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घर की रौनक बेटीया

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                                                                                        घर की रौनक बेटीया                                                                                              संसार को संसार बनाती हैं बेटियां , सपनों को साकार कर जाती हैं बेटियां। जैसे धूप में छांव का एहसास हो , वैसे ही घर को महकाती हैं बेटियां। माँ की ममता , पिता का प्यार होती हैं , भाई की हंसी , बहन का संगीत होती हैं। हर रिश्ते की आन , हर बंधन की पहचान , दिल की धड़कन , सांसों की लहर होती हैं। कभी माटी में रंग भरने वाली , कभी आकाश को छूने वाली। कभी प...

आखिरी पीढ़ी की गाथा

  आखिरी पीढ़ी की गाथा हम वो आखिरी पीढ़ी हैं , जिसने बैलगाड़ी से आसमान तक उड़ान देखी , ख़तों की खुशबू में मोहब्बत लिखी , अब बस एक क्लिक में पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया। हमने मिट्टी के घरों में कहानियाँ सुनीं , जमीन पर बैठकर रोटी खाई , चाय की चुस्की प्लेट से ली , सादगी में खुशियाँ पाई। हम वो आखिरी लोग हैं , जो मोहल्ले के बुजुर्गों को देखकर डरते थे , नुक्कड़ से भागकर घर आ जाते थे , पर उनका सम्मान दिल से करते थे। चिमनी की धीमी रौशनी में किताबें पढ़ी , लालटेन की लौ में अपने सपने देखे , चादर के भीतर नावेल छिपाई , स्याही से कागज़ , कपड़े और हाथ रंगे । हम वो लोग हैं , जिन्होंने खतों में अपनी भावनाएं लिखी , उनका इंतजार करते हुए वक्त बिताया , और जवाब आने पर खुशी से झूम उठे। कूलर , एसी के बिना बचपन बिताया , सरसों का तेल बालों में लगाकर स्कूल गए , साधारण कपड़ों में शादी-ब्याह में शामिल हुए , पर खुशियों में कोई कमी महसूस नहीं की। हमने गोदरेज की गोल डिब्बी से शेव बनाई , गुड़ की चाय और काले दंत मंजन का स्वाद चखा , रेडियो पर बीबीसी की खबरें सुनी...

संघर्ष की राह भाग 5

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  संघर्ष की राह  कहानी   भाग 5 : पशुपालन की शुरुआत :- रोहित ने कहा हम खेती के साथ साथ पशुपालन भी करेगे जिससे   गोबर   के रूप में    खाद   प्राप्त होगा , जिसका उपयोग हम खेत मे करेंगे जो अच्छे खाद के रूप में होगा। इससे हमारी जमीन अधिक उपजाऊ होगी तथा गोबर से जमीन में नमी की मात्रा बढेगी | जैविक खेती के लिए गोबर की खाद का उपयोग करेंगे , जिससे हमें रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होगि। तथा फसल उत्पादन भी बड़ेगा अलग से खाद के लिए पैसा भी नहीं देना पड़ेगा इसके साथ-साथ पशुओं से हमें दूध भी प्राप्त होगा।  दुध हम बाजार में बेचेंगे जिससे अच्छा भाव मिलेगा , और पैसा भी पिताजी ने कहा उसके लिए तो रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी। राहुल ने कहा पशु-गाय , भैंस खरीदने के लिए पैसे कहां से आएंगे हमें कौन पैसा देगा। रोहित ने कहा पशुपालन के लिए सरकार द्वारा लोन मिलता है। एवं पशुपालन के लिए प्रशिक्षण भी | हम अपना डेयरी फार्म भी खोल सकते हैं। गांव वालों से दुध भी खरीद सकते हैं  | जिससे गांव वालो को भी फायदा होगा और उन्हें दूध के भाव भी अधिक मिलेगें। राममोहन ने कहा ...