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उज्जैन नगरी के दर्शनीय स्थल , भर्तृहरि की प्राचीन गुफा

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  भर्तृहरि की प्राचीन गुफा                                             भर्तृहरि की प्राचीन गुफा देवीजी के मंदिर के निकट ही शिप्रा तट के ऊपरी माग में भर्तृहरि की गुफा है । प्रसिद्ध विद्वान् शतकत्रय के प्रणेय राजर्षि की यहसाधना स्थली है बौद्धकालीन शिल्प की यह रचना है। यहाँ नाथ सम्प्रदाय के साधुओं का स्थान है । भर्तृहरि ने बंधु विक्रम को राज्य देकर वैराग्यवश नाथ सम्प्रदाय की दीक्षा ग्रहण कर ली थी। अपनी प्रिय पत्नी महारानी पिंगला के अवसान पर उन्हें संसार   से विरक्ति हो ई थी। इस गुफा में उन्होंने योगसाधना की थी । दक्षिण में गुफा के अन्दर गोपीचन्द की मूर्ति है। गुफा में प्रवेश करने का एक सँकरा मार्ग है। प्रकाश की व्यवस्था करके यहाँ प्रवेश किया जाता है ।                                                               ...

उज्जैन के सिद्धनाथ तीर्थ का महत्त्व

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        देवी पार्वती ने स्वयं लगाया था ये वटवृक्ष, मुगलों ने इसे कटवा कर जड़वा दिए थे लोहे के तवे   16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में लोग अपने घरों में तो पूजा आदि करते ही हैं, साथ ही पवित्र तीर्थों पर भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान करते हैं। हमारे देश में अनेक ऐसे तीर्थ हैं जो पिंडदान, तर्पण आदि के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक स्थान है उज्जैन का सिद्धनाथ तीर्थ। इसे प्रेतशीला तीर्थ भी कहा जाता है। यहां दूर-दूर से लोग अपने पितरों का तर्पण करने आते हैं।मान्यता  हेकी इस तीर्थ में में तर्पण करने से मृत आत्मा  को  मोक्ष मिलता है  |   यहां लगभग 150 परिवारों से जुड़े 700 पुजारी तर्पण, श्राद्ध आदि करवाते हैं। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित हे  यह  स्थान सिद्धनाथ तीर्थ उज्जैन के भैरवगढ़ क्षेत्र में है।  पतित पावनी मोक्ष दायनी  क्षिप्रा नदी के तट पर होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस स्थान पर एक विशाल बरगद का पेड़ है। इसे सिद्धवट कहा जाता है। प्रयाग और गया में जिस तरह अक्षयवट का महत्व माना जाता...

शिक्षक दिवस (Teacher's Day )

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  शिक्षक दिवस हमारे जीवन में एक शिक्षक कितना महत्त्वपूर्ण होता है इस बात को एलेक्जेंडर महान के इन शब्दों से समझा जा सकता है: मैं जीने के लिए अपने पिता का ऋणी हूँ, पर अच्छे से जीने के लिए अपने गुरु का. भारत भूमि पर अनेक विभूतियों ने अपने ज्ञान से हम सभी का मार्ग दर्शन किया है। उन्ही में से एक महान विभूति शिक्षाविद्, दार्शनिक, महानवक्ता एवं आस्थावान विचारक डॉ. सर्वपल्लवी राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। और उन्ही के जन्मदिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ. राधाकृष्णन की मान्यता थी कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाय़े तो समाज की अनेक बुराईयों को मिटाया जा सकता है ऐसे संस्कारित एवं शिष्ट माकूल जवाब से किसी को आहत किये बिना डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने भारतीयों को श्रेष्ठ बना दिया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मानना था कि व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण में शिक्षा का विशेष योगदान है। वैश्विक शान्ति, वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक सौहार्द में शिक्षा का महत्व अतिविशेष है। उच्चकोटी के शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को भारत के प्रथम राष्ट्र...

उज्जैन नगरी के दर्शनीय स्थल हरसिद्धि माता मंदिर, श्री बड़े गणेश का मंदिर

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                                बाबा महाकाल की नगरी  उज्जैन  के  के दर्शनीय  स्थल हरसिद्धि   माता मंदिर श्री बड़े गणेश का मंदिर गोपाल मंदिर  मंगलनाथ मंदिर  चोबीस खम्बा द्वार  सिद्धवट  भर्तहरी की प्राचीन  गुफा  वेधशाला  त्रिवेणी संगम  श्री चिंतामण गणेश  श्री संदीपनी आश्रम ( श्री कृष्णा की शिक्षा स्थली ) चारधाम मंदिर  गायत्री शक्तिपीठ  चित्र गुप्त धर्मराज  गेबी हनुमान मंदिर  उजड खेड़ा हनुमान मंदिर  भूखी माता मंदिर  कालभेरव मंदिर  योगामता  मंदिर                                                                              1 -   हरसिद्धि    माता मंदिर राजा विक्रमादित्य   की आराध्य कूल देवी मा हर...