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कबीर दास जी: एक धार्मिक समन्वय संत

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कबीर दास जी: एक संत कवि और समाज सुधारक कबीर दास जी कबीर दास जी का नाम भारतीय संतों और कवियों की श्रेणी में एक अद्वितीय स्थान रखता है। वे 15वीं शताब्दी के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपने दोहों और रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने का काम किया। उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और जनमानस में गहरी छाप छोड़ती हैं। प्रारंभिक जीवन कबीर दास जी का जन्म 1398 ई. में काशी (वाराणसी) में हुआ था। उनकी जन्म संबंधी कई कहानियाँ प्रचलित हैं, लेकिन सबसे मान्य कथा के अनुसार, वे नीरू और नीमा नामक एक मुस्लिम जुलाहा दंपति द्वारा पाले गए थे। कबीर का अर्थ है 'महान', और उन्होंने अपने नाम को सार्थक करते हुए जीवन भर महान कार्य किए। शिक्षाएँ और दर्शन कबीर दास जी ने अपने जीवन के अधिकांश समय समाज को धार्मिक अंधविश्वासों, रूढ़ियों और जातिवाद से मुक्त कराने में बिताया। उन्होंने कहा कि भगवान एक हैं और सभी धर्मों के लोग एक ही ईश्वर की पूजा करते हैं। उनके दोहे और रचनाएँ सरल, सटीक और गहरी होती थीं, जो समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ थीं। कबीर के दोहे कबीर के दोहे उनकी शिक्षाओं का

जीवन में सफल होने के लिए क्या करे (HOW TO BE SUCCEES FUL IN LIFE )

  सफलता का कद आपकी सोच पर निर्भर करता है। आपकी सोच तय करती है। हर सुबह हमारा नया जन्म होता है। आज हम क्या करे ? बस यही मायना रखता है। उम्मीद न छोड़ें सफलता अवश्य मिलेगी। बड़ा संघर्ष ही स्थाई सफलता का इतिहास रचता है। जिस व्यक्ति से जीवन मे कोई गलती या नहीं हुई , वास्तव में उसने कुछ नया करने की कोशिश ही नही की। अगर आप असफल होंगे तो शायद सिर्फ निराश होंगे- लेकिन आप प्रयास. नही करेगें तो गुनहगार होगें।  एक सफल व्यक्ति वही है जो औरों के द्वारा अपने ऊपर फेंकी हुई ईंट से एक मजबूत नींव बना सके चाहे फिर परिस्थितियां कैसी भी   हो ? जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते है की हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है। जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी। और यह तभी सामने आता है। जब हम असफल होते हे। जरूरत है कि इसे तलासे और जीवन में सफल बने। जीवन मे हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को खुद पर हावी नही होने देना चाहिए। अगर आपको लगता है कि आप बिल्कुल अकेले है , तो सबसे पहले आसमान की और देखे पूरा ब्रह्माण्ड आपका साथ देने के लिए तैयार है। मगर इसके लिए आपको आवश्यकता है. तो सिर्फ कठिन परिश्रम की सुख

आत्मविश्वास: सफलता की कुंजी

  आत्मविश्वास: सफलता की कुंजी मन के हारे हार है. मन के जीते जीत है। गुण व अवगुण हर किसी में होता है। लेकीन व्यक्ति अपने गुणों को भूलकर , अवगुणों के कारण आत्महीनता का शिकार हो जाता है। जब आप कभी एक सफल व्यक्ति से अपनी तुलना करते हो तो खुद को उससे , उसके सामने हीन महसूस करते हो , जिसके कारण आपके अंदर निराशा पनपने लगती है। आप निराश हो जाते है। सबसे पहले आप अपने अन्दर से निराशा रूपी तारे को बुझाकर , आशा रूपी दीप जलाइए। फिर देखिए सारा संसार आपके सामने प्रकाशमय हो जाएगा। इस धरती पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है. जिसमे गुण ही गुण हो , हां यह हो सकता है कि जो गुण दूसरे व्यक्ति में है , वह आप मे न हो. तो फिर आप अपने आपको किसी से कम क्यों समझे ? सभी व्यक्ति को ईश्वर ने बनाया है. लेकिन अपने आपको काबिल तो हमें बनना है। चाहे आत्मविश्वासी बने या निराशावादी   यह बात   अपने मन पर निर्भर करती है। यदि आपने सोच लिया मैं कमजोर हु तो आप कायर है और आपने अगर मान लिया कि में इस संसार का सबसे ताकतवर व बुद्धीमान व्यक्ति हूँ , तो आप बलवान हो |. अपने आप पर विश्वास करना सिखीए और उसके लिए अपने आप पर गर्व   करे  |