममता , तेरा आशीष , हर दिन मेरा प्यारा हो। तेरी वीणा की मधुर तान , मन में नई चेतना लाए। तेरी कृपा की शीतल छाया , हर दुख , हर पीड़ा मिटाए। शब्दों में मिठास भर दो , वाणी को शुद्ध बना दो। बुद्धि को ऐसा तेज दो , हर मुश्किल सरल बना दो। कलम मेरी शक्तिशाली हो , सत्पथ का दीप जलाए। तेरे गुणगान में रत रहूँ , सद्भाव का रंग छाए। विद्या का अमृत बरसा दो , ज्ञान का सागर दे दो। सच्चाई की राह दिखा दो , हर संकल्प को बल दे दो। हे माँ , जीवन पावन कर दो , मुझको सच्चा मानव कर दो। तेरी मूरत दिल में बसी रहे , मन को निर्मल दर्पण कर दो। READMPRE  संघर्ष की राह कहानी भाग  1 संघर्ष की राह भाग 2 संघर्ष की राह भाग 3 संघर्ष की राह भाग 4 संघर्ष की राह  कहानी   भाग 5 जब बेटे को पिता से शर्म आने लगी फटी कमीज़ वाला अभिमान लघुकथा पिता-पुत्र के रिश्ते पर जहाँ किताबें जलती हैं लघुकथा एक झुमकी की कीमत(...