भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर एक भावनात्मक श्रद्धांजलि
6 दिसंबर… यह तारीख भारत के इतिहास में एक ऐसा दिन है, जब करोड़ों लोग बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हैं। यह दिन हमें सिर्फ एक महापुरुष के निधन की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह सोचने का अवसर भी देता है कि हम आज जिस भारत में जी रहे हैं, उसकी नींव किन आदर्शों पर रखी गई। डॉ. अंबेडकर ने अपने पूरे जीवन में एक ही सपना देखा— एक ऐसा भारत, जहाँ सभी को बराबरी का अधिकार मिले, जहाँ किसी का सम्मान उसकी जाति से नहीं बल्कि उसकी योग्यताओं से तय हो। बाबा साहेब: संघर्ष से रोशन हुआ जीवन उनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। भेदभाव, गरीबी, अपमान… इन सबने उन्हें तोड़ने की कोशिश की, लेकिन बाबा साहेब टूटे नहीं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि— “कठिन परिस्थितियाँ महान व्यक्तित्वों को नहीं रोकतीं, बल्कि उन्हें और मजबूत बनाती हैं।” उनकी शिक्षा के प्रति दृढ़ इच्छा, उनकी मेहनत और उनका संघर्ष आज भी हर युवा के लिए प्रेरणा है। संविधान: एक समतामूलक भारत का सपना भारत का संविधान सिर्फ क़ानूनों की किताब नहीं है; यह बाबा साहेब का वह सपना है जिसमें वे चाहते थे कि हर व्यक्ति— सम्मान से जिए, न्याय पाए...