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Showing posts from September, 2023

शिक्षक दिवस (Teacher's Day )

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  शिक्षक दिवस हमारे जीवन में एक शिक्षक कितना महत्त्वपूर्ण होता है इस बात को एलेक्जेंडर महान के इन शब्दों से समझा जा सकता है: मैं जीने के लिए अपने पिता का ऋणी हूँ, पर अच्छे से जीने के लिए अपने गुरु का. भारत भूमि पर अनेक विभूतियों ने अपने ज्ञान से हम सभी का मार्ग दर्शन किया है। उन्ही में से एक महान विभूति शिक्षाविद्, दार्शनिक, महानवक्ता एवं आस्थावान विचारक डॉ. सर्वपल्लवी राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। और उन्ही के जन्मदिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ. राधाकृष्णन की मान्यता थी कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाय़े तो समाज की अनेक बुराईयों को मिटाया जा सकता है ऐसे संस्कारित एवं शिष्ट माकूल जवाब से किसी को आहत किये बिना डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने भारतीयों को श्रेष्ठ बना दिया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मानना था कि व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण में शिक्षा का विशेष योगदान है। वैश्विक शान्ति, वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक सौहार्द में शिक्षा का महत्व अतिविशेष है। उच्चकोटी के शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को भारत के प्रथम राष्ट्रपति

उज्जैन नगरी के दर्शनीय स्थल हरसिद्धि माता मंदिर, श्री बड़े गणेश का मंदिर

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                                बाबा महाकाल की नगरी  उज्जैन  के  के दर्शनीय  स्थल हरसिद्धि   माता मंदिर श्री बड़े गणेश का मंदिर गोपाल मंदिर  मंगलनाथ मंदिर  चोबीस खम्बा द्वार  सिद्धवट  भर्तहरी की प्राचीन  गुफा  वेधशाला  त्रिवेणी संगम  श्री चिंतामण गणेश  श्री संदीपनी आश्रम ( श्री कृष्णा की शिक्षा स्थली ) चारधाम मंदिर  गायत्री शक्तिपीठ  चित्र गुप्त धर्मराज  गेबी हनुमान मंदिर  उजड खेड़ा हनुमान मंदिर  भूखी माता मंदिर  कालभेरव मंदिर  योगामता  मंदिर                                                                              1 -   हरसिद्धि    माता मंदिर राजा विक्रमादित्य   की आराध्य कूल देवी मा हरसिद्धि माता का मंदिर   अति प्राचीन है | स्कन्द पुराण में वर्णन है की शिवजी के आदेश पर जगत जननी   माँ भगवती ने दुष्ट दानवो का वध किया था अत तब से ही उनका नाम हर सिद्धि   प्रसिद्ध हुवा   | शिवपुराण के अनुसार सती की कोहनी यही पर गिरी थी | तांत्रिक ग्रंथो में इसे शिद्ध शक्ति पीठ की संज्ञा दी गई | चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने इस पवित्र स्थल पर घोर कठिन तपस्या कर तथा देवी को प्रसन्न करने के लिए लगातार